कौन हैं रेवंत रेड्डी जिनके सिर सजने वाला है तेलंगाना के सीएम पद का ताज

Who is Revanth Reddy : तेलंगाना में आखिरी चरण के मतदान के दौरान जब पता चला कि यहां कांग्रेस को बहुमत मिलने वाली है, और रेवंत रेड्डी मुख्यमंत्री बन सकते हैं. इसके बाद से लोगों ने गूगल पर रेवंत रेड्डी को सर्च करना शुरू कर दिया. आखिर रेवंत रेड्डी कौन हैं आज हम आपको इनके बारे में बता रहे हैं.

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तेलंगाना में विधानसभा चुनाव से पहले उत्तर भारत के हिंदी भाषी इलाके में अधिकांश लोगों ने रेवंत रेड्डी का नाम नहीं सुना था. तेलंगाना में आखिरी चरण के मतदान के दौरान जब पता चला कि यहां कांग्रेस को बहुमत मिलने वाली है, और रेवंत रेड्डी मुख्यमंत्री बन सकते हैं. इसके बाद से लोगों ने गूगल पर रेवंत रेड्डी को सर्च करना शुरू कर दिया. आखिर रेवंत रेड्डी कौन हैं आज हम आपको इनके बारे में बता रहे हैं.  

कॉलेज के दिनों में ABVP से जुड़े थे रेवंत रेड्डी
आठ नवंबर 1969 को अविभाजित आंध्र प्रदेश के महबूबनगर जिले में जन्मे अनुमुला रेवंत रेड्डी ने एक छात्र नेता के रूप में राजनीति करियर की शुरुआत की थी. हैदराबाद स्थित उस्मानिया यूनिवर्सिटी से एफिलिएटेड एवी कॉलेज से बैचलर ऑफ आर्ट्स (BA) की पढ़ाई के दौरान रेवंत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से जुड़े थे.

कैसा रहा रेवंत रेड्डी का राजनीति सफर
विद्यार्थी जीवन से निकलने के बाद रेवंत तेलुगू देशम पार्टी (TDP) में शामिल हुए और 2009 में आंध्र प्रदेश के कोडांगल क्षेत्र से चुनाव जीतकर विधायक बने. साल 2014 में रेवंत चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली TDP के विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे. वहीं साल 2017 में अनुमुला रेवंत रेड्डी ने कांग्रेस का हाथ थाम लिया. इसके बाद 2018 के विधानसभा चुनाव में उन्हें कांग्रेस ने टिकट दिया तो (तेलंगाना राष्ट्र समिति-(TRS) के प्रत्याशी से वह हार गये.

यहां 2019 में विधानसभा चुनाव होना था, लेकिन तेलंगाना के तत्कालीन मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव (KCR) ने एक साल पहले ही विधानसभा को भंग कर दिया और यहां चुनाव की नौबत आ गई थी. हालांकि 2019 में कांग्रेस ने पहले से भी बड़ा दांव खेला तो अनुमुला रेवंत रेड्डी मलकाजगिरि लोकसभा सीट से 10,919 वोटों के अंतर से जीतकर संसद में पहुंच गए. 2021 में कांग्रेस हाईकमान ने अनुमुला रेवंत रेड्डी के कद में बढ़ोतरी करते हुए उन्हें प्रदेश अध्यक्ष के रूप में नई जिम्मेदारी दी.

तब जेल गए और बेटी की शादी में जमानत पर पहुंचे
2015 में उन्हें एक गुप्त ऑपरेशन के जरिए टीडीपी एमएलसी उम्मीदवार के पक्ष में वोट करने के लिए एक विधायक एल्विस स्टीफेंसन को रिश्वत देते पकड़ा गया. रेवंत को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने गिरफ्तार कर लिया. गिरफ्तारी तब हुई जब उनकी इकलौती बेटी निमिषा की शादी हो रही थी. वह जमानत पर कुछ घंटों के लिए बाहर आए तभी सगाई और शादी में शामिल हो सके. पार्टी ने उन्हें दरकिनार कर दिया.

विधायक से सांसद तक रहे
पहली बार 2009 में कोडंगल निर्वाचन क्षेत्र से टीडीपी के विधायक चुने गए. अगले चुनाव में फिर टीडीपी विधायक बने. 2018 में केसीआर की लहर में वह पटनम नरेंद्र रेड्डी से लगभग 9,000 वोटों से हार गए. वह दो बार विधान परिषद में चुने गए. इसके बाद वर्ष 2019 मल्काजगिरी से सांसद भी रहे.

पांच साल पहले कांग्रेस में आए थे
जब वह टीडीपी से कांग्रेस में आए तो इस पार्टी में आने के 05 साल के अंदर ही अपनी खासियतों के कारण राज्य में पार्टी के अगुवा नेता बन गए. तीन साल पहले उन्हें राज्य में कांग्रेस का अध्यक्ष बनाकर कमान सौंप दी गई. उनकी धारदार राजनीति पार्टी में धाक जमाती गई.

इस तरह आए राहुल गांधी के करीब
भारत जोड़ो यात्रा रेवंत को राहुल गांधी के करीब ले आई. वह भारी भीड़ जुटाने की उनकी क्षमता से प्रभावित थे. इस यात्रा में उनकी तस्वीरें और गाने प्रमुखता से दिखाए गए, जिससे पार्टी में उनका दबदबा साफ हो गया. First Updated : Tuesday, 05 December 2023

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