क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड और क्यों हैं जरूरी ? पीएम मोदी का क्या है UCC "मास्टर प्लान"

समान नागरिक संहिता यानी कि एक देश एक कानून. समान नागरिक संहिता के तहत देश में रहने वाले सभी धर्मों के लोगों के लिए एक कानून होगा. समान नागरिक के तहत विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेना, संपत्ति के बंटवारे जैसे विषय आते हैं.

Tahir Kamran
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हाइलाइट

  • समान नागरिक संहिता को लेकर पीएम मोदी का बड़ा बयान
  • "एक घर दो कानूनों से नहीं चल सकता": पीएम मोदी

Uniform Civil Code: देश में इन दिनों एक मुद्दा खूब तूल पकड़ा हुआ है. जिस पर जमकर सियासत हो रही है और इस अब इस सियासत के केंद्र में पीएम मोदी भी आ गए है. पीएम मोदी ने देश में समान नागरिक संहिता की चर्चा छेड़कर इसे राष्ट्रीय विमर्श का विषय बना दिया है. पीएम मोदी ने विपक्ष पर करारा वार करते हुए यूसीसी की जोरदार वकालत की है. पीएम मोदी ने बड़ा बयान देते हुए कहा है कि, भूखी पार्टियां समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लेकर मुसलमानों में भ्रम फैला रही हैं. सुप्रीम कोर्ट कहता है कि यूसीसी लागू करो लेकिन वोट बैंक के भूखे ये लोग नहीं चाहते हैं. इसके नाम पर लोगों को भड़काने का काम किया जा रहा है. पीएम मोदी ने कहा कि अगर एक परिवार में सदस्यों के लिए अलग-अलग व्यवस्था हो तो परिवार नहीं चल सकता. ऐसे ही एक देश में लोगों के लिए अलग-अलग कानून कैसे हो सकता है?

पीएम मोदी के इस बयान के बाद एक बात तो सीसे की तरह साफ हो चली है कि,पीएम मोदी आने वाले दिनों में कोई बड़ा नीतिगत फैसला लेने वाले हैं. जिस के लिए केंद्र सरकार के स्तर पर इसका मौसादा और ब्लूप्रिंट लगभग तैयार हो चुका है. समान नागरिक संहिता का मुद्दा हमेशा से पीएम मोदी और बीजेपी बिग्रेड के कोर एजेंडे में हमेशा से शामिल रहा है. जिसको लेकर बीते दिनों भारत के विधि आयोग ने देश के तमाम धार्मिक संगठनों से समान नागरिक संहिता को लेकर सुझाव 30 दिनों के अंदर देने की अपील की थी. विधि आयोग के इस पहल को को मोदी सरकार के पहले कदम के तौर पर देखा गया.

क्या है समान नागरिक संहिता?

समान नागरिक संहिता यानी कि एक देश एक कानून. समान नागरिक संहिता के तहत देश में रहने वाले सभी धर्मों के लोगों के लिए एक कानून होगा. समान नागरिक के तहत विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेना, संपत्ति के बंटवारे जैसे विषय आते हैं. फिलहाल भारत में ऐसा नहीं है. भारत में समान नागरिक संहिता लागू नहीं है, यहां कई निजी कानून धर्म के आधार पर तय हैं. भारत में हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध के लिये एक व्यक्तिगत कानून है. वहीं, मुसलमानों और इसाइयों के लिए उनके अपने कानून हैं. इस्लाम धर्म के लोग शरीअत या शरिया कानून को मानते हैं, जबकि अन्य धर्म के लोग भारतीय संसद द्वारा तय कानून को सर्वोपरी मानते हैं. यूनिफॉर्म सिविल कोड के जरिए पर्सनल लॉ को खत्म करके सभी के लिए एक जैसा कानून बनाए जाने की मांग की जा रही है. यानी भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए निजी मामलों में भी एक समान कानून, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो. संविधान के चौथे भाग में राज्य के नीति निदेशक तत्व का विस्तृत ब्यौरा है जिसके अनुच्छेद 44 में कहा गया है कि सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता लागू करना सरकार का दायित्व है.

किन देशों में लागू में यूसीसी?

समान नागरिक संहिता को मानने वाले देशों की लंबी सूची है. इनमें अमेरिका, आयरलैंड, पाकिस्तान, बांग्लादेश, मलेशिया, तुर्किये, इंडोनेशिया, सूडान, मिस्र, जैसे कई देश शामिल हैं, जो समान नागरिक संहिता को मानते हैं। इन देशों में सभी धर्म के लोगों के लिए एक समान कानून होता है. इन जगहों पर किसी विशेष धर्म या समुदाय के लिए उनका अपना कानून नहीं है.

गोवा में लागू है यूनिफॉर्म सिविल कोड

 भारतीय संविधान में गोवा को विशेष राज्य का दर्जा मिला हुआ है. साथ ही संसद ने कानून बनाकर गोवा को पुर्तगाली सिविल कोड लागू करने का अधिकार दिया था. यह सिविल कोड आज भी गोवा में लागू है. इसको गोवा सिविल कोड के नाम से भी जाना जाता है. गोवा में हिंदू, मुस्लिम और ईसाई समेत सभी धर्म और जातियों के लिए एक फैमिली लॉ है. यानी शादी, तलाक और उत्तराधिकार के कानून हिंदू, मुस्लिम और ईसाई सभी के लिए एक समान हैं. गोवा में किसी मुस्लिम को तीन बार बोलकर अपनी पत्नी को तलाक देने का हक नहीं हैं. इसके अलावा शादी तभी कानूनी तौर पर मान्य होगी, जब उसका रजिस्ट्रेशन कराया जाएगा. अगर गोवा में एक बार शादी का रजिस्ट्रेशन हो जाता है, तो तलाक सिर्फ कोर्ट से ही मिलता है. 

गोवा में संपत्ति पर पति और पत्नी का समान अधिकार है. हिंदू, मुस्लिम और ईसाई के लिए अलग-अलग कानून नहीं हैं. गोवा को छोड़कर देश के बाकी हिस्सों में हिंदू, मुस्लिम और ईसाई धर्म के लिए अलग-अलग नियम हैं. गोवा में ये भी नियम है कि पैरेंट्स को अपनी कम से कम आधी संपत्ति का मालिक अपने बच्चों को बनाना होगा, जिसमें बेटियां भी शामिल हैं.

 गोवा में मुसलमानों को चार शादी करने का अधिकार नहीं है, लेकिन हिंदू पुरुष को दो शादी करने की छूट है. हालांकि इसके लिए कुछ कानूनी प्रावधान भी हैं. अगर हिंदू शख्स की पत्नी 21 साल की उम्र तक बच्चे पैदा नहीं कर पाती है या 30 साल की उम्र तक लड़का पैदा नहीं करती है तो उसका पति दूसरी शादी कर सकता है. वैसे गोवा के सीएम प्रमोद सावंत बता चुके हैं कि साल 1910 के बाद से इस नियम का फायदा किसी भी हिंदू को नहीं मिला है.
 

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27 June 2023, 06:16 PM IST

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