Maharastra: महाराष्ट्र में बीते कुछ दिनों से मरीजों की मौत का आंकड़े रुकने का नाम नहीं ले रहा है, एक के बाद एक दूसरे जिलों में मौतें हो रही हैं. दरअसल, महाराष्ट्र के नादेड़ जिले के बाद अब नागपूर जिले में 4 दिनों के अंदर 80 मरीजों ने अपना दम तोड़ा है. यह मौतें नागपुर के एक गवर्मेंट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल और इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में हुईं है। इन दोनों अस्पतालों में 1 से 3 अक्टूबर तक 59 मरीजों ने दम तोड़ा, जबकि 4 अक्टूबर को 21 और मौतें हुईं.
दोनों ही जिले में जिन मरीजों की मौत हुईं उनके परिजनों ने इन मौतों के पीछे अस्पताल में दवाइयों की भारी कमी, गंभीर मामलों में ऑपरेशन करने में हुई देरी और मरीजों के लिए अस्पताल में पर्याप्त बेड का कोई इंतजाम ना होने की वजह बताई है।
मरने वाले परिजनों ने अस्पताल के अंदर जो कमियाँ गिनवाईं थी। उसके विपरीत नागपुर के सरकारी मेडिकल कॉलेज के डीन का कुछ और ही कहना है. अस्तापल के एक डॉक्टर राज गजभिये 80 मरीजों की मौत की वजह कुछ और ही बता रहे हैं. डीन के अनुसार अस्पताल में दवाओं की कमी से मरीजों की मौत नहीं हुई. उन्होंने कहा कि अस्पताल में सभी प्रकार की दवाएं भी हैं और इंतजाम भी।
परिजनों की बात नकारते हुए यही जवाब नांदेड़ के शंकर राव चव्हाण मेडिकल कॉलेज के डीन ने भी दिया। आपको बात दें कि इस अस्पताल में दो दिनों में 31 मरीजों की मौत हुईं थी. उन्होंने भी अस्पताल में लापरवाही होने से इनकार किया था. लेकिन नांदेड़ में मौत का आंकड़ा बढ़ कर 31 से 51 पर जा पहुंचा है, और मरने वाले परिजनों को पूछने वाला कोई नहीं है ।
वहीं अस्पताल प्रबंधन और प्रशासन से इन मौतों पर सही जवाब ना मिलने के बाद अब मानवाधिकार आयोग ने महाराष्ट्र सरकार को नोटिस भेजा है और 4 हफ्तों में जवाब मांगा है। First Updated : Friday, 06 October 2023