Anna Hazare Birthday: समाजसेवी अन्ना हजारे को आज के समय में हर कोई जानता है. उन्होंने देश के लिए कई ऐसे काम किए जिसके लिए उनको याद किया जाता है. उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ भी लड़ाई की थी. 15 जून 197 को पैदा होनो वाले अन्ना हजारे महाराष्ट्र के अहमदनगर से आते हैं जहां बड़े पैमाने पर खेती होती है. उनका गांव रालेगण सिद्धि इसी जिले में है. अन्ना ने किसानों की परेशानियों को काफी नजदीक से देखा है.
इसी को देखते हुए उन्होंने 1980 में, सूखे या फसल की विफलता के समय जरूरतमंद किसानों को खाद्य सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से मंदिर में अनाज बैंक की शुरुआत की थी. जिससे किसानों के खेत हरे-भरे हो गए थे.
अन्ना हजारे ने किसानों की मुश्किलों को देखते हुए बीज बैंक की शुरुआत की थी. इस बीज बैंक में अमीर किसान या अधिक अनाज उत्पादन वाले लोग दान कर सकते थे. इस बैंक में जरूरत के समय में किसान अनाज उधार ले सकते थे. लेकिन ऐसी व्यवस्था थी कि उन्हें उधार लिया गया अनाज और एक अतिरिक्त क्विंटल ब्याज के रूप में वापस करना पड़ता था. ये करते पर कोशिश कामयाब भी हुई. ऐसा करने पर उस गांव में कोई भी व्यक्ति भूखा नहीं सोता था.
अनाज हजारे की कोशिश रंग भी लाई . इस अभियान का ये भी मकसद था कि फसल पैदा होने के समय कम कीमतों पर अनाज बिक्री करने की प्रथा को रोक दिया जाए. फसल और दूध को अच्छी कीमत मिले और किसानों-पशुपालकों को नुकसान न हो, इसके लिए यहां न सिर्फ अनाज बल्कि दूध बैंक भी है. जिससे वहां के किसानों का काफी फायदा हुआ था.
उस समय महाराष्ट्र में किसान पानी की किल्लत का सामना करता रहता था. इसको देखते हुए अन्ना हजारे ने अपने गांव वालों को वाटरशेड तटबंध बनाने और पानी को रोकने के लिए काम करने को राजी कर लिया. इसे जमीन में पानी बढ़ा और इस सूखे क्षेत्र में सिंचाई सुविधा में सुधार होने लगा. ये कोशिश करने पर गांव में पानी की समस्या भी दूर हो गई. किसानों कोसिंचाई के लिए पानी मिलने लगा.
बताया जाता है कि जब हजारे ने रालेगण सिद्धि गांव में ये कोशिश शुरू की तो वहां केवल 70 एकड़ भूमि सिंचित थी, हजारे की कोशिश से जमीन बढ़कर 2500 एकड़ हो गई. बताया गया है कि रालेगण सिद्धि में खेती के लिए अब पर्याप्त पानी है. किसान फसल की अच्छी पैदावार ले रहे हैं.
अन्ना हजारे ने 1975 में महाराष्ट्र राज्य में सूखी जगहों पर 70 से ज्यादा गांवों के किसानों की पानी से मदद की. ऐसा बताया जाता है कि सन 1975 में रालेगण सिद्धि में अकाल पड़ा था. जिस डैम से वहां पानी की कमी होती थी उसकी दीवार में दरार पड़ गई थी. सरकार के न काम करने से परेशान होकर अन्ना ने गांव वालों की मदद से पानी के सोर्स को फिर जीवित करवाया. ऐसा वाटर शेड यानी जल विभाजन तकनीक से संभव हुआ. अन्ना की पहचान भले ही भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने वाले समाजसेवी के तौर पर हो लेकिन खेती-किसानी के लिए भी उनका योगदान कम नहीं है. First Updated : Saturday, 15 June 2024