पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का गुरुवार रात को निधन हो गया. उन्हें तबीयत बिगड़ने के बाद दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. शुक्रवार को उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा. लेकिन क्या आप जानते हैं कि राजकीय शोक या राष्ट्रीय शोक कब और क्यों घोषित किया जाता है?
पहले देश में केवल केंद्र सरकार ही राजकीय शोक की घोषणा करती थी, लेकिन अब राज्य सरकार भी ऐसा कर सकती है. पहले यह घोषणा केवल राष्ट्रपति केंद्र सरकार की सलाह पर करते थे, लेकिन अब राज्य सरकार अपने हिसाब से तय कर सकती है कि किसे राजकीय सम्मान दिया जाए. कई बार केंद्र और राज्य सरकार अलग-अलग राजकीय शोक घोषित करते हैं.
राजकीय शोक तब घोषित किया जाता है जब देश के किसी बड़े नेता, अभिनेता, या किसी अन्य महत्वपूर्ण व्यक्ति का निधन होता है, जिसने देश के लिए बड़ी सेवा की हो. केंद्र सरकार के 1997 के नियमों के अनुसार, राजकीय शवयात्रा के दौरान सार्वजनिक छुट्टी की कोई अनिवार्यता नहीं है. हालांकि, अगर राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री की मृत्यु होती है, तो छुट्टी घोषित की जाती है, और सरकार चाहें तो छुट्टी का ऐलान कर सकती है.
राजकीय शोक के दौरान, भारत के राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुका दिया जाता है. यह नियम विधानसभा, सचिवालय और महत्वपूर्ण सरकारी दफ्तरों पर लागू होता है. इस दौरान किसी भी प्रकार के औपचारिक या सरकारी कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया जाता है. इसके अलावा, समारोहों और आधिकारिक मनोरंजन पर भी प्रतिबंध रहता है.
राजकीय शोक कितने दिन तक रहेगा, यह राज्य सरकार के निर्णय पर निर्भर करता है. उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव के निधन पर तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया गया था, जबकि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर 7 दिन का राजकीय शोक घोषित किया गया था.
राजकीय शोक की घोषणा के बाद, सभी सरकारी कार्यक्रम रद्द कर दिए जाते हैं. इस दौरान, सचिवालय, मंत्रालय और अन्य सरकारी दफ्तरों में केवल जरूरी कामकाजी कार्य होते हैं, और कोई सांस्कृतिक या मनोरंजन कार्यक्रम नहीं होते. First Updated : Friday, 27 December 2024