उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज विधानसभा में समान नागरिक संहिता (UCC) विधेयक पेश किया. जिसके बाद सदन में जय श्री राम के नारे लगे. उत्तराखंड विधानसभा का विशेष सत्र सोमवार को शुरू हुआ है और आज सत्र के दूसरे दिन UCC विधेयक पेश किया गया है. इसके कानून बनने के बाद उत्तराखंड आजादी के बाद यूसीसी लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन जाएगा. यूसीसी के तहत प्रदेश में सभी नागरिकों के लिए विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता, जमीन, संपत्ति और उत्तराधिकार के समान कानून लागू होंगे, चाहे वे किसी भी धर्म को मानने वाले हों. आखिर समान नागरिक संहिता (UCC) क्या है आज हम आपको इसके बारे में बताते हैं.
यूनिफॉर्म सिविल कोड देश में सभी धर्मों, समुदायों, भाषा-भाषी लोगों के लिए एक तरह के कानून की वकालत करता है. अब आपके दिमाग में आ रहा होगा कि क्या अभी सभी धर्म-संप्रदाय के लोगों के लिए एक तरह का कानून नहीं है. तो इसका जवाब है कि शादी-विवाह, बच्चा गोद लेना, संपत्ति बंटवारे जैसी चीजें भारत में अलग-अलग धर्मों और मजहबों के हिसाब से तय होती हैं. इनमें भारतीय संविधान लागू नहीं होता.
एक उदाहरण से समझिए अगर भारत में कोई मुसलमान चाहे तो वह चार शादियां कर सकता है, लेकिन हिंदुओं के लिए हिंदू मैरिज एक्ट लागू हैं, जिसके चलते वह पहली पत्नी की मौत के बाद या पहली पत्नी से कानूनन तलाक के बाद ही दूसरी शादी कर सकता है. मतलब हिंदू मुसलमान दोनों भारत के नागरिक हैं लेकिन शादी के दोनों के अधिकार अलग-अलग हैं. इसी तरह की अन्य चीजों के बारे में सभी को समान अधिकार देने के लिए UCC की जरूरत है. अगर एक तरह का कानून लागू हुआ तो कैसा होगा अब यह सवाल भी आता होगा आपके दिमाग में तो यहां समझिए कि भारत में CRPC की धारा 320 हर धर्म, जाति, समुदाय के लोगों पर एक समान रूप से लागू होती है. अगर कोई व्यक्ति किसी की हत्या करता है तो उसे धारा 302 के तहत सजा दी जाएगी चाहे वह किसी जाति धर्म से हो.
यूनिफॉर्म सिविल कोड संविधान के अनुच्छेद 44 के तहत आता है. इसमें कहा गया है कि राज्य पूरे भारत में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता सुनिश्चित करने का प्रयास करेंगे. इसी अनुच्छेद के तहत यूनिफॉर्म सिविल कोड को देश में लागू करने की मांग की जा रही है. इसके पीछे जनसंख्या को बढ़ने से रोकना और जनसांख्यिकी को नियंत्रित करने का तर्क दिया जा रहा है.
देश में समान नागरिक संहिता (UCC) एक सदी से भी ज्यादा समय से राजनीतिक नरेटिव और बहस के केंद्र बना है. 2014 में सरकार बनने से ही UCC को संसद में कानून बनाने पर जोर दे रही है. 2024 में चुनाव आने से पहले इस मुद्दे ने एक बार फिर जोर पकड़ लिया है. बीजेपी सत्ता में आने पर UCC को लागू करने का वादा करने वाली पहली पार्टी थी और यह मुद्दा उसके 2019 के लोकसभा चुनाव घोषणा पत्र का हिस्सा था.
- विवाह, तलाक, गोद लेने और संपत्ति में धर्म- समुदाय के लोगों के लिए एक नियम.
- परिवार के सदस्यों के आपसी संबंध और अधिकारों में समानता का अधिकार.
- जाति, धर्म या परंपरा के आधार पर नियमों में कोई रियायत नहीं होगी.
- किसी भी धर्म विशेष के लिए अलग से कोई नियम नहीं होगा.
- UCC के तहत शादी, तलाक, संपत्ति, गोद लेने जैसे मामलों में सभी के लिए एक समानता होगी.
- हर धर्म में शादी, तलाक के लिए एक ही कानून.
- जो कानून हिंदुओं के लिए, वहीं दूसरों के लिए भी.
- बिना तलाक के एक से ज्यादा शादी नहीं कर पाएंगे.
- शरीयत के मुताबिक जायदाद का बंटवारा नहीं होगा.
- धार्मिक मान्यताओं पर कोई फर्क नहीं.
- धार्मिक रीति-रिवाज पर असर नहीं.
- ऐसा नहीं है कि शादी पंडित या मौलवी नहीं कराएंगे.
- खान-पान, पूजा-इबादत, वेश-भूषा पर प्रभाव नहीं.
First Updated : Tuesday, 06 February 2024