Pradeep Sharma: बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार को मुंबई के पूर्व पुलिस अधिकारी और एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा को 2006 में छोटा राजन गिरोह के कथित सदस्य रामनारायण गुप्ता उर्फ लखन भैया की फर्जी मुठभेड़ में हत्या के मामले में दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि कानून के रक्षकों को वर्दी में अपराधियों के रूप में कार्य करने की इजाजत नहीं दी जा सकती है. पीठ ने मामले में 12 अन्य पुलिसकर्मियों और एक नागरिक हितेश सोलंकी की दोषसिद्धि को भी बरकरार रखा है.
शर्मा को हत्या और अन्य आरोपों के लिए दोषी ठहराते हुए, पक्ष ने साबित कर दिया कि लाखन भैया को "पुलिस द्वारा, ट्रिगर-हैप्पी पुलिस द्वारा मार दिया गया था, और इसे एक वास्तविक मुठभेड़ की तरह दिखाया गया था". बॉम्बे हाई कोर्ट प्रदीप शर्मा के साथ-साथ 13 अन्य आरोपियों को भी सजा मिली है.
साल 1983 बैच के पुलिस अधिकारी हैं वे मुंबई अंडरवर्ल्ड के खिलाफ अपनी मुहिम के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने दाऊद इब्राहिम, छोटा राजन, अरुण गवली और अमर नाइक जैसे कुख्यात गैंगस्टर के खिलाफ कई बड़े सर्च ऑपरेशन को अंजाम दिए हैं. हालांकि उन्हें साल 2010 में राम नारायण उर्फ लखन भैया की फर्जी एनकाउंटर में उनकी कथित संलिप्तता होने के कारण कोर्ट ने दोषी करार देते हुए गिरफ्तार कर लिया गया था. इसी मामले पर सुनवाई करते हुए मंगलवार को मुंबई हाई कोर्ट ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई है.
साल 2017 में प्रदीप शर्मा दोबारा पुलिस फोर्स ज्वाइन किए और आगे चलकर तत्कालीन आयुक्त परमबीर सिंह के अधीन ठाणे पुलिस में एसीपी के रूप में कार्य किया था. इसको दो साल बाद उन्होंने जुलाई 2019 में अविभाजित शिवसेना में शामिल होने के लिए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने मुंबई के नालासोपारा से विधानसभा चुनाव भी लड़े लेकिन इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा.
बता दें कि साल 2013 में सत्र अदालत ने शर्मा को बरी कर दिया था. वहीं 2021 में प्रदीप शर्मा को एंटीलिया विस्फोटक मामले और मनसुख हिरेन हत्या के मामले में NIA ने दोबारा गिरफ्तार किया. उस दौरान शर्मा पर हिरेन के शव को ठिकाने लगाने में शामिल होने का आरोप था. First Updated : Wednesday, 20 March 2024