Explainer: 30 दिन में गुनाह कबूला तो कम सजा, मॉब लिंचिंग पर फांसी; गवाही होगी Online, भारतीय न्याय संहिता में और क्या है खास
Bharatiya Nyaya Sanhita Bill 2023: संसद में तीन नए विधेयक पेश होने के बाद देश में कानून और न्याय व्यवस्था बदलने जा रही है. इसका सीधा असर हर भारतीय के जीवन पर पड़ेगा. न्याय व्यवस्था में क्या बदलेगा इसके बारे में आज हम आपको बता रहे हैं.
Bharatiya Nyaya Sanhita Bill 2023 : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को तीन नए विधेयकों को संसद में पेश किया, जिनको बहुमत से पास कर दिया गया. जल्द ही ये बिल कानून का रूप ले लेंगे. इसके साथ ही अंग्रेजों के जमाने का 163 साल पुराना कानून बदल गया है. भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता विधेयक-2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता विधेयक-2023 और भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक 2023 तीनों मिलकर देश की कानून और न्याय व्यवस्था में कई तरह के बदलाव करेंगे. यह तीनों बिल कानून बनते ही भारतीय दंड संहिता (1860), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (1973), भारतीय साक्ष्य अधिनियम (1872) की जगह लेंगे. आखिर न्याय सहिता बिल से क्या-क्या बदलेगा आज हम इसके बारे में जानते हैं.
बदल जाएंगी आपराध की धाराएं, सख्त होगी सजा
भारतीय न्याय संहिता के लागू होने से देश में अपराध करने पर लगने वाली धाराएं बदल जाएंगी. इस कानून में सजा और सख्त हो जाएगी. इस कानून के तहत लोगों को न्याय जल्दी मिलेगा, क्योंकि नए बिल में 7 दिन में केस की सुनवाई करने का प्रावधान है. वहीं 120 दिन में ट्रायल का नियम बनाया गया है.
रेप, हिट एंड रन की सजा, CRPC की धाराएं बदलीं
नए बिल के तहत CrPC की धाराओं को बढ़ाया गया है. पहले 484 धाराएं थीं, अब 531 धाराएं होंगी. नए बिल में 177 धाराएं बदल गई हैं. 9 नई धाराएं और 39 नई उप-धाराएं जोड़ी गई हैं. 44 नए प्रावधान किए गए हैं. नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपी को उम्रकैद की सजा होगी. कुछ मामलों में फांसी की सजा का प्रावधान भी किया गया है. दुष्कर्म की धाराएं अब 375, 376 नहीं 63 और 69 होंगी. हिट एंड रन केस में कम से कम 10 साल की सजा का प्रावधान है. हादसे में घायल को थाने या अस्पताल ले जाने पर सजा कम मिलेगी. डॉक्टरों की लापरवाही से मौत होने पर गैर-इरादतन हत्या का केस दर्ज किया जाएगा. लाठी से पीटने पर घायल के ब्रेन डेड होने पर कम से कम 10 साल की सजा होगी. दुष्कर्म के दोषी को अब कम से कम 20 साल की सजा होगी.
साइबर क्राइम, डकैती से के मामलों में सजा का प्रावधान किया गया है. सशस्त्र विद्रोह पर जेल तक जाना पड़ेगा. यौन शोषण से जुड़े केसों में पीड़िता के बयान महिला न्यायिक मजिस्ट्रेट रिकॉर्ड करेगी, जो पीड़िता के घर जाकर महिला पुलिस अधिकारी की मौजूदगी में दर्ज किए जाएंगे. इस दौरान पीड़िता के मां-बाप मौजूद रह सकते हैं.
राजद्रोह अब देशद्रोह कहलाएगा, सजा का प्रावधान
नए विधेयक के तहत राजद्रोह अब देशद्रोह कहलाएगा. किसी शख्स के खिलाफ बोलने पर सजा नहीं होगी, लेकिन देश के खिलाफ बोलना क्राइम होगा. सरकार के खिलाफ बोलना गुनाह नहीं कहलाएगा, लेकिन देश के खिलाफ बोलने पर मिली मौत की सजा को उम्रकैद में बदलने का प्रावधान किया गया है. आजीवन कारवास को 7 साल की सजा में भी बदला जा सकेगा.
आतंकवादी गतिविधि बड़ा अपराध होगा
नए बिल के तहत आतंकवाद को दंडनीय अपराध बनाया गया है. आतंक फैलाने पर कड़ी सजा मिलेगा. आरोपियों को सीधे जेल भेजा जाएगा. कार्रवाई और सजा दोनों का प्रावधान नए बिल के तहत किया गया है.
मॉब लिंचिंग होने पर फांसी की सजा
देश में अब मॉब लिंचिंग करने पर सजा का नियम बदल जाएगा. भारतीय न्याय संहिता बिल में प्रावधान किया गया है कि मॉब लिंचिंग करने पर फांसी की सजा हो सकती है. उम्रकैद की सजा का प्रावधान भी किया गया है. मॉब लिचिंग मतलब अपराध करने वाले को भीड़ के रूप में इकट्ठे होकर मौके पर सजा देना, पीट-पीट कर मार डालना है, जो कानूनन अपराध है, लेकिन किसी एक दोषी का पता नहीं चलने पर ऐसे मामलों में लोगों को न्याय नहीं मिल पाता था.
FIR, चार्जशीट, गवाहों, हिरासत के नियम भी बदले
भारतीय न्याय संहिता बिल के तहत, अब शिकायत मिलने पर पुलिस को 3 दिन में FIR दर्ज करनी होगी. दया याचिका 30 दिन में कोर्ट में पेश करनी होगी. पुलिस को किसी भी केस की प्रारंभिक जांच 14 दिन में पूरी करके FIR लिखनी होगी. अब केस में चार्जशीट 60 से 90 दिन के अंदर दाखिल करनी अनिवार्य होगी. कोई बहाना स्वीकार नहीं किया जाएगा. आरोपियों के खिलाफ 7 दिन के अंदर केस की सुनवाई करनी होगी. केस की सुनवाई के लिए अब ज्यादा से ज्यादा 120 दिन मिलेंगे. अगर कोई अपना गुनाह 30 दिन में कबूल लेता है तो सजा कम मिलेगी. अब गवाहों को कोर्ट आने की जरूरत नहीं होगी. वे ऑनलाइन गवाही दे सकेंगे. पुलिस हिरासत अब सिर्फ 15 दिन की होगी. गिरफ्तार किए गए शख्स को अगर अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ती है तो पुलिस को उसकी हिरासत के लिए कोर्ट में याचिका देनी होगी. वहीं हिरासत की अवधि के दौरान कोर्ट जमानत भी दे सकती है.
E-FIR, फोरेंसिक टेस्ट, जमानत का नियम बदला
नए बिल के तहत, महिलाओं को E-FIR की सुविधा मिलेगी. अगर कोई महिला थाने नहीं जाना चाहती तो वे ऑनलाइन FIR दर्ज करा सकती हैं. पुलिस को FIR होने के बाद 24 घंटे में मौके का दौरा करके बयान दर्ज करने होंगे. 7 साल या इससे अधिक सजा के प्रावधान वाले केसों में फोरेंसिक जांच अनिवार्य होगी. आरोपी की गैर-मौजूदगी में भी अब केस की सुनवाई होगी. अगर विदेशों में छिपे अपराधी सुनवाई के लिए 90 दिन के अंदर भारत नहीं आते तो उनकी अनुपस्थिति में भी केस की सुनवाई होगी और इसके लिए सरकारी वकील नियुक्त किया जाएगा. किसी का केस कोर्ट में विचाराधीन है तो वे सुनवाई पूरी होने तक सजा का एक तिहाई समय जेल में बिता चुके हैं तो उन्हें जमानत मिलेगी. अपनी पहचान छिपाकर या झूठे बहाने बनाकर शारीरिक संबंध बनाने वाले या शादी रचाने वाले के खिलाफ भी कार्रवाई और सजा का प्रावधान किया गया है.