प्रधानमंत्री की सुरक्षा एसपीजी के पास होती है, इसकी जानकारी मुख्यतया लोगों को होती है. लेकिन राष्ट्रबपति की सुरक्षा कौन करता है क्या आपको इसके बारे में कोई जानकारी है. गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति की सुरक्षा की जिम्मेदारी प्रेसिडेंट बॉडीगार्ड के पास होती है. प्रेसिडेंट बॉडीगार्ड (PBG) यानी 'राष्ट्रपति के अंगरक्षक' एक एलिट घुड़सवारों की पलटन होती है. इनका मुख्य काम भारत के राष्ट्रपति को एस्कॉर्ट करना और उनकी सुरक्षा करना होता है. यह भारतीय सेना की सबसे पुरानी रेजिमेंट है. आइए जानते हैं 250 साल पहले इनका गठन कैसे हुआ था.
आज भारत के 75वें गणतंत्र दिवस पर फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए. कर्तव्य पथ पर होने वाले समारोह में भारत और फ्रांस के राष्ट्रपति 'पारंपरिक बग्गी' में पहुंचे. यह प्रथा 40 साल के अंतराल के बाद फिर से लाई जा रही है. दोनों देशों के प्रमुखों को प्रेसिडेंट बॉडीगार्ड (PBG) यानी ‘राष्ट्रपति के अंगरक्षकों’ ने एस्कॉर्ट किया. यह गणतंत्र दिवस इस रेजिमेंट के लिए इस मायने में भी खास है क्योंकि ‘राष्ट्रपति के अंगरक्षक’ की सेवा के 250 सालों पूरे हो गए हैं.
प्रेसिडेंट बॉडीगार्ड का गठन गवर्नर-जनरल के अंगरक्षकों के तौर पर हुआ था. अंग्रेज गर्वनर जनरल वॉरेन हेस्टिंगन ने साल 1773 में अपनी सुरक्षा करने के लिए बनारस में घुड़सवारों की एक इकाई का गठन किया था. इससे पहले तक ईस्ट इंडिया कंपनी की फौज में कोई घुड़सवार सेना नहीं थी. हेस्टिंग्स ने खुद मुगल हॉर्स, स्थानीय सरदारों द्वारा गठन की गई एक इकाई, से 50 सैनिकों को चुना था. बाद में बनारस (अब वाराणसी) के राजा ने तत्कालीन गर्वनर जनरल को अतिरिक्त 50 सैनिक उपलब्ध कराएं, जिसके बाद यूनिट में 100 सैनिक हो गए. यूनिट का पहला कमांडर कैप्टन स्वीनी टून को बनाया गया. स्वीनी टून, ईस्ट इंडिया कंपनी का एक अधिकारी था. यूनिट की दूसरी रैंक पर लेफ्टिनेंट सैमुअल ब्लैक था. उस समय की यूनिट की संरचना इस प्रकार थी.
1 कप्तान
1 लेफ्टिनेंट
4 सार्जेंट
6 दफादार
100 सैनिक
2 ट्रम्पेट बजाने वाले
1 नाल बांधने वाला
साल 1947 के भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद प्रेसिडेंट बॉडीगार्ड का भी बंटवारा हुआ. भारत ने 1950 में इस रेजिमेंट का नाम बदलकर प्रेसिडेंट बॉडीगार्ड कर दिया. वर्तमान में, इस घुड़सवार इकाई में राष्ट्रपति भवन में समारोहों के लिए घोड़े शामिल हैं. वहीं, युद्ध के लिए इस इकाई में BTR-80 वाहन शामिल हैं. रेजिमेंट के कर्मियों को पैराट्रूपर्स की ट्रेनिंग दी गई है. विशेष शारीरिक विशेषताओं वाले चुनिंदा पुरुषों का ही चयन राष्ट्रपति के अंगरक्षक के तौर पर होता है. इसमें युवाओं को कई मानकों पर खरा उतरना होता है.
प्रेसिडेंट बॉडीगार्ड (PBG)को एक अनूठा गौरव प्राप्त है. यह भारतीय सेना की एकमात्र सैन्य इकाई है, जिनके पास राष्ट्रपति के सिल्वर ट्रम्पेट और ट्रम्पेट बैनर लेकर चलने का विशेषाधिकार होता है. देश के हर राष्ट्रपति अपने कार्यकाल में एक बार सिल्वर ट्रम्पेट सेरेमनी का हिस्सा बनते हैं, जब वो अपने बॉडीगार्ड को सिल्वर ट्रम्पेट और ट्रम्पेट बैनर देते हैं. इस सेरेमनी को सिल्वर ट्रंपेट बैनर प्रेजेंटेशन सेरेमनी कहा जाता है. अब तक देश के 13 राष्ट्रपति इस समारोह का आयोजन करा चुके हैं.
राष्ट्रपति द्वारा ट्रम्पेट और ट्रम्पेट बैनर देने की शुरुआत साल 1923 में हुई थी. तत्कालीन वायसराय लॉर्ड रीडिंग ने प्रेसिडेंट बॉडीगार्ड की सेवा के 150 साल पूरे होने के अवसर पर उन्हें सिल्वर ट्रम्पेट और ट्रम्पेट बैनर से नवाजा था. इसके बाद, प्रत्येक उत्तराधिकारी वायसराय ने बॉडीगार्ड को सिल्वर ट्रम्पेट और ट्रम्पेट बैनर प्रस्तुत किया. आजादी के बाद देश के प्रत्येक राष्ट्रपति ने रेजिमेंट को सम्मानित करने की ये प्रथा जारी रखी है. भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने 14 मई, 1957 को ‘राष्ट्रपति के अंगरक्षक’ को अपना सिल्वर ट्रम्पेट और ट्रम्पेट बैनर प्रस्तुत किया था. First Updated : Friday, 26 January 2024