MP Suspended from Lok Sabha : संसद की सुरक्षा में चूक की घटना को लेकर सोमवार को विपक्षी सांसदों ने लोकसभा और राज्यसभा में हंगामा किया, जिसके बाद दोनों सदनों के 78 विपक्षी सदस्यों को निलंबित कर दिया गया. आज लोकसभा में विपक्ष के 49 लोकसभा सांसदों को सस्पेंड कर दिया. इसके साथ ही अब तक 141 विपक्षी सांसदों को निलंबित किया जा चुका है. आज हम जानते हैं कि संसद सदस्यों का निलंबन कैसे और कौन कर सकता है.
आसान भाषा में कहें तो संसद सदन को चलाने के लिए कुछ नियम कायदे बनाए गए हैं. जिनका पालन करना सभी संसद सदस्य के लिए जरूरी होता है. संसद व्यवस्थित ढंग से चलाने की जिम्मेदारी पीठासीन अधिकारी लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति की होती है. अगर कोई सदस्य संसन के नियमों का पालन नहीं करता तो लोकसभा में अध्यक्ष या राज्यसभा में सभापति को किसी सदस्य को सदन से बाहर करने या निलंबित करने का अधिकार है.
लोकसभा में सांसदों के निलंबन के संबंध में विशिष्ट नियम 374 में प्रावधान किए गए हैं. नियम के अनुसार, अगर कोई सदस्य सदन के कामकाज में लगातार और जानबूझकर व्यवधान उत्पन्न करता है या फिर संसद सदन चलने देने में बाधा डालता है या अमर्यादित आचरण करता है तो अध्यक्ष (लोकसभा के पीठासीन अधिकारी) उन्हें एक विशिष्ट अवधि के लिए सदन से बाहर जाने का निर्देश दे सकते हैं. इसके अलावा कुछ दिनों से लेकर पूरे सत्र तक के लिए उस सदस्य को निलंबित कर सकता है
राज्यसभा सदस्यों के निलंबन को लेकर नियम 256 में में प्रावधान किए गए हैं. लोकसभा की तरह ही अगर कोई सदस्य जानबूझकर संदन में नारे लगाते हैं, तख्तियां दिखाते हैं, या घोर अमर्यादित आचरण करते हैं, सदन को बाधित कर कामकाज में बाधा डालते हैं, तो सभापति (राज्यसभा के पीठासीन अधिकारी) उन्हें एक निर्दिष्ट अवधि के लिए तुरंत राज्य सभा से हटने का निर्देश दे सकते हैं. भारत में संसद सदस्यों (सांसदों) का निलंबन अमर्यादित आचरण या कदाचार को देखते हुए किया जाता है. दोनों सदनों में सदस्यों के निलंबन को लेकर प्रक्रिया एक समान है, लेकिन नियम अलग-अलग हैं.
निलंबन की कई तरह की शर्तें होती हैं. इसमें पहली है कि निलंबन की अधिकतम अवधि शेष सत्र (मौजूदा सत्र ) तक के लिए हो सकती है. निलंबित सदस्य कक्ष में प्रवेश नहीं कर सकते हैं या समितियों की बैठकों में शामिल नहीं हो सकते हैं. वह चर्चा अथवा किसी प्रकार के नोटिस देने हेतु पात्र नहीं होते. निलंबित सदस्य अपने प्रश्नों का उत्तर पाने का अधिकार खो देते हैं.
पिछले कुछ सालों में संसद में लोकसभा और राज्यसभा को सदस्यों के द्वारा बाधित करने के कुछ कारणों की पहचान की गई है. राजनीतिक नेताओं और पीठासीन अधिकारियों द्वारा किये गए विश्लेषण के अनुसार, व्यवधान पैदा करने के चार मुख्य कारण देखते में आए हैं.
• महत्त्वपूर्ण मुद्दों को उठाने के लिये सांसदों के पास पर्याप्त समय न मिलना.
• सरकार की गैर-जवाबदेही तथा और ट्रेज़री बेंच (मंत्री पक्ष) का प्रतिशोधी रवैया अपनाना.
• राजनीतिक दलों द्वारा जान-बूझकर अशांति पैदा करना.
• संसदीय कार्यवाही में बाधा डालने वाले सांसदों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की विफलता.
First Updated : Tuesday, 19 December 2023