CAA Rules In India: मोदी सरकार ने आगामी लोकसभा चुनाव से पहले बड़ा फैसला लिया है. केंद्र सरकार ने सोमवार 11 मार्च को नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) 2019 को लागू कर दिया है. इसके तहत 31 दिसंबर, 2014 से पहले पड़ोसी देशों यानी पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भारत आए हिंदू, सिख बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को भारत की नागरिकता मिलेगी. लेकिन सीएए को लेकर देश में कुछ लोग विरोध करते दिखाई दे रहे हैं. लोगों के मन में बहुत से सवाल हैं, जिनके जवाब हम आगे देने वाले हैं.
सीएए धार्मिक अल्पसंख्कों के लिए आशा की एक नई किरण है. गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि इसका मकसद वर्षों के धार्मिक उत्पीड़न झेलने वाले लोगों को भारतीय नागरिकता देकर सम्मान से जीवन जीने का मौका देना है.
अमित शाह ने साल 2019 में सदन में बयान दिया था कि इससे पहल युगांडा, श्रीलंका जैसे देशों से आए शरणार्थियों को नागरिकता दी गई है. उस समय पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान को शामिल नहीं किया गया था. इस बार सीएए में तीनों देशों से भारत आए अप्रवासियों को नागरिकता दी जाएगी.
सरकार का कहना है कि मुसलमानों को इसलिए शामिल नहीं किया गया क्योंकि उन्हें इन इस्लामिक देशों में धार्मिक उत्पीड़न झेलना नहीं पड़ा है. इन देशों में बड़े पैमाने पर अल्पसंख्यकों के पलायन देखने को मिला है.
सीएमए के माध्यम से कोई भी अवैध तरीके से आया व्यक्ति भारतीय नागरिक बन सकता है.
CAA के तहत दूसरे देश से आए पीड़ितों को नारिकता दी जाएगी. इससे भारत के किसी भी नागरिक की नागरिकता पर कोई असर नहीं होगा.
सीएए कुछ क्षेत्रों में लागू नहीं होगा. ये हैं- (1) संविधान की छठी अनुसूची में शामिल असम, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा के आदिवासी क्षेत्र और (2) वो राज्य जो बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन 1873 के तहत इनर लाइन परमिट द्वारा नियंत्रित किए जाते हैं.
नागरिकता मिलने के बाद व्यक्ति को देश के प्रति निष्ठा की शपथ लेनी होती है. जिसमें वो कहता है कि वो कानून द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची आस्था और निष्ठा रखेगा. First Updated : Tuesday, 12 March 2024