वॉशिंगटन में बांग्लादेश को लेकर क्या हुई बातचीत?, विदेश मंत्री जयशंकर बोले- ज्यादा जानकारी देना उचित नहीं
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बांग्लादेश में मौजूदा हालात को लेकर अमेरिका के अपने समकक्ष मार्को रूबियो और अमेरिकी एनएसए माइक वाल्टज के साथ संक्षिप्त चर्चा की. उन्होंने कहा कि इस संबंध में ज्यादा जानकारी देना उचित नहीं होगा. बता दें कि बांग्लादेश में शेख हसीना के तख्तापलट के बाद लगातार अल्पसंख्यक हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा है.

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि उन्होंने बांग्लादेश के मौजूदा हालात पर अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वाल्ट्ज के साथ संक्षिप्त चर्चा की. जयशंकर ने कहा, ‘‘हां हमने बांग्लादेश पर संक्षिप्त चर्चा की. मुझे नहीं लगता कि उसके बारे में ज्यादा जानकारी देना उचित होगा.’’
दरअसल उनसे सवाल किया गया था कि क्या रूबियो और वाल्ट्ज के साथ बैठक के दौरान बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के साथ बर्ताव के मुद्दे पर चर्चा हुई थी जिस पर उन्होंने यह जवाब दिया.
भारतीय दूतावासों पर हमले का भी मुद्दा उठा
जयशंकर ने कहा कि अमेरिका में भारतीय वाणिज्य दूतावासों पर हमलों या यहां भारतीय राजनयिकों को खतरे के बारे में कोई चर्चा नहीं हुई. उन्होंने कहा, ‘‘मैंने इस अवसर पर उन मुद्दों को नहीं उठाया.’’
जयशंकर ने कहा, ‘‘लेकिन मैं यह जरूर कहूंगा कि सैन फ्रांसिस्को में हमारे वाणिज्य दूतावास पर हमला बहुत ही गंभीर मामला है. यह ऐसा मामला है जिसके लिए हम जवाबदेही की उम्मीद करते हैं और चाहते हैं कि जिसने यह हमला किया है, उन्हें जिम्मेदार ठहराया जाए.’’
पिछले दो वर्षों में अमेरिकी अदालतों में आए दो मामलों - एक पूर्व भारतीय अधिकारी के खिलाफ और दूसरा एक भारतीय कारोबारी के खिलाफ के बारे में पूछे जाने पर जयशंकर ने कहा, ‘‘इन मामलों को बैठक के दौरान नहीं उठाया गया.’’
पाकिस्तान से कोई बातचीत नहीं
इससे पहले जयशंकर ने पाकिस्तान के साथ फिर से व्यापार शुरू करने को लेकर स्पष्ट तौर पर कहा कि उनसे कोई बातचीत नहीं हुई है. एक सवाल के जवाब में जयशंकर ने कहा, ‘‘पिछले साल के बाद से पाकिस्तान के साथ व्यापार पर कोई बातचीत नहीं हुई है और न ही पाकिस्तान की तरफ से कोई पहल की गई है.
विदेश मंत्री ने कहा कि ने कहा कि भारत ने पाकिस्तान के साथ व्यापार कभी नहीं रोका और इस संबंध में फैसला पाकिस्तान सरकार ने 2019 में लिया था. जयशंकर ने कहा कि शुरू से ही हमारी दिलचस्पी थी कि भारत को सबसे पसंदीदा राष्ट्र का दर्जा मिले. हम पाकिस्तान को एमएफएन का दर्जा देते थे, लेकिन उन्होंने हमें वही दर्जा नहीं दिया.


