क्या होता है शरिया क़ानून, मुसलमानों के लिए क्यों है ये इतना अहम?
इस्लाम में शरिया कानून जीवन जीने का सही तरीका माना जाता है. ये इंसान को बताता है नमाज (प्रार्थना), रोज़ा (उपवास) और ज़कात (ग़रीबों को दान) कैसे करना है.
उत्तराखंड विधानसभा में आज से समान नागरिक संहिता बिल पर बहस शुरू हो रही है. इस बीच मुस्लिम संगठनों ने इस बिल का विरोध करना शुरू कर दिया है. इस बिल के खिलाफ देहरादून में भी विरोध प्रदर्शन हुआ. जमीयत-ए-उलेमा-ए-हिंद ने कहा है कि मुसलमान ऐसे किसी भी कानून को नहीं मानेंगे जो शरीयत के खिलाफ हो. आज आपको बताएंगे कि आखिर ये शरीयत या शरिया कानून क्या होता है, और ये इस्लाम में इतना जरूरी क्यों है?
क्यों हो रहा है शरिया कानून का जिक्र?
मुस्लिम समुदाय यूसीसी को धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप मानते हैं. दरअसल, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के तहत मुसलमानों के लिए शरीयत के आधार पर कानून तय किए जाते हैं. यूसीसी का विरोध करने वाले मुस्लिम धर्मगुरुओं का मानना है कि यूसीसी की वजह से मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा. मुस्लिम धर्मगुरुओं का ये भी कहना है कि UCC के जरिए मुस्लिमों पर हिंदू रीति-रिवाज थोपने की कोशिश की जा रही है.
जहां एक तरफ सरकार यूसीसी को लाकर देश के हर एक नागरिक को समान अधिकार देना चाहती है, वहीं, दूसरी तरफ इसका एक तब्का जमकर विरोध कर रहा है. अब सवाल ये उठता है कि अगर इस कानून के बनने से सभी को समान अधिकार मिलेंगे तो इसमें किसी को क्या दिक्कत हो सकती है? ये हर कोई चाहता है कि सब को एक समान समझा जाए. लेकिन यहां मामला कुछ और है.
इस्लाम में क्या है शरिया?
शरिया कानून को इस्लाम में ऐसी व्यवस्था के तौर पर देखा जाता है जो जीवन को जीने के सही तरीके बताता है. दरअसल, इस्लाम में शरिया कानून को दो तरह से परिभाषित किया गया है. इसमें पहला है क़ुरआन और दूसरा पैग़म्बर मुहम्मद की दी हुई हिदायतें, जिन्हें सुन्नाह भी कहा जाता है. साफ लफ्जो में कहा जाए तो शरिया को क़ुरआन और इस्लामी विद्वानों के फतवों को मिलाकर एक कानून बनाया गया है. इसका शाब्दिक अर्थ होता है- पानी का एक स्पष्ट और व्यवस्थित रास्ता.
इस्लाम में शरिया कानून किस तरह काम करता है?
इस्लाम को मानने वाले शरिया को जिंदगी जीने का आसान तरीका बताते हैं. सभी से इस कानून का पालन करने की उम्मीद की जाती है. इसमें इंसान के जीवन से जुड़ी उस हर चीज के बारे में तफ्सील से जानकारी दी गई है, जो हम रोजमर्रा करते हैं, जैसे- नमाज (प्रार्थना), रोज़ा (उपवास) और ज़कात (ग़रीबों को दान) कैसे करना है.
उदाहरण के तौर पर शरिया को समझते हैं, मान लीजिए आप कहीं पर काम करते हैं और काम खत्म करने के बाद अगर आप कहीं पार्टी करने जाना चाहते हैं. अब आपको पता है कि कुछ चीजे आपके धर्म के मुताबिक सही नहीं हैं, ऐसे में आप किसी शरिया को जानने वाले यानी एक्सपर्ट के पास जा सकते हैं. उनसे सलाह ली जा सकती है कि वहां जाकर हम किस तरह से शरिया कानून का जो ढांचा है उसके अंदर रह कर व्यवहार कर सकते हैं.
प्रोपर्टी से जुड़े मामलों में भी करता है मदद
शरिया में जीवन से जुड़े हर एक मुद्दे को लेकर लिखा गया है. इसमें नमाज, रोज़ा और ज़कात के अलावा हमारे जीवन से जुड़ी हर एक परेशानी का हल मिल जाता है. जैसे- मसलन पारिवारिक क़ानून, वित्त और कारोबार में कोई मसला आ रहा है तो उसके समाधान के लिए मुसलमान शरिया कानून की सहायता ले सकता है.