कौन है वह व्यक्ति, जिससे दुबई में तहव्वुर राणा ने की थी मुलाकात?, एनआईए ढूंढ रही जवाब
मुंबई में हमले से पहले दुबई में राणा से मिलने वाला वह व्यक्ति कौन था?, अमेरिकी जांच एजेंसियों द्वारा भारतीय अधिकारियों के साथ साझा किए गए रिकॉर्ड के अनुसार, यह व्यक्ति हमले के बारे में जानता था. एनआईए ने पुष्टि की है कि वह इस व्यक्ति की पहचान और भूमिका की जांच कर रही है.

आतंकवादी तहव्वुर राणा को कई सालों के प्रयासों के बाद गुरुवार को भारत लाया जा सका. एनआईए तहव्वुर राणा से पूछताछ कर रही है. इस दौरान उसने कई बड़े खुलासे किए हैं. सूत्रों के अनुसार, तहव्वुर राणा ने मुंबई हमलों की योजना बनाने से पहले दुबई में एक शख्स से मुलाकात की थी. एनआईए सूत्रों के मुताबिक, इस व्यक्ति को हमले के बारे में पता था. एनआईए अधिकारियों का मानना है कि उनसे पूछताछ से भारत के इतिहास में हुए सबसे भीषण आतंकवादी हमलों में से एक के 'दुबई कनेक्शन' का पता चल सकता है.
दुबई में आदमी
मुंबई में हमले से पहले दुबई में राणा से मिलने वाला वह व्यक्ति कौन था?, अमेरिकी जांच एजेंसियों द्वारा भारतीय अधिकारियों के साथ साझा किए गए रिकॉर्ड के अनुसार, यह व्यक्ति हमले के बारे में जानता था. एनआईए ने पुष्टि की है कि वह इस व्यक्ति की पहचान और भूमिका की जांच कर रही है. एनआईए सूत्रों के अनुसार, हेडली, जिसे दाउद गिलानी के नाम से भी जाना जाता है. हेडली ने 2008 में राणा को स्पष्ट रूप से भारत न आने की चेतावनी दी थी, जिससे आतंकवादी अभियानों का संकेत मिलता था. हेडली ने राणा की दुबई में एक व्यक्ति से मुलाकात कराई.
सूत्रों के अनुसार, अधिकारी इस बात की जांच कर रहे हैं कि क्या यह व्यक्ति पाकिस्तान की सैन्य खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) से जुड़ा था, क्या वह पाकिस्तानी सेना का कोई वरिष्ठ व्यक्ति था, या फिर पाकिस्तान से संचालित किसी आतंकवादी समूह का नेता था.
एनआईए के लिए सबसे दिलचस्प बात यह है कि इस व्यक्ति की पहचान को शीर्ष आतंकवाद विरोधी नेटवर्क के भीतर भी गुप्त रखा गया है. एजेंसियों का मानना है कि राणा ने अमेरिकी अधिकारियों द्वारा पहले की गई पूछताछ में उसका जिक्र किया होगा, जिनकी गोपनीय रिपोर्ट अब भारत के हाथों में है.
संदिग्ध पट्टा
पूछताछ का एक और पहलू नवंबर 2008 में राणा और हेडली द्वारा लिए गए एक निर्णय के इर्द-गिर्द घूमता है, दोनों में से किसी ने भी राणा की इमिग्रेशन कंसल्टेंसी की आड़ में मुंबई में संचालित एक ऑफिस के पट्टे को अपडेट नहीं किया. कथित तौर पर इस कार्यालय का इस्तेमाल हेडली ने शहर के प्रमुख होटलों और सार्वजनिक स्थलों सहित संभावित लक्ष्यों की टोह लेने के लिए किया था.
एनआईए की पिछली जांच के अनुसार, अगस्त 2005 में हेडली ने कथित तौर पर राणा को लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) की योजना के बारे में बताया था, जिसमें उसे राणा की फर्म के लिए काम करने की आड़ में जासूसी करने के लिए भारत भेजने की योजना थी. हेडली ने सुझाव दिया कि राणा का इमिग्रेशन व्यवसाय गतिविधियों को छिपाने के लिए एक उपयुक्त मुखौटा होगा, जिसमें हेडली एक सलाहकार के रूप में पेश होगा.
हेडली के पश्चिमी रूप-रंग और अमेरिकी पासपोर्ट के कारण वह स्वतंत्र रूप से घूम सकता था, मुंबई के प्रमुख स्थलों का निरीक्षण कर सकता था, उनकी वीडियो रिकॉर्डिंग कर सकता था और डेटा पाकिस्तान में अपने आकाओं को भेज सकता था.
कई भारतीय शहर हो सकते थे निशाना
एनआईए सूत्रों के अनुसार, मुंबई में इस्तेमाल की गई रणनीति अन्य भारतीय शहरों में भी इसी तरह के हमले करने की व्यापक योजना का हिस्सा हो सकती है. इस जांच के तहत राणा के यात्रा रिकॉर्ड की बारीकी से जांच की जा रही है. 2008 में 13 से 21 नवंबर के बीच राणा ने अपनी पत्नी समराज राणा अख्तर के साथ कई भारतीय शहरों का दौरा किया. इन शहरों में उत्तर प्रदेश के हापुड़ और आगरा, दिल्ली, कोच्चि, अहमदाबाद और मुंबई शामिल हैं. अधिकारी इस बात की जांच कर रहे हैं कि क्या ये यात्राएं इसी तरह के हमलों को अंजाम देने के लिए किसी टोही मिशन का हिस्सा थीं.
एनआईए ने लिए ये नाम
जांच के शुरुआती चरणों में, एनआईए ने कई लोगों के नाम लिए, जिनके बारे में माना जाता है कि वे व्यापक साजिश का हिस्सा थे. इनमें लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद, लश्कर-ए-तैयबा के ऑपरेशनल कमांडर जकी-उर-रहमान लखवी, साजिद मजीद, इलियास कश्मीरी और अब्दुर रहमान हाशिम सैयद, जिन्हें मेजर अब्दुर्रहमान या पाशा के नाम से भी जाना जाता है, शामिल हैं.
एजेंसी ने यह भी आरोप लगाया कि ये लोग आईएसआई अधिकारियों के साथ मिलकर काम करते थे, जिनमें मेजर इकबाल उर्फ मेजर अली और मेजर समीर अली उर्फ मेजर समीर शामिल हैं. इन सभी पर मुंबई हमले की योजना बनाने, वित्त पोषण करने और उसे अंजाम देने में भूमिका निभाने का संदेह है.
राणा और हेडली ने पाकिस्तान में एक साथ सैन्य स्कूल में शिक्षा प्राप्त की थी और बाद में आव्रजन परामर्श व्यवसाय में साझेदारी की, जिसके बारे में अधिकारियों का आरोप है कि इसका इस्तेमाल आतंकवादी कार्रवाइयों के लिए कवर के रूप में किया गया.
राणा को हाई सिक्योरिटी में रखा गया
राणा को दिल्ली के सीजीओ कॉम्प्लेक्स में एनआईए मुख्यालय की एक मजबूत कोठरी में रखा गया है. बाहरी परिधि पर सीआरपीएफ और दिल्ली पुलिस के सशस्त्र जवान पहरा दे रहे हैं. अंदर चौबीसों घंटे निगरानी रखी जा रही है. हर 24 घंटे में मेडिकल जांच की जाती है. राणा को हर दूसरे दिन अपने कानूनी सलाहकार से मिलने की अनुमति है, लेकिन केवल निगरानी में और केवल सॉफ्ट-टिप पेन के साथ. एनआईए के वर्तमान डीजी सदानंद वसंत दाते 2008 के मुंबई हमलों के दौरान ड्यूटी के दौरान घायल हो गए थे. दाते ने कामा अस्पताल में हमलावरों अजमल कसाब और अबू इस्माइल से मुठभेड़ की थी और गंभीर रूप से घायल हो गए थे.