Muslim Survey: असम में इन दिनों स्वदेशी मुसलमान काफी चर्चाओं में चल रहे हैं. इसको लेकर स्थानीय लोग असमंजस की स्थिति में हैं. स्थानीय मुसलमानों ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा है कि वो उधेड़बुन में हैं कि सरकार आखिर उनके साथ करना क्या चाहती है, उनका कहना है कि पहले तो उन्हें NRC की लिस्ट में नाम शामिल करवाने के लिए दौड़-भाग करनी पड़ी फिर अब इस सर्वे को लेकर हो रही चर्चाओं ने फिर से मुश्किलों में डाल दिया है.
इन दिनों लगातार जिन मुस्लिम समुदाय के सर्वेक्षण की खबरें उठ रही है जिसकी वजह से हर जगह इन्हीं के चर्चे सुनाई दे रहे हैं. रिपोर्ट की मानें तो बंगाली मूल के मुसलमान इस सर्वे को लेकर ज्यादा चिंतित हैं. बंगाली मूल को मुसलमानों के इलाकों में मियां कहा जाता है. इन लोगों के पलायन का इतिहास पूर्वी पाकिस्तान यानी अब के बांग्लादेश से जुड़ा हुआ है. इन्हें चरुवा और पोमपोमवा भी कहा जाता था.
भारतीय जनता पार्टी का कहना है कि इस सर्वेक्षण से किसी को डराने की जरूरत नहीं है, असम बीजेपी ने नेता प्रमोद स्वामी ने मीडिया से बात की और कहा स्वदेशी मुसलमानों को कुछ सुविधाएं देने के लिए सरकार यह कदम उठा रही है. ऐसे में सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण करना जरूर है.
कैसे पहुंचा हाई कोर्ट तक मामला?
स्वदेशी मुस्लिम आबादी की सामाजिक-आर्थिक सर्वे को गुवाहाटी हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है. साथ ही असम सरकार को नोटिस जारी किया है और जवाब मांगा है. याचिकाकर्ता ने कहा है कि इस सर्वे से भेदभाव होगा और ये संविधान के तहत नहीं है. ये पूरा मामला ऐसे समय में सामने आ रहा है. जब पीएम हिंमत बिस्वा सरमा सोमवार को ही कहा था कि राज्य में 1.59 लाख से अधिक लोगों को अब तक विदेशी घोषित किया गया है. First Updated : Tuesday, 20 February 2024