नॉलेज : अमेरिका में पहली बार नाइट्रोजन गैस से दी गई सजा-ए-मौत, जानिए दुनिया के अलग-अलग देशों में मौत देने के क्या हैं तरीके

दुनिया के 33 देशों में मौत की सजा देने के लिए फांसी पर चढ़ाया जाता है. इनमें से भारत भी एक है. ये ऐसे देश हैं, जहां मृत्युदंड के लिए केवल फांसी का ही इस्तेमाल किया जाता है. विश्व भर में छह देश ऐसे भी हैं, जहां पत्थर मारकर सजा-ए-मौत दी जाती है, जबकि पांच देशों में इंजेक्शन लगाकर यह दंड दिया जाता है.

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अमेरिका में पहली बार एक व्यक्ति को नाइट्रोजन गैस से मौत की सजा दी गई है. इससे मौत की सजा को लेकर बहस एक बार फिर से गर्म हो गई है. वैसे तो दुनिया के तमाम देशों में सजा-ए-मौत दी जाती है, लेकिन इसको लेकर दुनिया भर के देशों में बहस छिड़ी रहती है, कि मौत की सजा देनी चाहिए या नहीं. वहीं मौत की सजा कैसे देनी चाहिए, जिससे कि सजा पाने वाले को दर्द न हो. अमेरिका ने पहली बार नाइट्रोजन गैस से मौत की सजा के लिए क्या तरीका अपनाया और दुनिया भर के देशों में सजा-ए-मौत किन-किन तरीकों से दी जाती है. आज हम आपको इसके बारे में बता रहे हैं. 

फेसमास्क पहनाकर छोड़ी नाइट्रोजन

अमेरिका में हत्या के दोषी ठहराए गए 58 साल के केनेथ यूजीन स्मिथ को अलबामा जेल में नाइट्रोजन गैस से मौत दी गई. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार केनेथ यूजीन स्मिथ को पहले एक फेसमास्क पहनाया गया इसके बाद मॉस्क के जरिए नाइट्रोजन गैस छोड़ी गई. इसके कारण स्मिथ के शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो गई और उसकी मौत हो गई. अमेरिका में किसी को मौत देने के लिए पहली बार इस तरीके को अपनाया गया है. इससे पहले तक अमेरिका में मौत की सजा पाए क्रिमिनल को जहर का इंजेक्शन देकर मौत दी जाती थी. यह तरीका वहां 1982 में अपनाया गया था. तब से इसी तरीके का इस्तेमाल हो रहा है. वैसे अमेरिका में इलेक्ट्रोक्यूशन के साथ ही गोली मारकर भी मौत की सजा देने का प्रावधान है.

73 देशों में मार दी जाती है गोली

अमेरिका के अलावा दुनिया भर के देशों में आज भी मौत की सजा देने का प्रावधान है. हालांकि मौत देने के तरीके अलग-अलग हैं. कई देशों में मौत देने के लिए एक तरीका अपनाया जाता है तो किसी और देश में अलग तरीका अपनाया जाता है. दुनिया भर में 58 देश ऐसे हैं जहां आज भी सजा-ए-मौत दी जाती है. हालांकि, सबसे ज्यादा जिस तरीके का इस्तेमाल होता है, वह है गोली मारना. दुनिया के 73 देशों में गोली मारकर मौत की सजा दी जाती है. इन 73 देशों में से 45 देश ऐसे हैं, जहां मौत की सजा लागू करने के लिए केवल फायरिंग का इस्तेमाल किया जाता है. यहां फायरिंग स्क्वाड इस सजा को लागू करता है.

भारत समेत 33 देशों में दी जाती है फांसी

दुनिया के 33 देशों में मौत की सजा देने के लिए फांसी पर चढ़ाया जाता है. इनमें से भारत भी एक है. ये ऐसे देश हैं, जहां मृत्युदंड के लिए केवल फांसी का ही इस्तेमाल किया जाता है. विश्व भर में छह देश ऐसे भी हैं, जहां पत्थर मारकर सजा-ए-मौत दी जाती है, जबकि पांच देशों में इंजेक्शन लगाकर यह दंड दिया जाता है. तीन देश ऐसे भी हैं, जहां मृत्युदंड देने के लिए सिर कलम कर दिया जाता है. वैसे विश्व के 58 देश जहां मृत्युदंड देने में आगे हैं, वहीं 97 देश ऐसे भी हैं जहां इस सजा के प्रावधान को ही खत्म किया जा चुका है. बाकी कई देश ऐसे भी हैं, जहां केवल लड़ाई के दौरान मौत का दंड दिया जाता है.

कई देशों में एक से ज्यादा तरीकों का होता है इस्तेमाल

अफगानिस्तान और सूडान में मौत की सजा के लिए फायरिंग के साथ ही फांसी और पथराव का इस्तेमाल किया जाता है. ऐसे ही मिस्र, ईरान, कुवैत, युगांडा, सीरिया और भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में फायरिंग के साथ ही फांसी का प्रावधान है. फांसी देने वाले देशों में भारत के साथ ही जिंबाब्वे, दक्षिण कोरिया, जाम्बिया, तंजानिया, बोत्सवाना, बारबाडोस, मलेशिया आदि हैं. चीन में फायरिंग और इंजेक्शन, दोनों तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है. अर्मीनिया, घाना, इंडोनेशिया, चिली, बहरीन, थाईलैड, टोगो, तुर्कमेनिस्तान और यमन जैसे देशों में फायरिंग के जरिए क्रिमिनल को मौत की सजा दी जाती है. फिलीपींस में इसके लिए केवल इंजेक्शन का इस्तेमाल किया जाता है. First Updated : Saturday, 27 January 2024

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