अयोध्यानामा : राम मंदिर आंदोलन से जुड़े चर्चित चेहरे आज कहां हैं? इनको सियासत में किस हद तक मिली कामयाबी
राम मंदिर-बाबरी मस्जिद के समर्थन और विरोध के कारण कई नामचीन हस्तियां चर्चा में आईं थीं जो आज या तो अनंत में विलीन हो गईं हैं, या सियासत से दूर हो गईं हैं. आज हम इनमें से कुछ चर्चित चेहरों के बारे में बात करेंगे.
अयोध्या में राम मंदिर के गर्भगृह में भगवान श्रीराम की मूर्तियों की प्राण-प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होगी. इस बीच राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के हवाले से जानकारी मिल रही है कि बीजेपी के सीनियर नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी से इस उद्घाटन समारोह में शामिल नहीं हो पाएंगे. दोनों नेता उम्र और स्वास्थ्य संबंधी कारणों के चलते उद्घाटन समारोह में शामिल नहीं हो पाएंगे. राम मंदिर-बाबरी मस्जिद के समर्थन और विरोध के कारण कई नामचीन हस्तियां चर्चा में आईं थीं जो आज या तो अनंत में विलीन हो गईं हैं, या सियासत से दूर हो गईं हैं.
मस्जिद के पक्ष में इन्होंने किया संघर्ष
मस्जिद के पक्ष में दशकों संघर्ष करने वाले हामिद अंसारी, सैयद शहाबुद्दीन तो मंदिर के पक्ष में आंदोलन की अगुवाई करने वाले महंत रामचंद्रदास परमहंस, संघ प्रमुख रहे केसी सुदर्शन, अशोक सिंघल, देवराहा बाबा, महंत अवैद्यनाथ अब दुनिया में नहीं है. विवादित परिसर का ताला खुलवाने वाले तत्कालीन पीएम राजीव गांधी, बाबरी मस्जिद विध्वंस के दौरान पीएम रहे नरसिंह राव भी अनंत में विलीन हो गए. मंदिर के पक्ष में आंदोलन खड़ा करने वाले लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती अब संसदीय राजनीति से दूर हैं तो आडवाणी की रथ यात्रा रोकने वाले बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव का चारा घोटाले में सजा के बाद राजनीतिक करियर खत्म हो गया है.
मुस्लिम पक्ष के चर्चित चेहरे
हामिद अंसारी
साल 1949 से बाबरी मस्जिद के सबसे प्रमुख पैरोकार रहे हामिद अंसारी का 95 साल की आयु में 20 जुलाई 2016 को इंतकाल हो गया. कभी साइकिल की दुकान करने और बाद में दर्जी का काम करवे वाले हामिद अंसारी 1961 में बाबरी मस्जिद के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से दायर मुकदमे में मुद्दई थे. अंसारी ने 1986 में राजीव सरकार द्वारा ताला खोलने के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में मुकदमा किया था. उनकी राम मंदिर के पैरोकार परमहंस रामचंद्र दास से दोस्ती हमेशा चर्चा में रही.
सैयद शहाबुद्दीन
कभी भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी रहे सैयद शहाबुद्दीन बाद में नेता बने और बाबरी मस्जिद के मुख्य पैरोकार रहे. मंदिर- मस्जिद विवाद को कानूनी मुद्दा मानने वाले शहाबुद्दीन ने मजिस्द निर्माण के लिए बाबरी मस्जिद कोऑर्डिनेशन कमेटी का निर्माण किया. मंदिर का ताला खोलने के खिलाफ गणतंत्र दिवस के बहिष्कार की घोषणा की. तीन बार सांसद रहे शहाबुद्दीन ने ताला खोलने के विरोध में संसद के 41 मुस्लिम सांसदों के साथ तत्कालीन पीएम राजीव गांधी से मुलाकात कर बाबरी मस्जिद मुसलमानों को सौंपने की मांग की थी.
हिंदू पक्ष के चर्चित चेहरे
महंत रामचंद्रदास परमहंस
मुस्लिम पक्ष में हामिद अंसारी तो हिंदू पक्ष के महंत रामचंद्र दास परमहंस ही वर्ष 1949 में विवाद शुरू होने और वर्ष 1992 में बाबरी ढांचा के विध्वंस होने पर मुख्य भूमिका में रहे. कभी हिंदू महासभा से जुड़े रहे और परमहंस 1989 में गठित राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष बने. राम मंदिर निर्माण के लिए दिल्ली में 1984 में हुए धर्मसंसद की अध्यक्षता की. उन्हीं की अध्यक्षता में जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ समिति का गठन हुआ. उनका निधन 2003 में हुआ.
कल्याण सिंह
विवादास्पद ढांचा विध्वंस के दौरान यूपी के सीएम रहे कल्याण सिंह की छवि हिंदू हृदय सम्राट की बनी। सीएम नहीं रहते हुए भी उन्होंने मंदिर आंदोलन में लगातार अहम भूमिका निभाई। वर्ष 1992 में सुप्रीम कोर्ट को विवादित ढांचे की सुरक्षा का हलफनामा दिया। विवादित ढांचा टूटने के बाद उनकी सरकार बर्खास्त कर दी गई। कल्याण बाद में भी यूपी के सीएम बने। फिर उनका भाजपा से आना जाना लगा रहा। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में राज्यपाल बनाए गए। 21 अगस्त 2021 को कल्याण सिंह की मौत हो गई.
अशोक सिंघल
विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष और संघ से जुड़े अशोक सिंघल ने राम मंदिर आंदोलन में केंद्रीय भूमिका निभाई. अस्सी के दशक के उत्तरार्ध में उन्हीं की अगुवाई में शिला पूजन, दिल्ली में धर्मसंसद, विराट हिंदू सम्मेलनों ने राम मंदिर आंदोलन को नई धार दी। बाद में बाबरी ढांचा विध्वंस मामले में सिंघल आरोपी भी बनाए गए. अशोक सिंघल का 17 नवंबर 2015 को निधन हो गया.
देवराहा बाबा
प्रसिद्ध संत देवराहा बाबा राम मंदिर के मुद्दे को धार देने वाले प्रमुख चेहरा थे. इलाहाबाद में जनवरी 1984 में हुई उस धर्मसंसद की अध्यक्षता देवराहा बाबा ने की थी. इसमें 9 नवंबर 1989 को राम मंदिर के शिलान्यास की तारीख तय हुई थी. सभी बड़ी राजनीतिक हस्तियां इनकी भक्त थीं. कहा जाता है कि इन्हीं के आदेश के बाद तत्कालीन पीएम राजीव गांधी ने तमाम विरोध के बावजूद विवादित स्थल का ताला खुलवाया था. देवराहा बाबा ने 19 जून 1990 को देह त्याग दी.
महंत अवैद्यनाथ
राम जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ समिति के पहले अध्यक्ष महंत अवैद्यनाथ ने राम मंदिर आंदोलन को धार देने में अहम भूमिका निभाई. मंदिर निर्माण के लिए राम जन्मभूमि न्यास के भी अध्यक्ष रहे. उन्होंने इससे जुड़े आंदोलनों में सक्रिय भूमिका निभाई. बाद में बाबरी ढांचा विध्वंस मामले में इन्हें मुख्य आरोपी बनाया गया. 12 सितंबर 2014 को महंत अवैद्यनाथ ने देह को त्याग दिया.
सक्रिय राजनीति से दूर आंदोलन के हीरो
लालकृष्ण आडवाणी
भारत के पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने राम मंदिर निर्माण को राजनीति का केंद्रीय मुद्दा बनाने में अहम भूमिका अदा की. आडवाणी ही थे जिन्होंने विहिप की ओर से शुरू किए गए आंदोलन को राजनीतिक आंदोलन बनाया. सोमनाथ से अयोध्या तक रथ यात्रा निकाल कर इस आंदोलन को राजनीतिक मुद्दा बनाया. इसी आंदोलन की बदौलत भाजपा की ताकत बढ़ी. बाद में विवादस्पद ढांचा विध्वंस मामले में उनको आरोपी बनाया गया. वर्तमान में आडवाणी सक्रिय राजनीति से दूर हैं.
मुरली मनोहर जोशी
भाजपा का प्रमुख चेहरा रहे मुरली मनोहर जोशी ने राम मंदिर आंदोलन में देश में अहम मुद्दा
बनाने में बड़ी भूमिका निभाई. आडवाणी की तरह विवादास्पद ढांचा विध्वंस मामले में आरोपी बनाए गए. अब आडवाणी की तरह ही सक्रिय राजनीति से दूर हैं.
उमा भारती
राम मंदिर आंदोलन के दौरान साध्वी उमा भारती जनसभाओं में विहिप और भाजपा की मुख्य वक्ताओं में एक थीं. साल 1990 में 1992 के आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई. विवादास्पद ढांचा विध्वंस मामले में आरोपी बनी उमा भारती वाजपेयी और मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री बनीं. फिलहाल खुद संसदीय राजनीति से दूर हैं.
आंदोलन विरोधी चेहरे
लालू प्रसाद यादव
लालू प्रसाद यादव ने लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा को बिहार के सीतामढ़ी में रोकी थी और आडवाणी व प्रमोद महाजन को गिरफ्तार करवा लिया. वो दिन 23 अक्टूबर 1990 का था. उस समय लालू यादव बिहार के मुख्यमंत्री हुआ करते थे. मंदिर आंदोलन के मुखर विरोधी लालू प्रसाद राजनीति में हैं, लेकिन पहले जैसे सक्रिय नहीं हैं.
मुलायम सिंह यादव
यूपी का सीएम रहते वर्ष 1990 में कारसेवकों पर गोली चलवाने का आदेश देने वाले मुलायम सिंह को बाद में भी सीएम बनने का मौका मिला..यूपी में 2017 में योगी सरकार के आने के बाद सपा यहां कमजोर हुई. मुलायम सिंह यादव का 10 अक्टूबर 2022 को गुरुग्राम में इलाज के दौरान निधन हो गया.
राजीव गांधी
साल 1986 में जब तत्कालीन पीएम राजीव गांधी ने विवादित स्थल का ताला खुलावाया तो इसे कांग्रेस के नरम हिंदुत्व का नाम दिया गया. इस निर्णय के बाद कांग्रेस यूपी में लगातार कमजोर होती गई. मुस्लिम वर्ग में भी कांग्रेस का आधार लगातार कमजोर होता चला गया. उन्हें 1989 के लोकसभा चुनाव में सत्ता गंवानी पड़ी. इसके दो साल बाद 1991 में उनकी लिट्टे आतंकवादियों ने हत्या कर दी.
पीवी नरसिंह राव
विवादित ढांचे के विध्वंस के दौरान पीवी नरसिंह राव देश के पीएम हुआ करते थे. इस घटना के बाद राव अपनी ही पार्टी के नेताओं के निशाने पर आ गए. ताला खुलवाने के बाद विवादित ढांचे को कारसेवकों द्वारा गिराने के बाद मुस्लिम वर्ग ने गैर-भाजपा-गैर-कांग्रेस विकल्प का समर्थन करना शुरू कर दिया. बाद में राव भी पार्टी से किनारे कर दिये गए. कांग्रेस से उनकी दूरियां इतनी बढ़ी कि उनके निधन के बाद उनके पार्थिव शरीर को पार्टी मुख्यालय में रखने की इजाजत नहीं दी गई.