MS Swaminathan: क्या है स्वामीनाथन रिपोर्ट, 19 साल बाद भी क्यों नहीं बदली किसानों की तस्वीर?

MS Swaminathan: भारत के हरित क्रांति के जनक कहे जाने वाले एमएस स्वामीनाथन की आज 98 वर्ष की आयु में निधन हो गया. स्वामीनाथन देश के सबसे मशहूर कृषि वैज्ञानिक थे. उनको दूरदर्शी वैज्ञानिक और फादर ऑफ ग्रीन रेवोल्यूशन के नाम से भी जाना जाता है.

Manoj Aarya
Manoj Aarya

हाइलाइट

  • मशहूर कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन का हुआ निधन.
  • फादर ऑफ ग्रीन रेवोल्यूशन के नाम से बना चुके थे पहचान.
  • किसानों के हित के लिए बनाई थी स्वामीनाथन रिपोर्ट.

MS Swaminathan Death: भारत के हरित क्रांति के जनक कहे जाने वाले एमएस स्वामीनाथन की आज 98 वर्ष की आयु में निधन हो गया. स्वामीनाथन देश के सबसे मशहूर कृषि वैज्ञानिक थे. उनको दूरदर्शी वैज्ञानिक और फादर ऑफ ग्रीन रेवोल्यूशन के नाम से भी जाना जाता है. स्वामीनाथन ने किसानों को लेकर एक रिपोर्ट बनाई थी, (MS Swaminathan Report) जो की हमेशा चर्चा में रहा. इस रिपोर्ट पर सालों तक राजनीति होती रही. हालांकि, किसानों को इससे फायदा नहीं हो सका.

हरित क्रांति से देश का बदला रूप

एमएस स्वामीनाथन ने दो कृषि मंत्रियों सी सुब्रमण्यम और जगजीवन राम के साथ मिलकर देश में हरित क्रांति लाने में अहम भूमिका निभाई थी. हरित क्रांति एक ऐसा कार्यक्रम था जिसने कैमिकल-जैविक तकनीक के उपयोग से धान और गेहूं के उत्पादन में भारी इजाफा लाने का मार्ग प्रशस्त किया.

क्या है स्वामीनाथन रिपोर्ट?

साल 2004 में कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान किसानों की स्थिति जानने के लिए एक आयोग का गठन किया गया था, जिसका नाम था नेशनल कमीशन ऑन फार्मर्स (NCF). इस आयोग की जिम्मेदारी एम एस स्वामीनाथन को दी गई थी. किसानों के हित को लेकर आयोग ने दो सालों में 5 रिपोर्ट सरकार को सौंपी, जिसे स्वामीनाथन रिपोर्ट भी कहा जाता है.

स्वामीनाथन आयोग द्वारा तैयार कि गई रिपोर्ट में सरकार को कई सुझाव दिए गए थे, जिसको कानून का रूप देकर किसानों की स्थिति को सुधारा जा सके. इस रिपोर्ट में सबसे बड़ा और चर्चित सुझाव एमएसपी का था. जिसमें ये सलाह दी गई थी कि किसानों को फसल की लागत का 50 फीसद लाभ मिलाकर एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) सरकार को तय करना चाहिए.

संसद में भी उठाए किसानों से जुड़े मुद्दे

आपको बता दें कि डॉक्टर एमएस स्वामीनाथन 2007 से 2013 तक संसद के उच्च सदन राज्यसभा के सदस्य के रूप में भी कार्य कर चुके हैं. अपने संसदीय कार्यकाल के दौरान भी उन्होंने राज्यसभा में खेती-किसानी और उनसे जुड़े कई मुद्दे को उठाया और केंद्र सरकार के सामने रखा.

कई पुरस्कारों से किए गए सम्मानित

स्वामीनाथन को 1987 में कृषि के क्षेत्र में नोबल पुरस्कार कहे जाने वाला प्रथम खाद्य पुरस्कार मिला था. उन्हें पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है. इसके साथ ही वो भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के निदेशक (1961-1972), आईसीआर के महानिदेशक और कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग के सचिव (1972-79), कृषि मंत्रालय के प्रधान सचिव (1979-80) नियुक्त किए गए थे.

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28 September 2023, 08:01 PM IST

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