दिल्ली चुनाव में किसकी होगी जीत? जानिये दिल्ली में आप, भाजपा और कांग्रेस का इतिहास
दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है. 5 फरवरी को दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने हैं. इसके लिए सभी पार्टियों में चुनाव प्रचार-प्रसार तेज कर दिया है. दिल्ली में आप, भाजपा और कांग्रेस की साख दांव पर लगी हुई है.
Delhi Assembly Election: दिल्ली में आगामी 5 फरवरी को विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. ठीक तीन दिन बाद ही नतीजे घोषित होंगे. इस चुनाव में तीन पार्टियां आम आदमी पार्टी, भाजपा और कांग्रेस में कड़ी टक्कर होगी. दिल्ली चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पीएम नरेंद्र मोदी दोनों की वैल्यू दांव पर लगी हुई है. भाजपा इस चुनाव में ढाई दशक से अधिक समय के बाद सत्ता में वापसी की उम्मीद में लगी हुई है. वहीं कांग्रेस भी जीत की उम्मीद में है.
आम आदमी पार्टी
आप ने 2013 में अपने पहले चुनाव में 70 में से 28 सीटें जीती थी और 29.49% वोट शेयर हासिल किया था। दो साल बाद 2015 में आप ने 67 सीटें जीती थीं. साल 2020 में आप ने 62 सीटें जीतकर 2020 के विधानसभा चुनावों में 53.57% वोट शेयर बनाए रखा। वर्तमान में आप भ्रष्टाचार के आरोपों में फंसी हुई है. खुद अरविंद केजरीवाल छह महीने जेल में रहे. वहीं दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी आबकारी नीति मामले में 17 महीने से अधिक समय तक जेल में रहे थे. वहीं पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन और राज्यसभा सांसद संजय सिंह भी गिरफ्तार हुए और जमानत पर बाहर हैं। वहीं आम आदमी पार्टी को भरोसा है कि उसकी कल्याणकारी राजनीति जीत में मदद करेगी।
भाजपा
1998 से दिल्ली में सत्ता से बाहर होने के बाद भी भाजपा छह विधानसभा चुनावों में कभी भी 32% से कम वोट शेयर नहीं ले पाई। 2015 में जब AAP ने चुनावों में जीत दर्ज की और भाजपा को केवल तीन सीटें मिलीं तब भी पार्टी ने 32.19% वोट शेयर हासिल किये थे. पांच साल बाद जब भाजपा ने आठ सीटें जीतीं और आप ने बाकी सीटें जीतीं तो भाजपा का वोट शेयर बढ़कर 38.51% हो गया। पंजाब छोड़,दिल्ली उत्तर भारत का एकमात्र ऐसा राज्य है जहां भाजपा ने पिछले दो दशकों में सत्ता का स्वाद नहीं चखा है। हालांकि 2014 के बाद से भाजपा ने दिल्ली की सभी सातों लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की है।
भाजपा दिल्ली में अपना सबसे आक्रामक अभियान चलाने जा रही है, जिसमें मोदी सबसे आगे रहेंगे। अपने पहले दो चुनावी भाषणों में मोदी ने अपनी सरकार के मॉडल को सीधे AAP के मॉडल के खिलाफ़ खड़ा किया। पीएम मोदी का ध्यान AAP के शासन मॉडल के मुख्य स्तंभों का मुकाबला करने पर था.
कांग्रेस
दिल्ली में कांग्रेस 1998 में सत्ता में आई थी.नवंबर 1998 में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने 47.76% वोट शेयर के साथ 70 में से 52 सीटें जीतीं। इसके बाद कांग्रेस सरकार की मुखिया के तौर पर शीला दीक्षित 15 साल तक दिल्ली की सत्ता पर काबिज रहीं। 2013 में कांग्रेस सत्ता से हट गई और शीला दीक्षित खुद अरविंद केजरीवाल से हार गईं। 2015 में पार्टी को बड़ा झटका लगा जब वह अपना खाता खोलने में असफल रही और इसका वोट शेयर 10% से भी कम हो गया, जो 2008 में प्राप्त 40.31% और 2013 में प्राप्त 24.55% से काफी कम था. पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी और भी पीछे चली गई थी. उसे मात्र 4.26% वोट मिले थे, जबकि उसके 66 में से 63 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई. कांग्रेस इस बात को लेकर असमंजस में है कि दिल्ली में उसका प्रतिद्वंद्वी कौन है. आप ने सभी 70 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है और कांग्रेस के साथ गठबंधन से इनकार कर दिया है.