कर्नाटक चुनाव कांग्रेस की जीत के साथ खत्म हो चुका है। मुख्यमंत्री पद के लिए मंथन चल रहा है। रेस में सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार बने हुए हैं। कर्नाटक चुनाव से पहले राज्य के कद्दावर कांग्रेसी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा था कि यह उनका आखरी चुनाव है लेकिन अब जब कांग्रेस चुनाव जीत गई है तो सवाल है कि क्या आखिरी चुनाव की बात करने वाले सिद्धारमैया आखिरी बार मुख्यमंत्री पद की कमान संभालेंगे। कभी कांग्रेस के धुर विरोधी रहे सिद्दारमैया क्या कांग्रेस की पहली पसंद बनेगे। आइए जानते हैं कि कौन हैं सिद्धारमैया। 

आजादी के महज एक साल बाद साल 1948 में मैसूर जिले के वरुणा होबली में दूर दराज के गांव सिद्धारमन हुंडी में सिद्धारमैया का जन्म हुआ। कई नेताओं ने उन्हें सिद्दू नाम भी दिया और उससे संबोधन भी किया। सिद्दू गरीब किसान परिवार से आते हैं जिन्होंने मैसूर यूनीवर्सिटी से पहले बीएसी की डिग्री ली फिर लॉ की पढ़ाई कर कुछ समय इसी पेशे में रहे। एक प्रखर वक्ता के रूप में माहिर सिद्दारमैया लोहिया से काफी प्रभावित थे। समाजवाद, दलितों और समाज के कमजोर वर्गों के लिए हमेशा खड़े रहने वाले सिद्दू ने फिर राजनीति में एंट्री ली। तब सिद्धारमैया ने पहली बार मैसूर तालुका के लिए चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। ये बात 80 के दशक की है।

सिद्धारमैया की राजनीतिक जीत-हार चलती रही लेकिन वो लगातार मशहूर होते गए। बाद में वे पिछड़ा वर्ग के लिए उम्मीद की किरण भी बने। उन्हें आगे चलकर जनता दल का महासचिव बनाया गया। इस दौरान उन्हें सरकार की कैबिनेट में भी जगह मिली।  साल 1983 में सिद्धारमैया ने मैसूर जिले की चामुंडेश्वरी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज कर 7वीं कर्नाटक विधानसभा के सदस्य के रूप में एंट्री की, पार्टी थी भारतीय लोक दल। इसके बाद वे सत्तारूढ़ जनता पार्टी में शामिल हो गए। 1985 में फिर उपचुनाव हुए तो उन्होंने इसी सीट से दोबारा जीत दर्ज की। हालांकि 1989 का चुनाव वे कांग्रेस से हार गए थे। 1994 में कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री बने लेकिन 1999 में वो एक बार फिर चुनाव हार गए। दोबारा 2004 में उपमुख्यमंत्री बने। 2006 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की।

सिद्धारमैया कुरुबा समुदाय से ताल्लुक रखते हैं और यह समुदाय राज्य में तीसरी सबसे बड़ी आबादी है। सिद्धारमैया को जेडीएस से बर्खास्त किए जाने के बाद पार्टी के आलोचकों ने दावा किया था कि उन्हें इसलिए हटाया गया क्योंकि जेडीएस नेता एचडी देवेगौड़ा कुमारस्वामी को पार्टी के नेता के रूप में बढ़ाने के इच्छुक थे। अधिवक्ता सिद्धारमैया ने उस वक्त भी राजनीति से सन्यांस की बात कहते हुए वकालत के पेशे में लौटने का विचार किया था। आज सिद्धारमैया कर्नाटक के मुख्यमंत्री की रेस में सबसे आगे चल रहे हैं हो सकता है कि वो कर्नाटक के 24वें मुख्यमंत्री के रूप में पदभार ग्रहण करें हालांकि इस पर अभी तस्वीर साफ नहीं है।