Ghaziabad : उत्तर प्रदेश के एक और बड़े शहर का नाम बदल जाएगा. गाजियाबाद नगर निगम ने मंगलवार को गाजियाबाद का नाम बदलने का प्रस्ताव पारित कर दिया है. महापौर सुनीता दयाल ने कहा कि गाजियाबाद का नाम बदलकर तीन नाम- हरनंदी नगर, गजप्रस्थ और दूधेश्वरनाथ नगर प्रस्तावित किए गए हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ये नाम भेजे जाएंगे और वही इस पर अंतिम फैसला लेंगे. इस शहर का काम क्यों बदला जा रहा है और इस शहर का नाम गाजियाबाद क्यों पड़ा आपके दिमाग में भी यह सवाल आया होगा. आपके दिमाग में यह सवाल आया है या फिर नहीं आया तब भी हम आपको इसके बारे में बता रहे हैं...
कभी मुगलों का शाही परिवार गाजियाबाद, हिंडन के तट और आसपास के क्षेत्र में समय बिताने पहुंचता था. यह स्थान उनके लिए पिकनिक स्पॉट जैसा था. मुगलों को यह स्थान अच्छा लगा तो उन्होंने इसे व्यवस्थित रूप देना शुरू कर दिया और कुछ समय बाद यह एक शहर के रूप में विकसित हो गया.
साल 1739 में ईरान का बादशाह नादिर शाह भारत आया, और उसने यहां पर जमकर उत्पात मचाया. लोगों पर अत्याचार करने के साथ ही दिल्ली को जमकर लूटा. उससे जो तहस-नहस किया उसका असर सिर्फ दिल्ली तक ही सीमित नहीं रहा. आसपास के राज्यों और क्षेत्रों में भी दिखा. इसके बाद शहरों को व्यवस्थित करने की कोशिश शुरू हुई.
इस तरह गाजी-उद-दीन ने 1740 में गाजियाबाद की नींव रखी. वो गाजी जो मुगल बादशाह मुहम्मद शाह का वजीर था. हालांकि, तब इसे गाजियाबाद नहीं कहा जाता था. शुरुआती दौर में इसे गाजी-उद-दीन नगर कहते थे. धीरे-धीरे यह नाम प्रचलित हो गया. लेकिन बाद में इसका नाम बदलकर गाजियाबाद कर दिया गया.
साल 1864 में रेलवे लाइन बिछाने का काम शुरू हुआ. तब तक इसका नाम गाजी-उद-दीन नगर था, लेकिन यह नाम अंग्रेजों को बड़ा लगा और इसे छोटा किया गया. इस तरह गाजी-उद-दीन नगर का नाम बदलकर गाजियाबाद कर दिया गया.
14 नवंबर 1976 से पहले तक गाजियाबाद मेरठ जिले की तहसील हुआ करता था. इसके बाद इसे एक जिला घोषित कर दिया गया. उत्तर प्रदेश के जिलों के नाम बदलने के दौर में कई बार यह मांग उठी कि मुगलों के दौर का नाम बदला जाए और इसे सनातन धर्म से जोड़ा जाए. गाजियाबाद के साथ भी ऐसा ही है.
गाजियाबाद का नाम बदलकर तीन नए नामों का प्रस्ताव रखा गया है. इनमें गजनगर, हरनंदीनगर और दूधेश्वर नगर नाम शामिल हैं. पहले गजनगर का कनेक्शन समझते हैं. दिल्ली का प्राचीन नाम इंद्रप्रस्थ था, जिसे हस्तिनापुर की राजधानी कहा जाता था. ऐतिहासिक दस्तावेज कहते हैं कि हस्तिनापुर के उत्तरी हिस्से में कभी घने जंगल हुआ करते थे. जिसके कई नाम रखे गए थे. उन नामों में हाथियों का जिक्र मिलता है. यहीं से इसका नाम गजनगर रखने की चर्चा शुरू हुई.
हरनंदी नगर नाम हिंडौन नदी से आया है जो सदियों से इसका हिस्सा रही है. अब दूधेश्वर नगर नाम की वजह भी जान लेते हैं. इसकी वजह है गाजियाबाद का सबसे प्रख्यात दूधेश्वर नाथ मंदिर. यह पहली बार नहीं है जब इस नाम का जिक्र हुआ है. लंबे समय से गाजियाबाद में लोगों का समूह दूधेश्वर नगर रखने की अपील कर चुका है. यहां तक की शहर में कई बार इसी नाम को बदलने के पोस्टर भी लगाए जा चुके हैं. हालांकि इस बार नगर निगम के द्वारा विधिवत गाजियाबाद का नाम बदलने का प्रस्ताव पारित किया गया है. अब आगे देखना है कि सीएम योगी आदित्यनाथ को कौन सा नाम पसंद आता है. First Updated : Wednesday, 10 January 2024