अजमेर- दिल्ली कैंट वंदे भारत एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाते हुए बोले PM मोदी- 2014 के बाद ही क्रांतिकारी परिवर्तन होने लगा था
पीएम मोदी ने अजमेर- दिल्ली कैंट वंदे भारत एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाया। इसके बाद पीएम मोदी संबोधित करते हुए बोले कि देश का दुर्भाग्य रहा कि रेलवे जैसी महत्वपूर्ण व्यवस्था जो सामान्य मानव के जीवन का इतना बड़ा हिस्सा है उसे भी राजनीति का अखाड़ा बना दिया गया था... हालत ये थी कि रेलवे की भर्तियों में राजनीति होती थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज यानी बुधवार 12 अप्रैल को राजस्थान की पहली वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेस को हरी झंड़ी दिखाकर रवाना किया। इस दौरान पीएम मोदी वीडियो कॉफ्रेंस के जारिए से सभा को सबोधित किया है। इस दौरान उन्होंने कहा कि 'राजस्थान को आज अजमेर से दिल्ली के लिए पहली वंदे भारत एक्सप्रेस मिल रही है। वंदे भारत ट्रेन राजस्थान में पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देगी। पीएम नरेंद्र मोदी जबकि वंदे भारत एक्सप्रेस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए राजस्थान में कार्यक्रम को हरी झंडी दिखाकर रवाना करेगी'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 'मां भारती की वंदना करने वाली राजस्थान की धरती को आज पहली 'वंदे भारत' ट्रेन मिल रही है। दिल्ली कैंट-अजमेर वंदे भारत एक्प्रेस से जयपुर-दिल्ली आना जाना अब और आसान हो जाएगा। यह ट्रेन राजस्थान की Tourism Industry को भी बहुत मदद करेगी। वंदे भारत एक्सप्रेस से राजस्थान के पर्यटन उद्योग को अत्यधिक लाभ होगा। मुझे पिछले दो महीनों में छठी वंदे भारत एक्सप्रेस को झंडी दिखाकर रवाना करने का सौभाग्य मिला है।'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आगे कहा कि 'जब से ये आधुनिक ट्रेनें (वंदे भारत) शुरू हुई हैं तब से करीब करीब 60 लाख लोग इन ट्रेनों में सफर कर चुके हैं। तेज रफ़्तार वंदे भारत की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि ये लोगों का समय बचा रही है। तेज रफ़्तार से लेकर खूबसूरत डिजाइन तक... वंदे भारत ट्रेन तमाम खूबियों से संपन्न है। इन्हीं सब खूबियों को देखते हुए आज देश में वंदे भारत ट्रेन का गौरवगान हो रहा है।
वंदे भारत एक्सप्रेस 'India First, Always First' की भावना को समृद्ध करती है। मुझे खुशी है कि वंदे भारत ट्रेन आज विकास, आधुनिकता, आत्मनिर्भरता और स्थिरता का पर्याय बन चुकी है। आज की वंदे भारत की यात्रा कल हमें विकसित भारत की यात्रा की ओर ले जाएगी। आजादी के बाद रेलवे के आधुनिकीकरण पर हमेशा राजनीतिक स्वार्थ हावी रहा। राजनीतिक स्वार्थ को देख कर ही तय किया जाता था कि कौन रेल मंत्री बनेगा, राजनीतिक स्वार्थ ने ही ऐसी-ऐसी ट्रेनों की घोषणा करवाई जो कभी चली ही नहीं।
हालत यह थी कि गरीब की जमीन छीन कर उन्हें रेलवे में नौकरी का झांसा दिया गया। रेलवे की सुरक्षा... स्वच्छता सबकुछ को नजरअंदाज कर दिया गया था। इन सारी व्यवस्थाओं में बदलाव वर्ष 2014 के बाद आना शुरू हुआ। दुर्भाग्य से, रेलवे के आधुनिकीकरण पर स्वार्थी और नीच राजनीति हमेशा हावी रही। बड़े पैमाने पर हुए भ्रष्टाचार ने न तो रेलवे में विकास होने दिया और न ही रेलवे की चयन प्रक्रिया को पारदर्शी होने दिया। 2014 के बाद ही क्रांतिकारी परिवर्तन होने लगा था।