वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को 2024-25 का अंतरिम बजट पेश करेंगी. अंतरिम बजट उस साल पेश किया जाता है, जब देश में आम चुनाव होते हैं. अंतरिम बजट एक अल्पकालिक वित्तीय योजना होती है जो चुनाव के बाद नई सरकार के कार्यभार संभालने तक सरकारी व्यय को कवर करती है, जिससे कि देश की मशीनरी को सही ढंग से चलाया जा सके. बजट हर साल पेश किया जाता है. इसके को लेकर लोगों के मन मोटे तौर पर एक सवाल आता है कि आखिर सरकार के पास पैसा आता कहां से है और खर्च कैसे होता है. तो सरकार के खजाने में हर एक रुपए में सबसे ज्यादा 34 पैसे कर्ज से आते हैं. वहीं ब्याज चुकाने पर सबसे ज्यादा 20 पैसे सरकार खर्च करती है. आज की इस स्टोरी में आसान शब्दों में पैसों के आने और जाने का पूरा गणित जानेंगे...
सरकार के पास टैक्स और नॉन टैक्स दोनों सोर्सेज से पैसा आता है. वहीं ब्याज चुकाने से लेकर सब्सिडी और स्कीम्स सहित अन्य कामों पर सरकार पैसों को खर्च करती है. इसको हम 1 रुपए के उदाहरण से समझते हैं.
आजाद भारत का पहला बजट षणमुगम चेट्टि ने 26 नवंबर 1947 को पेश किया था. यह बजट 197.39 करोड़ रुपए का था. 2023 में यह बजट 45.03 लाख करोड़ रुपए हो गया. देश में 1947 से लेकर अब तक 73 आम बजट, 14 अंतरिम बजट, 4 खास या मिनी बजट पेश किए जा चुके हैं.
केंद्रीय बजट देश का सालाना फाइनेंशियल लेखा-जोखा होता है. दूसरे शब्दों में कहें तो बजट किसी खास वर्ष के लिए सरकार की कमाई और खर्च का अनुमानित विवरण होता है. बजट के जरिए सरकार यह तय करने का प्रयास करती है कि आगामी वित्त वर्ष में वह अपनी कमाई की तुलना में किस हद तक खर्च कर सकती है. सरकार को हर वित्त वर्ष की शुरुआत में बजट पेश करना होता है। भारत में वित्त वर्ष का पीरियड 1 अप्रैल से 31 मार्च तक होता है। अगर अंतरिम बजट की बात करे तो जिस साल देश में आम चुनाव होते हैं उस साल नियमित बजट जारी न होकर अंतरिम बजट जारी किया जाता है. इस बजट के द्वारा देश में नई सरकार बनने तक प्रशासनिक व्यवस्था को चलाने के लिए पूरा लेखा- जोखा होता है. अंतरिम बजट शब्द आधिकारिक नहीं है. आधिकारिक तौर पर इसे वोट ऑन अकाउंट कहा जाता है. First Updated : Monday, 15 July 2024