देश में लोकसभा चुनवा के 2 चरण हो गए है. अभी पांच चरणों में मतदान बाकी है. वहीं, बीजेपी ने रायबरेली से दिनेश प्रताप को टिकट दिया है. ये वही दिनेश हैं जिन्हें काफी कांग्रेंस का बेहद करीबी माना जाता था. अब तक इस सीट से कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार के नाम का ऐलान नहीं किया है. रायबरेली सीट को कांग्रेस की गढ़ माना जाता है. तो आइए आज आपको बीजेपी के उम्मीदवीर दिनेश प्रताप के बारे में बताते हैं.
दिनेश पहले कांग्रेस में थे. इन्होंने 2018 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामा था. जिसके बाद दिनेश प्रताप सिंह ने 2019 में सोनिया गांधी के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ा था. मगर सोनिया गांधी ने 1,67,178 मतों से जीत हासिल की थी. मौजूदा समय में एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार में राज्य मंत्री हैं.
रायबरेली की सियासत में पंचवटी का दबदबा
दिनेश प्रताप सिंह के घर को पंचवटी के नाम से जाना जाता है. दिनेश प्रताप सिंह गांव गुनावर कमंगलपुर के रहने वाले हैं. रायबरेली की राजनीति में इस परिवार का खूब वर्चस्व है. दिनेश प्रताप सिंह के घर पर ही ब्लॉक प्रमुख, जिला पंचायत अध्यक्ष, एमएलसी और विधायक रह चुके हैं. रायबरेली की सियासत में पंचवटी का दबदबा है. हालांकि रायबरेली की हरचंदपुर विधानसभा सीट पर 2022 में उनके भाई राकेश सिंह को हार का सामना करना पड़ा था.
दिनेश प्रताप सिंह पहले कांग्रेस का हिस्सा थे. एक समय वे सोनिया गांधी के बेहद करीबी रहे हैं. पंचवटी का कांग्रेस में खूब दबदबा रहा. यही वजह थी कि 2010 में दिनेश प्रताप सिंह पहली बार और 2016 में दूसरी बार कांग्रेस से एमएलसी बने थे. हालांकि 2018 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा ज्वाइन की. 2022 में भाजपा की टिकट पर एमएलसी का चुनाव जीता और योगी सरकार में मंत्री हैं.
2021 में भाजपा ने कांग्रेस को उसी के गढ़ में शिकस्त दी. यह चुनाव था जिला पंचायत अध्यक्ष का. कांग्रसे से आरती सिंह प्रत्याशी थीं. उन्हें 22 वोट मिले थे. वहीं भाजपा प्रत्याशी रंजना चौधरी को 30 मत मिले थे. आठ मतों से जीतकर रंजना चौधरी रायबरेली की जिला पंचायत अध्यक्ष बनीं. खास बात यह है कि इस चुनाव की कमान दिनेश प्रताप सिंह के हाथों में थी. First Updated : Thursday, 02 May 2024