Bhart ने रूसी तेल से की दुनिया की मदद, केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी का बड़ा बयान
रूस से तेल खरीदकर भारत ने वैश्विक बाजार में स्थिरता बनाए रखने का संदेश दिया है। केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि रूस से सस्ते तेल की खरीदारी से भारत को अपने ऊर्जा संसाधन मजबूत करने और जनता को किफायती दरों पर ईंधन उपलब्ध कराने में मदद मिली है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व को सराहते हुए कहा कि यह कदम स्थायी और सस्ती ऊर्जा सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
नई दिल्ली. केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी का कहना है कि भारत ने रूस से तेल खरीदकर पूरी दुनिया पर एक अहसान किया है। हरदीप सिंह पुरी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर यह बयान देते हुए बताया कि अगर भारत ने यह कदम नहीं उठाया होता, तो वैश्विक तेल की कीमतें 200 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच जातीं। उनके इस बयान को लेकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बहस छिड़ गई है, जिसमें वे भारत द्वारा सस्ते रूसी तेल की खरीद पर हो रही आलोचनाओं का मुँहतोड़ जवाब देते नजर आए।
रूसी तेल पर नहीं थे प्रतिबंध, बल्कि प्राइस कैप लगा था
मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने जोर देकर कहा कि रूसी तेल पर किसी प्रकार का प्रतिबंध नहीं लगा था, बल्कि केवल कीमतों पर एक कैप लगाया गया था। उन्होंने बताया कि भारतीय कंपनियों ने इस नियम का पूरी तरह से पालन किया है। "कुछ अज्ञानी टिप्पणीकारों ने भारत पर प्रतिबंध की बात की थी, जबकि कई यूरोपीय और एशियाई देशों ने भी रूस से अरबों डॉलर का क्रूड ऑयल, डीजल, एलएनजी और अन्य खनिज खरीदे हैं।" इससे यह साफ होता है कि केवल भारत ही नहीं, बल्कि कई देशों ने रूस से तेल खरीदना जारी रखा है ताकि वैश्विक बाजार में ऊर्जा की स्थिरता बनी रहे।
ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत का दृष्टिकोण
केंद्रीय मंत्री ने भारत की ऊर्जा नीति पर भी अपनी बात रखते हुए कहा कि भारत उन्हीं स्रोतों से तेल खरीदेगा, जो सबसे कम कीमतों पर उसे ऊर्जा उपलब्ध करा सकें। हरदीप सिंह पुरी ने कहा, "यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व की ताकत है कि हम उन 7 करोड़ नागरिकों के लिए ऊर्जा की स्थिर और सस्ती उपलब्धता सुनिश्चित कर रहे हैं, जो रोज पेट्रोल पंप पर जाते हैं।" उनका कहना है कि यह सरकार की प्राथमिकता है कि देश में ऊर्जा की अफोर्डेबिलिटी और सस्टेनेबिलिटी बनी रहे।
भारत में तेल की कीमतों में आई गिरावट
हरदीप सिंह पुरी ने यह भी बताया कि भारत ही एकमात्र ऐसा बड़ा तेल उपभोक्ता है, जहाँ पिछले तीन वर्षों में तेल की कीमतों में गिरावट देखी गई है। जब अन्य देशों में तेल के दाम आसमान छू रहे थे, तब भारत में इसका विपरीत असर देखा गया। पुरी ने इस बात पर जोर दिया कि भारत अपनी 80% से अधिक तेल की जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर है। इसलिए तेल की कीमतें कम रखना और उपभोक्ताओं पर महंगाई का बोझ न डालना भारत की प्राथमिकता है।
वैश्विक बाजार में तेल की कीमतें और भारत की भूमिका
शुक्रवार को क्रूड ऑयल के डब्ल्यूटीआई (WTI) फ्यूचर्स की कीमत 71.87 डॉलर प्रति बैरल और ब्रेंट क्रूड की कीमत 75.19 डॉलर प्रति बैरल रही। भारत के सस्ते रूसी तेल खरीदने के फैसले ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमतों को स्थिर रखने में सहायक भूमिका निभाई है। इस तरह, भारत ने न केवल अपनी अर्थव्यवस्था की सुरक्षा की, बल्कि वैश्विक तेल बाजार में स्थिरता बनाए रखने में भी योगदान दिया।
भारत किसी भी समझौते के लिए तैयार नहीं: पुरी
हरदीप सिंह पुरी के इस बयान से स्पष्ट हो गया है कि भारत ने अपने नागरिकों की ऊर्जा सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया है। उन्होंने कहा कि भारत की प्राथमिकता सस्ती, स्थिर और सतत ऊर्जा उपलब्धता है, और इसे लेकर भारत किसी भी समझौते के लिए तैयार नहीं है।