कौन थे गांधी जी का दाहिना हाथ? नेहरू के खिलाफ क्यों पेश किया था अविश्वास प्रस्ताव?
J.B. Kripalani Death Anniversary: देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के अंतिम सांस तक उनके दाहिने हाथ बने रहने वाले जे॰ बी॰ कृपलानी यानी जीवटराम भगवानदास कृपलानी का आज 135वीं डेथ एनिवर्सरी है तो चलिए इस मौके उनके बारे में कुछ रोचक बाते जानते हैं.
J.B. Kripalani Death Anniversary: स्वतंत्रता सेनानियों की गांधीवादी-समाजवादी जमात के सदस्य रहे जे॰ बी॰ कृपलानी को सम्मान से आचार्य कृपलानी कहा जाता था. साल 1947 में जब भारत को आजादी मिली तब कृपलानी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे. ये वहीं आचार्य कृपलानी है जिन्होंने पंडित जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था. तो चलिए आज आचार्य कृपलानी के 136वीं डेथ एनिवर्सरी पर जानते हैं कि आखिर उन्होंने नेहरू के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव क्यों पेश किया था.
आचार्य जे. बी. कृपलानी की मुलाकात महात्मा गांधी से चंपारण सत्याग्रह के दौरान हुई थी. तभी से वह गांधी जी के साथ रहने लगे. वे सन् 1947 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष रहे जब भारत को आजादी मिली.
आचार्य जे. बी. कृपलानी का जीवन परिचय
आचार्य जे. बी. कृपलानी हैदराबाद (सिंध) के उच्च मध्यवर्गीय परिवार में 11 नवम्बर 1888 में हुआ था. उनके पिता एक राजस्व और न्यायिक अधिकारी थे. जेबी कृपलानी आठ भाई-बहन थे जिसमें से आचार्य जी छठवें थे. प्रारम्भिक शिक्षा सिंध से पूरी करने के बाद उन्होने मुम्बई के विल्सन कॉलेज में प्रवेश लिया. उसके बाद वह कराची के डी जे सिंध कॉलेज चले गए. उसके बाद पुणे के फर्ग्युसन कॉलेज से 1908 में स्नातक हुए. आगे उन्होंने इतिहास और अर्थशास्त्र में एमए उतीर्ण किया.
कौन थे गांधी जी का दाहिना हाथ?
चंपारण सत्याग्रह के दौरान आचार्य जे. बी. महात्मा गांधी के सम्पर्क में आये, और यहीं से उनके जीवन का दूसरा अध्याय शुरू हो गया. 1920 से 1927 तक महात्मा गांधी द्वारा स्थापित गुजरात विद्यापीठ के वे प्रधानाचार्य रहे. तभी से उन्हें आचार्य कृपलानी कहा जाता है. जीवटराम भगवानदास कृपलानी स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी, गांधीवादी समाजवादी, पर्यावरणवादी और राजनेता थे. कृपलानी को गांधी जी का दाहिना हाथ कहा जाता है क्योंकि वह गांधी जी के अंतिम समय तक उनके साथ रहे थे. ऐतिहासिक चंपारण सत्याग्रह के बाद से महात्मा गांधी के आखिरी सांस तक उनके दाहिने हाथ बन रहे. कृपलानी ने महात्मा गांधी के इच्छा के मुताबिक प्रधानमंत्री के पद के लिए जवाहरलाल नेहरू के चयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
नेहरू के खिलाफ पेश किया था अविश्वास प्रस्ताव
भारत के संसदीय इतिहास में पहली बार अविश्वास प्रस्ताव लाने वाले आचार्य जेपी कृपलानी ही थे. 1962 के चीन युद्ध में हार के बाद आचार्य कृपलानी ने अगस्त 1963 में संसद के मॉनसून सत्र के दौरान पंडित जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था. इस प्रस्ताव के पक्ष में केवल 62 मत पड़े थे जबकि विरोध में 347 मत आए थे. हालांकि, जेबी कृपलानी ने पंडित नेहरू की सरकार बनाने में बड़ी मदद की थी.