Who is Nafe Singh Rathee: कौन थे नफे सिंह राठी? जिनकी दिन दहाड़े गोली मारकर हुई हत्या
Nafe Singh Rathee: साल 1996 में नफे सिंह राठी ने पहली बार समता पार्टी के चिह्न पर विधानसभा चुनाव में उतरे और जीत दर्ज कर विधानसभा पहुंचे. इसके बाद साल 2000 में उन्होंने दूसरी बार इंडियन नेशनल लोकदल की टिकट पर विधायक बनें.
Nafe Singh Rathe Shot Dead: हरियाणा के बहादुरगढ़ में इंडियन नेशनल लोक दल (INLD) के प्रदेश अध्यक्ष नफे सिंह राठी पर जानलेवा हमला हुआ. इस हमले के दौरान उनकी मौत हो गई. न्यूज एजेंसी एएनाआई से बातचीत में INLD नेता अभय सिंह चौटाला ने पुष्टि करते हुए कहा, ''उनकी (नफे सिंह राठी) मौत हो गई है हमारी पार्टी का एक कार्यकर्ता उनके साथ था, उसकी भी मौत हो गई है.'' इस घटना के दौरान नफे सिंह राठी पर अंधाधुंध 40-50 गोलियां दागी गई.
इस घटना की जानकारी देते हुए झज्जर एसपी अर्पित जैन ने कहा, ''हमें फायरिंग की एक घटना की सूचना मिली थी. सीआईए और एसटीएफ की टीमें काम कर रही हैं. आरोपियों को जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा.''
पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला के थे करीबी
हरियाणा की राजनीति में नफे सिंह राठी एक चर्चित ना रहे हैं. वह पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के करीबियों में से एक थे. पार्टी के अंदर वह एक रसूखदार नेता थे. जाट समुदाय के बीच मजबूत पकड़ के साथ उनकी छवी एक जाट नेता के तौर पर रही थी और वह बहादुरगढ़ के जाटवाड़ा गांव के रहने वाले थे. बताते चलें कि बहादुरगढ़ विधानसभा क्षेत्र से उन्होंने दो बार विधायकी का चुनाव जीत चुके थे.
पहली बार समता पार्टी के टिकट पर लड़े थे विधानसभा चुनाव
साल 1996 में नफे सिंह राठी ने पहली बार समता पार्टी के चिह्न पर विधानसभा चुनाव में उतरे और जीत दर्ज कर विधानसभा पहुंचे. इसके बाद साल 2000 में उन्होंने दूसरी बार इंडियन नेशनल लोकदल की टिकट पर विधायक बनें. साथ ही वह दो बार बहादुरगढ़ नगर परिषद के अध्यक्ष रह चुके हैं. इनके अलावा वह ऑल इंडियन स्टाइल रेसलिंग एसोसिएशन के भी अध्यक्ष रहे हैं. नफे सिंह राठी मुख्यमंत्री सीएम ओपी चौटाला और अभय सिंह चौटाला के विश्वसनीय माने जाते थे.
कार्यकर्ताओं के बीच रहते थे नफे सिंह राठी
इंडियन नेशनल लोकदल में हुई बंटवारे के बाद भी उन्होंने ओपी चौटाला के साथ खड़े रहे. दुष्यंत चौटाला द्वारा पार्टी को छोड़ नई पार्टी बनाने के फैसले का वह हमेशा ही खिलाफ रहे और उनकी आलोचना भी की थी. हाल के दिनों में इनलो की 'परिवर्तन यात्रा' की वह अगुवाई कर रहे थे और काफी सक्रीय रहने वाले नेता थे. उनके बारे में कहा जाता है की वह जमीन से जुड़े नेता और हमेशा ही वह कार्यकर्ताओं के बीच में रहना पसंद करते थे.