'वाह जब आप जीतते हैं तो EVM ठीक, हारते हैं तो गड़बड़', सुप्रीम कोर्ट का तीखा सवाल!
सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका खारिज कर दी जिसमें पेपर बैलेट से चुनाव कराने की मांग की गई थी. कोर्ट ने तीखा सवाल किया, 'जब जीतते हैं, तब ईवीएम पर कोई सवाल क्यों नहीं होता?' इस मामले ने चुनाव प्रक्रिया और नेताओं के बयानों पर बहस छेड़ दी है. याचिकाकर्ता ने ईवीएम को लोकतंत्र के लिए खतरा बताया, जबकि कोर्ट ने इसे निराधार कहकर खारिज कर दिया. जानिए, क्यों कोर्ट ने इस मुद्दे को राजनीति से जोड़ते हुए कड़ा रुख अपनाया. पढ़ें पूरी खबर!
Supreme Court Sharp Question: भारत के उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को एक याचिका खारिज कर दी जिसमें चुनाव प्रक्रिया में पेपर बैलेट का उपयोग अनिवार्य करने की मांग की गई थी. याचिका में आरोप लगाया गया था कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से छेड़छाड़ की जा सकती है. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कड़े शब्दों में पूछा, 'जब आप जीतते हैं तो ईवीएम से छेड़छाड़ का सवाल क्यों नहीं उठता?'
ईवीएम को लेकर कोर्ट का स्पष्ट रुख
याचिकाकर्ता केए पॉल ने दावा किया कि चंद्रबाबू नायडू और वाईएस जगन मोहन रेड्डी जैसे नेताओं ने भी ईवीएम पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि चुनावों में ईवीएम का इस्तेमाल लोकतंत्र के लिए खतरा हो सकता है. इसके जवाब में न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति पीबी वराले की पीठ ने टिप्पणी की, 'जब ये नेता चुनाव हारते हैं तो ईवीएम पर सवाल उठाते हैं, लेकिन जीतने पर कोई चर्चा नहीं करते.'
जनहित याचिका खारिज
कोर्ट ने याचिकाकर्ता से मजाकिया अंदाज में पूछा, 'आपके पास ऐसे विचार कहां से आते हैं?' पीठ ने यह भी कहा कि यह राजनीतिक मुद्दा है और इसे अदालत में नहीं उठाया जाना चाहिए.
याचिकाकर्ता ने यह भी मांग की थी कि चुनाव के दौरान मतदाताओं को प्रलोभन देने वाले उम्मीदवारों को पांच साल के लिए अयोग्य घोषित किया जाए. कोर्ट ने यह कहते हुए इसे भी खारिज कर दिया कि उनका कार्यक्षेत्र समाज सेवा है और उन्हें इस तरह के राजनीतिक मामलों में नहीं आना चाहिए. चुनाव आयोग ने हाल ही में दोहराया था कि ईवीएम पूरी तरह से सुरक्षित और पारदर्शी हैं. मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा था, 'जब परिणाम अनुकूल न हो तो सवाल उठाना सही नहीं. दुनिया में कहीं और इतनी पारदर्शी चुनाव प्रक्रिया नहीं है.'
याचिकाकर्ता का तर्क और कोर्ट का जवाब
केए पॉल ने सुझाव दिया कि भारत को अमेरिका जैसे देशों का अनुसरण करना चाहिए जो कागज के बैलेट का इस्तेमाल करते हैं. उन्होंने कहा कि ईवीएम छेड़छाड़ को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चिंता है. इस पर कोर्ट ने जवाब दिया, 'आप बाकी दुनिया से अलग क्यों नहीं होना चाहते?'
कोर्ट का संदेश साफ
सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि ईवीएम प्रणाली पारदर्शी और भरोसेमंद है. कोर्ट का फैसला न केवल तकनीक के प्रति विश्वास को मजबूत करता है बल्कि चुनाव प्रक्रिया को निष्पक्ष बनाए रखने की दिशा में भी एक मजबूत कदम है.'हार की वजह ईवीएम नहीं, खुद की तैयारी को देखें!'