Parliament Special Session: आज से संसद का 5 दिवसीय विशेष सत्र शुरू हो रहा है. 18 से 22 सितंबर तक होने वाले इस स्पेशल सेशन से पहले रविवार को नए संसद भवन पर उपराष्ट्रपति ने तिरंगा फहराया था. विशेष सत्र के पहले दिन आजादी के बाद की उपलब्धियों और संसद के 75 साल के सफर पर चर्चा होगी. विशेष सत्र के दौरान चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति समेत चार विधेयकों पर चर्चा भी की जाएगी.
तिरंगा फहराने के बाद उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि यह ऐतिहासिक क्षण है, भारत युग परिवर्तन का साक्षी बन रहा है. दुनिया भारत की ताकत, शक्ति और योगदान को पूरी तरह से पहचानती है. ध्वजारोहण के दौरान पीयूष गोयल, प्रह्लाद जोशी और अर्जुन राम मेघवाल सहीत कई केंद्र मंत्री मौजूद रहे और अन्य दलों के नेता भी वहां पर मौजूद रहे. लेकिन कार्यक्रम में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे शामिल नहीं हुए, उन्होंने देर से निमंत्रण भेजने पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई.
लोकसभा के आमतौर पर तीन सत्र होते हैं, इसमें मुख्य रूप से संसद का बजट सत्र, जो फरवरी और कभी मई में शुरू होता है. इस अवधि के दौरान संसद में बजट पर विचार करने और मतदान करने के लिए पेश किया जाता है. साथ ही विभागों के द्वारा भेज गई रिपोर्ट और अनुदानों पर विचार किया जाता है. वहीं, दूसरा सत्र मानसून होता है, जो जुलाई से अगस्त के बीच होता है. साल का अंत शीतकालीन सत्र होता है जो नवंबर से दिसंबर तक के बीच बुलाया जाता है.
भारतीय संविधान में विशेष सत्र को लेकर किसी शब्द का जिक्र नहीं किया गया है. हालांकि, सरकार द्वारा स्पेशल सेशन को बुलाने का प्रावधान अनुच्छेद 85 (1) में है. अनुच्छेद 85 (1) के तहत बाकी सत्र भी बुलाये जाते हैं, जैसे पीठासीन अधिकारी विशेष सत्र के दौरान कार्यवाही को संक्षेप कर सकते हैं और प्रश्नकाल जैसी प्रक्रियाओं को छोड़ा जा सकता है. इसके साथ ही जरूरत पड़ने पर राष्ट्रपति को विशेष सत्र बुलाने का अधिकार है. बता दें कि सत्र को बुलाने का निर्णय संसदीय मामलों की कैबिनेट को है. लेकिन सांसदों को राष्ट्रपति के नाम पर बुलाए जाते हैं और संसद के विशेष सत्र के लिए सरकार को राष्ट्रपति की मंजूरी भी लेनी पड़ती है.
ऐतिहासिक रूप से देखा जाए तो विशेष सत्र राष्ट्रीय घटनाओं के दौरान बुलाए गए हैं, संसदीय इतिहास में देखें तो सात बार स्पेशल सेशन बुलाये गया है. सात में से तीन बार तब बुलाए गए जब राष्ट्रीय स्तर पर देश खुशी मना रहा था. वहीं, दो बार राष्ट्रपति शासन के लिए विशेष सत्र आमंत्रित किया गया. बता दें कि 1977 में तमिलनाडु में राष्ट्रपति शासन और 1991 में हरियाणा में राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए विशेष सत्र बुलाया गया था. इसके बाद एक विशेष सत्र 2008 में विश्वास मत हासिल करने के लिए बुलाया गया था. इस दौरान तत्काली प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार को चला रहे थे. मामला यह था कि भारत ने अमेरिका के साथ परमाणु समझौता किया जिसके बाद चार वामपंथी दलों ने अपने 60 सांसदों का समर्थन वापस ले लिया. फाइनली विश्वास मत यूपीए सरकार के पक्ष में आया और मनमोहन सरकार जारी रही.
मोदी सरकार के साढ़े नौ साल सत्ता में रहने के बाद एक बार विशेष सत्र बुलाया गया, जब सरकार ने जीएसटी पर कानून पर 30 जून 2017 को विशेष सत्र बुलाया था. इस सत्र को संसद के सेंट्रल हॉल में बुलाया गया था. वहीं 18 से 22 सितंबर तक विशेष सत्र बुलाया गया है, यह मोदी सरकार का दूसरा स्पेशल सेशन है. First Updated : Monday, 18 September 2023