स्वामी विवेकानंद भले ही इस दुनिया में नहीं लेकिन उनका जीवन आज भी युवाओं को प्रेरणा देता है. उनका जीवन इस बात का उदाहरण है कि कैसे उन्होंने अपने ज्ञान और दृष्टिकोण से न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया को जागरूक किया. हालांकि, स्वामी विवेकानंद के जीवन में कई ऐसे किस्से भी हैं, जो हमें उनके अद्भुत विचारों और उनकी मानवीय संवेदनाओं को समझने में मदद करते हैं. ऐसा ही एक रोचक किस्सा है जिसमें एक वेश्या ने स्वामी विवेकानंद को परास्त कर दिया था. तो चलिए उस किस्से के बारे में जानते हैं.
दरअसल, 1893 में स्वामी विवेकानंद को अमेरिका के शिकागो में होने वाले विश्व धर्म महासभा में हिस्सा लेने के लिए जाना था. इसके लिए जयपुर के महाराजा ने उनका स्वागत करने का आयोजन किया. इस आयोजन में स्वामी विवेकानंद और उनके साथियों को आमंत्रित किया गया था, लेकिन एक असामान्य चीज ये थी कि जयपुर के महाराजा ने उस समय की सबसे प्रसिद्ध वेश्या को भी आमंत्रित कर लिया था.
जब स्वामी विवेकानंद को इस बारे में पता चला, तो उन्होंने खुद को एक कमरे में बंद कर लिया और बाहर आने से इनकार कर दिया. स्वामीजी का यह कदम उनके आत्म-गौरव और संतुलित विचारों को लेकर था, क्योंकि वे एक पवित्र जीवन जीने वाले संन्यासी थे और उन्होंने वेश्या को अपने आयोजनों में शामिल किए जाने को अपने सम्मान के खिलाफ समझा.
जब जयपुर के महाराजा को यह पता चला कि स्वामी विवेकानंद ने खुद को कमरे में बंद कर लिया है, तो वह समझ गए कि यह उनकी गलती थी. महाराजा सीधे स्वामी विवेकानंद के पास पहुंचे और उनसे माफी मांगी. उन्होंने बताया कि उन्हें संन्यासियों की सही सम्मान की जानकारी नहीं थी और वेश्या को वापस भेजने में भी उन्हें संकोच हुआ.
इस बीच, उस वेश्या ने गाना शुरू कर दिया. वह एक संन्यासी गीत गा रही थी जिसमें वह स्वामी विवेकानंद से कह रही थी कि भले ही वह पापी और अज्ञानी हो, फिर भी उनके साथ इतनी क्रूरता नहीं होनी चाहिए. गाते हुए उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे, जो उसकी असली भावनाओं का परिचायक थे.
स्वामी विवेकानंद को जब वह गीत सुना, तो उनके मन में एक बदलाव आया. वह अपने कमरे से बाहर आए और वेश्या के पास गए. उन्होंने कहा कि उनका डर अब समाप्त हो गया है. उनका डर वासना का था, जो अब समाप्त हो चुका था. स्वामी विवेकानंद ने उस वेश्या को पवित्र आत्मा बताया और कहा कि वह उन्हें पूरी तरह से पराजित कर चुकी है.
स्वामी विवेकानंद ने वेश्या को प्रणाम किया और कहा कि उन्होंने उन्हें नया ज्ञान दिया है. उनके साथ अकेले रहकर भी स्वामी विवेकानंद को अब कोई परवाह नहीं थी, क्योंकि वेश्या ने उन्हें आत्म-निर्भरता और जीवन के सही दृष्टिकोण की समझ दी थी. First Updated : Sunday, 12 January 2025