नजूल संपत्ति बिल लाने के पीछे क्या है योगी का प्लान, जानिए पूरी डिटेल

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार नजूल की जमीन को लेकर आई बिल पर घिरती नजर आ रही है. ये बिल विधानसभा में पास हो गया था लेकिन विधान परिषद में यह अटक गया था. बता दें कि, नजूल जमीनों का बड़ा हिस्सा बड़े मुख्य शहरों के बीचो-बीच मौजूद है. यह जमीन कभी भी किसी व्यक्ति विशेष की नहीं होती है. तो चलिए समझते हैं इस बिल के पीछे योगी सरकार का क्या प्लान है.

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सीएम योगी आदित्यनाथ का नजूल संपत्ति अधिनियम की चर्चा भले ही शांत हो गई हो लेकिन यह विधेयक अब भी अस्तित्व में है. अगर सीएम योगी की चली तो कुछ समय बाद कुछ संशोधनों के साथ एक बार फिर इस विधेयक पास किया जा सकता है. ऐसा नहीं है कि नजूल संपत्ति विधेयक को अचानक सरकार ने बनाकर पेश कर दिया है. बल्कि सत्ता के गलियारे में इस विधेयक चर्चा काफी समय से चल रही थी. इस विधेयक 2 लाख करोड़ की लगभग 75 हजार एकड़ भूमि के इस नूजूल संपत्ति के बंदरबांट को प्रदेश में रोका जा सके.

आपको बता दें कि, नजूल की जमीन कभी भी किसी व्यक्ति विशेष की नहीं होती. आजादी के पहले और आजादी के बाद इन जमीनों के लीज और पट्टे लोगों को दे दिए गए थे. वो भी बेशकीमती थे और आज भी बेशकीमती है. नजूल जमीनों का एक बड़ा हिस्सा बड़े मुख्य शहरों के बीचों-बीच मौजूद है.

CM योगी ने पास किया था अध्यादेश

इसी साल पांच मार्च को cm योगी ने नजूल की जमीन को लेकर एक एक अध्यादेश पारित किया था. इस राज्यपाल ने मंजूरी भी दे दी थी. हालांकि, इसे कानून बनाने के लिए विधानसभा से पास होना जरूरी था इसलिए उन्होंने 31 जुलाई को यूपी नजूल संपत्ती बिल 2024 में पेश किया. इस विधेयक पर भारी विरोध देखने को मिला. वहीं इसके अगले दिन यानी 1 अगस्त को जब इसे विधानसभा परिषद में पेश किया गया तो बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और विधान परिषद के सदस्य भूपेंद्र चौधरी ने इसका विरोध कर दिया और उन्होंने इस बिल को प्रवर समिति के पास भेजने की मांग की. अब प्रवर समिति की रिपोर्ट आने के बाद ही इस विधेयक पर कोई फैसला लिया जाएगा.

क्या है इस बिल के पीछे का मकसद

उत्तर प्रदेश में करीब 72 से 75 हजार एकड़ नजूल की जमीन है जिसकी अवैध कब्जा कर लेना आसान शिकार है तो उसे दस्तावेज तैयार कर कौड़ियों के भाव में अपने पक्ष में फ्री होल्ड करने का खेल लंबे समय से खेल रहे हैं. इन्हीं बड़े माफिया पर शिकंजा कसने के लिए योगी सरकार ने ये बिल पारित किया है. अतीक अहमद प्रयागराज के सबसे बड़े माफिया में से एक थे. अतिक ने प्रयागराज के सिविल लाइन से लेकर लखनऊ के हजरतगंज तक न जाने कितनी दूर की जमीनों पर कब्जे किया और ऐसे ही अपने कारोबार की मदद से हजारों करोड़ों की संपत्ति बना ली. इसके अलावा मुख्तार अंसारी ने भी लखनऊ से ही दूसरी कई बड़े शहरों में नजूल  संपत्तियों की मदद से अपना कारोबार खड़ा किया है.


First Updated : Sunday, 04 August 2024