Independance day : इस पेड़ पर ही क्यों दी गई 257 क्रांतिकारियों को फांसी, जानिए अंग्रेजों के जुल्म की दास्तां
Independance day : हमारा देश 15 अगस्त सन 1947 में आजाद हुआ था. इस आजादी के लिए ना जाने कितने क्रांतिकारियों ने अपना खून बहाया और कितने जुल्मों को सेहन करने के बाद आजादी देखने को मिली.
हाइलाइट
- हमारा देश 15 अगस्त सन 1947 में आजाद हुआ था.
Independance day : देश की आजादी के लिए हजारों संख्या में क्रातिकारियों ने अपनी जान गंवा दी. जिस वक्त देश आजाद हुआ था उस वक्त बरगद का पेड़ भी युवा था. उन हजारों नौजवानों की तरह जो आजादी की खातिर सिर पर कफन बांधे शहादत की राह पर चल पड़े थे. शायद उस बरगद का मन भी तड़प उठा था गुलामी से. उस पेड़ ने कई क्रांतिकारियों को थमा था. वहीं कुछ लोगों का मानना है कि क्रांतिकारियों को पीपल के पेड़ पर लटका कर दर्दनाक अग्रेंजी सरकार ने उन्हें मौत दी.
257 शहीदों की याद में बना पीपल का पेड़ बावनी इमली
फतेहपुर जिले बिन्दकी तहसील में पीपल का एक ऐसा पेड़ है जो अंग्रेजों की क्रूरता की आज भी गवाही देते हैं. इस पेड़ पर अंग्रेजों ने करीब 257 क्रांतिकारियों को फंसी पर लटकाया गया था. उन्हीं 257 शहीदों की याद में याद में आज भी यह पेड़ बावनी इमली के नाम से जाना जाता है.
आजादी की पहली जंग के समय 1857 में नाना साहेब के नेतृत्व में फतेहपुर जिले में भी आजादी के दीवानों ने अंग्रेजों के खिलाफ जंग का एलान कर किया. उन्ही आजादी के दीवानों में से एक थे रसूलपुर गांव के निवासी ठाकुर जोधा सिंह अटैया.इनकी आक्रमण करने की गुरिल्ला तकनीक से अंग्रेज खौफ खाते थे.
लोगों का मानना है कि पीपल के पेड़ पर कई दिनों तक क्रांतिकारियों के शव को लटकाया जाता था,जाता था. अंग्रेज सरकार अपना डर समाज में फैलना चाहती थी जिसके चलते वह लोगों पर जुल्म करते थे साथ ह पेड़ पर कई दिनों तक शव को लटके रहने दिया करते थे.
लोगों में दहशत फैलाने का मकसद
अंग्रेज सरकार चाहती थी सभी लोगों को डराकर रखा जाया. शहीद स्मारक की देखरेख में मुख्य भागीदार पंडित वासुदेव निरर्मोही बताते हैं कि इन कार्तिकारियों का बलिदान तो और भी महत्वपूर्ण था क्योंकि वे आज भी गुमनाम हैं जबकि आजादी की जंग में उनकी प्रमुख भूमिका रही.