अतुल सुभाष की क्या थीं ये 3 आखिरी इच्छाएं, झकझोर देगी उनकी मौत की दर्दनाक कहानी

Atul Subhash Death: दहेज कानून का मकसद महिलाओं को सुरक्षा देना है, लेकिन यह कानून जब पुरुषों के लिए अन्याय का माध्यम बन जाए, तो सवाल उठना लाजिमी है. अतुल सुभाष की आत्महत्या ने इस अन्यायपूर्ण पहलू को उजागर कर दिया. बेटे की दर्दनाक मौत के बाद समस्तीपुर के अग्रवाल परिवार का गुस्सा फूट पड़ा है. उनका कहना है कि अतुल अपने जीवन का अंत कर सरकार और समाज को एक संदेश देकर गए हैं, जो अब अनसुना नहीं रहना चाहिए.

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Atul Subhash Case: बेंगलुरु में एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंपनी में काम करने वाले 34 वर्षीय AI सॉफ्टवेयर इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या ने समाज और न्याय व्यवस्था को झकझोर कर रख दिया है. आत्महत्या से पहले, अतुल ने 24 पन्नों का एक सुसाइड नोट और 80 मिनट का एक वीडियो रिकॉर्ड किया, जिसमें उन्होंने अपनी पत्नी निकिता सिंघानिया और उनके परिवार पर उत्पीड़न, पैसे ऐंठने और बच्चे से उन्हें दूर करने का आरोप लगाया. इस घटना ने वैवाहिक विवादों में कानूनों के दुरुपयोग की बहस को फिर से तेज कर दिया है.

दहेज कानूनों के दुरुपयोग पर गंभीर आरोप

आपको बता दें कि अतुल ने सुसाइड नोट में न्यायिक प्रणाली और दहेज उत्पीड़न कानूनों के दुरुपयोग पर कड़ा प्रहार किया है. उन्होंने अपनी पत्नी पर आरोप लगाया है कि उनके परिवार और उनको झूठे आरोप में फसाया गया है. उन्होंने दावा किया है कि निकिता ने उनसे 3 करोड़ रुपये की मांग की थी और उन्हें कई फर्जी मुकदमों में फंसा दिया. बता दें कि उन्होंने कहा है कि, ''मेरा कमाया हुआ पैसा मेरे खिलाफ ही इस्तेमाल हो रहा है.'' उन्होंने वीडियो में आगे कहा, ''उनकी मेहनत की कमाई का इस्तेमाल उन्हें और उनके परिवार को कानूनी झमेलों में उलझाने के लिए किया जा रहा था.''

अतुल की अंतिम इच्छाएं…

बता दें कि अपनी आत्महत्या से पहले, अतुल ने तीन अंतिम इच्छाओं का जिक्र किया:-

  • उनका बच्चा उनके माता-पिता के पास रहे, क्योंकि उनकी पत्नी के पास उसे पालने की समझ और साधन नहीं हैं.
  • उनकी मृत्यु के बाद उनकी पत्नी या उसके परिवार के किसी भी सदस्य को उनके शरीर को छूने की इजाजत न दी जाए.
  • उनकी अस्थियों का विसर्जन तब तक न किया जाए जब तक उनके उत्पीड़कों को सजा न मिले. यदि न्याय नहीं मिलता, तो उनकी अस्थियां कोर्ट के बाहर गटर में बहा दी जाएं.

वैवाहिक विवादों में कानून का दुरुपयोग

वहीं बताते चले कि अतुल की मौत के बाद सुप्रीम कोर्ट ने दहेज उत्पीड़न के मामलों में कानूनों के दुरुपयोग पर टिप्पणी की. अदालत ने कहा कि आईपीसी की धारा 498ए का उपयोग कभी-कभी वैवाहिक कलह में व्यक्तिगत प्रतिशोध के लिए किया जाता है. न्यायालय ने यह भी कहा कि अदालतों को ऐसे मामलों में विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए ताकि निर्दोष परिवारों को परेशान होने से बचाया जा सके.

पत्नी के गंभीर आरोप और 9 मुकदमों का दंश

अतुल सुभाष के 24-पन्नों के सुसाइड नोट ने उनकी जीवन की त्रासदी को उजागर किया. उनके अनुसार, पत्नी निकिता सिंघानिया, जो एक आईटी कंपनी में काम करती थीं, 2021 में बेटे को लेकर जौनपुर चली गईं. इसके बाद उन्होंने अतुल और उनके परिवार पर दहेज उत्पीड़न, हत्या की कोशिश, अप्राकृतिक यौन संबंध के लिए मजबूर करने जैसे संगीन आरोप लगाते हुए कुल 9 मामले दर्ज कराए.

बता दें कि इन मामलों में 40 हजार रुपये मासिक गुजारा भत्ता दिए जाने के बावजूद निकिता ने अतिरिक्त दो से चार लाख रुपये की मांग की. लगातार कानूनी लड़ाई और आरोपों से घिरे अतुल को मानसिक और आर्थिक रूप से पूरी तरह तोड़ दिया गया.

रिश्वत और न्यायिक तंत्र पर गहरा सवाल

सुसाइड नोट में अतुल ने खुलासा किया कि उनके खिलाफ दर्ज नौ मामलों में से छह मुकदमे ट्रायल कोर्ट में और तीन हाईकोर्ट में चल रहे थे. महज दो साल के भीतर उन्हें 120 से ज्यादा अदालत की तारीखों पर हाजिरी देनी पड़ी, जिससे वे पूरी तरह टूट गए. इस दौरान, जौनपुर अदालत की जज और उनके स्टाफ पर उन्होंने गंभीर आरोप लगाए. अतुल ने लिखा कि उनके मुकदमों को निपटाने के लिए पांच लाख रुपये की रिश्वत मांगी गई थी. ''यह न्यायिक तंत्र मुझे न्याय नहीं दे पाया. मेरा फैसला अभी बाकी है. '' अतुल ने नोट में अपनी बेबसी जाहिर की.

'कानूनी लड़ाई की थकावट'

लगातार अदालतों के चक्कर और कानूनी मामलों ने अतुल को मानसिक और आर्थिक रूप से गहरा आघात पहुंचाया. उन्होंने अपने नोट में लिखा कि यह प्रणाली पीड़ितों को न्याय देने में असफल हो रही है. उन्होंने कहा, ''यह सिस्टम सिर्फ उत्पीड़न को बढ़ावा देता है और दोषियों को ताकतवर बनाता है.''

परिवार के खिलाफ केस

कर्नाटक पुलिस ने अतुल के भाई की शिकायत पर निकिता सिंघानिया, उनकी मां निशा सिंघानिया, भाई अनुराग उर्फ पीयूष सिंघानिया और चचेरे ससुर सुशील सिंघानिया के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया.


निकिता और अतुल का वैवाहिक विवाद

बता दें कि अतुल ने 2019 में निकिता से शादी की थी. एक साल बाद उनके बेटे का जन्म हुआ, लेकिन जल्द ही उनके रिश्ते में दरार आ गई. निकिता ने उन पर और उनके परिवार पर दहेज, मारपीट और अप्राकृतिक यौन संबंधों का आरोप लगाया. अतुल ने अपने नोट में लिखा कि निकिता के आरोप अस्पष्ट और झूठे थे.

समाज और न्याय प्रणाली पर सवाल

आपको बता दें कि अतुल की आत्महत्या ने वैवाहिक विवादों और कानूनों के दुरुपयोग पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. यह घटना इस बात की ओर इशारा करती है कि जरूरतमंदों को न्याय देने वाले कानून, अगर सही तरीके से लागू न हों, तो निर्दोष लोगों के लिए दु:स्वप्न बन सकते हैं.

बहरहाल, अतुल सुभाष का मामला दिल दहला देने वाला है, जो सामाजिक, कानूनी और न्यायिक प्रणालियों में सुधार की आवश्यकता को उजागर करता है. अतुल का सुसाइड नोट केवल उनके संघर्ष की कहानी नहीं है, बल्कि यह सिस्टम में सुधार की एक पुकार है. First Updated : Wednesday, 11 December 2024