नॉलेज : शादी के लिए धर्म बदलना जरूरी नहीं, स्पेशल मैरिज एक्ट देता है दूसरे धर्म में विवाह की इजाजत

Special Marriage Act : अगर दो अलग धर्मों से आने वाले लोग शादी करना चाहते हैं तो उनको धर्म बदलने की जरूरत नहीं है.भारतीय विधान में स्‍पेशल मैरिज एक्‍ट बनाया गया है. इसमें बिना धर्म बदले दोनों लोग शादी कर सकते हैं. इस कानून के दायरें में हिंदू-मुस्लिम ही नहीं देश के सभी धर्मों के नागरिक आते हैं.

Pankaj Soni
Edited By: Pankaj Soni

आपने अंतर धार्मिक प्रेम विवाह में देखा होगा कि एक-दूसरे से शादी करने के लिए जोड़े में कोई एक इंसान अपना धर्म बदलकर साथी से शादी कर लेता है. यह भी देखने में आता है कि अगर जोड़ा हिंदू-मुसलमान हो तो मामला तूल पकड़ लेता है और विवाद बढ़ने लगता है. लेकिन, क्‍या आपको पता है कि देश में ऐसा कानून है, जिसके तहत शादी करने के लिए धर्म बदलने की जरूरत नहीं है. आज हम आपको स्‍पेशल मैरिज एक्‍ट के बारे में बता रहे हैं. स्‍पेशल मैरिज एक्‍ट बिना धर्म बदले लोगों को शादी करने का मौका देता है. स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 को SMA भी  कहा जाता है. यह सिविल मैरिज कानून है, जो धर्म की जगह राज्य को विवाह कराने का अधिकार देता है. विवाह, तलाक, बच्चे को गोद लेने जैसे काम धार्मिक नियमों के तहत निर्धारित होते हैं. 


क्या शादी से पहले धर्म बदलना जरूरी है?

भारतीय कानून के तहत हिंदू मैरिज एक्‍ट और मुस्लिम मैरिज एक्‍ट के अनुसार होने वाले पति और पत्नी दोनों का धर्म एक होना चाहिए. अगर दोनों का धर्म अलग है तो पर्सनल लॉ के अनुसार शादी नहीं हो सकती. एक उदाहरण से इसे समझ सकते हैं. अगर कोई हिंदू और मुस्लिम लड़का-लड़की मुस्लिम मैरिज एक्ट के हिसाब से शादी करना चाहें तो हिंदू लड़की मुस्लिम धर्म अपनाना ही होगा. अगर दोनों हिंदू मैरिज एक्ट के जरिये शादी करना चाहते हैं तो मुस्लिम लड़के को हिंदू बनना होगा.

तब बिना धर्म बदले कैसे शादी होगी?

दो अलग धर्मों से आने वाले लोगों की शादी के लिए संविधान में स्‍पेशल मैरिज एक्‍ट बनाया गया है. इसमें बिना धर्म बदले और अपनी धार्मिक पहचान गवाए बगैर दोनों लोग शादी कर सकते हैं. इस कानून के दायरें में हिंदू-मुस्लिम ही नहीं देश के सभी धर्मों के नागरिक आते हैं. भारत में सिविल और धार्मिक दोनों तरह के विवाह को मंजूरी है. इसमें हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध समेत भारत के सभी धर्म के लोग शामिल हैं. 

स्‍पेशल मैरिज एक्‍ट की क्या शर्तें है?

स्‍पेशल मैरिज एक्‍ट के तहत शादी के लिए युवक- युवती दोनों में से किसी की पहले शादी न हुई हो. अगर हुई हो तो तलाक मिल चुका हो. इसके अलावा अगर दोनों में कोई भी पक्ष मानसिक तौर पर शादी के लिए सहमति देने में अक्षम है तो स्‍पेशल मैरिज एक्‍ट के तहत विवाह नहीं होगा. अगर दोनों पक्ष सहमति देने की स्थिति में हों, लेकिन दोनों में से किसी को भी बार-बार पागलपन के दौरे आते हों या किसी मानसिक विकार से पीड़ित हों तो उनकी आपस में शादी नहीं हो सकती है. ऐसे लोग विवाह के लिए अयोग्य माने जाएंगे. दोनों की उम्र कानून के मुताबिक तय सीमा से ज्‍यादा न हो. 

नोटिस के बाद आपत्ति होने पर होगी जांच 

विवाह की प्रक्रिया के लिए पहले कानून की धारा-5, 6 और 7 के तहत शादी करने वाले पक्षों को जिले में मैरिज ऑफिसर को लिखित नोटिस देना होगा. इसमें कम से कम एक पक्ष एक महीने से उस जिले का निवासी होना चाहिए. ऑफिस नोटिस को दोनों पक्षों को जारी करता है. इसके बाद 30 दिन का समय मिलता है. इस दौरान अगर किसी को शादी पर आपत्ति हो तो उसकी जांच होगी. इसके बाद अगर आपत्ति की जांच में धारा-4 के किसी प्रावधान का उल्लंघन नहीं पाया गया तो शादी की प्रक्रिया शुरू होती है.

शादी के लिए धर्म बदलने की नई गाइडलाइंस

दिल्‍ली हाईकोर्ट ने दो अलग धर्म के लोगों के बीच शादी को लेकर गाइडलाइंस जारी की हैं. इसमें शादी के लिए धर्म परिवर्तन करने वालों के लिए नए नियम बताए गए हैं. दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि धर्म बदलने वाले पक्ष को इस फैसले से जुड़ी परेशानियों के बारे में जानना होगा. उसे धर्म से जुड़े प्रभाव की जानकारी दी जानी चाहिए. साथ ही धर्म बदलने के बाद कानूनी स्थिति में बदलावों के बारे में पता होना चाहिए.

दोनों पक्षों को जमा करने होंगे ये डॉक्यूमेंट्स 

हाई कोर्ट ने कहा कि बिना जानकारी के अपने धर्म को छोड़कर दूसरे धर्म को अपनाने से कई समस्‍याएं आ सकती हैं. ऐसे में अंतर धर्म विवाह करने वालों को तैयार रहना चाहिए. इस शादी के लिए दोनों पक्षों की उम्र, वैवाहिक इतिहास, वैवाहिक स्थिति से जुड़ा हलफनामा देना होगा. धर्मांतरण वाले सर्टिफिकेट के साथ एक और सर्टिफिकेट जोड़ा जाएगा, जिसमें नए धर्म के सिद्धांतों, अनुष्ठानों और अपेक्षाओं के साथ तलाक, उत्तराधिकार, हिरासत व धार्मिक अधिकारों से संबंधित जानकारी के बारे में बताया गया हो. धर्म बदलने वाले पक्ष को ये सर्टिफिकेट स्थानीय भाषा में पेश करने होंगे. इससे सुनिश्चित होगा कि व्यक्ति ने प्रक्रिया को सही ढंग से समझा है.

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03 February 2024, 12:29 PM IST

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