Explainer : जम्मू-कश्मीर के पुंछ और राजौरी में ज्यादा आतंकी वारदातें क्यों हो रही हैं ? ये सुरक्षा बलों की नाकामी या फिर...

Terrorist Attack in Jammu & Kashmir : साल 2023 में अब तक जम्मू-कश्मीर में कुल मौतों की संख्या 125 है. पुलिस सूत्रों के मुताबिक 2023 में अब तक 67 आतंकवादी मारे गए हैं, जबकि पिछले वर्ष 180 आतंकवादी मारे गए थे.

Pankaj Soni
Edited By: Pankaj Soni

हाइलाइट

  • साल 2023 में अब तक जम्मू-कश्मीर में आतंक से कुल मौतों की संख्या 125 है.
  • 2023 में जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा संबंधी कुल मौतों में 40 प्रतिशत मौतें इन्हीं दो जिलों में हुई हैं.
  • आबादी और सेना में कम तालमेल का लाभ उठाकर पाकिस्तान इस क्षेत्र में आतंकियों को भेजता है.

नरेंद्र मोदी सरकार ने साल 2019 में अनुच्छेद 370 खत्म कर जम्मू और कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया. इसके बाद से जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ सेना का ऑपरेशन लगातार जारी है. अब कश्मीर में आतंकी किसी बड़ी वारदात को अंजाम नहीं दे पा रहे हैं. इसकी वजह से आतंकी पुंछ और राजौरी जिले में हमले कर रहे हैं. आतंकियों की ओर से दोनों जिलों में एलओसी पर घुसपैठ के साथ फिदायीन हमले करने का प्रयास किया जा रहा है. 

कश्मीर में आतंकी किसी बड़ी वारदात को अंजाम नहीं दे पा रहे. इसलिए पुंछ और राजौरी जिले में हमले कर रहे हैं. बार-बार इन्हीं जिलों में एलओसी पर घुसपैठ के साथ फिदायीन हमले करने का प्रयास किया जा रहा है. ऐसे में हम आज यह समझेंगे कि आतंकी पुंछ और राजौरी जिले में वारदात को अंजाम देने में क्यों सफल हो रहे हैं या फिर यहां सुरक्षा बलों की वैसी मुस्तैदी नहीं है जैसी होनी चाहिए. 

Jammmu kashmir news
2023 में अब तक 67 आतंकवादी मारे गए हैं,

 

2023 में 125 लोगों की गई जान 
साल 2023 में अब तक जम्मू-कश्मीर में कुल मौतों की संख्या 125 है. पुलिस सूत्रों के मुताबिक 2023 में अब तक 84 आतंकवादी मारे गए हैं, जबकि पिछले वर्ष 180 आतंकवादी मारे गए थे, जिनमें से केवल 21 स्थानीय थे. वहीं 42 पाकिस्तान से आए विदेशी घुसपैठिए थे. इन आंकड़ों से पता चलता है कि स्थनीय आंतकवाद में कमी आई है. 

बीते दो साल में राजौरी-पूंछ बेल्ट में हुए बड़े आतंकी हमले

2021: अक्टूबर में तीन बड़े हमले हुए
11 अक्टूबर 2021: पूंछ जिले की सुरनकोट तहसील के चामरेर जंगलों में सेना की आतंकियों के साथ मुठभेड़ हुई. इसमें एक JCO समेत 5 जवान शहीद हो गए.
16 अक्टूबर 2021 : पूंछ की मेंढार तहसील के भट्‌टा दुरियन इलाके में सेना और आतंकियों के बीच मुठभेड़ में एक अन्य JCO समेत चार जवान शहीद हो गए.
30 अक्टूबर 2021: राजौरी के नौशेरा सेक्टर में माइन ब्लास्ट में एक लेफ्टिनेंट और एक जवान की जान चली गई.

2022: अगस्त और दिसंबर में दो बड़े हमले
11 अगस्त 2022 :
राजौरी जिले के दरहल इलाके में परगल आर्मी कैंप पर आतंकियों ने हमला कर दिया. इसमें पांच जवान शहीद हुए जबकि दो फिदायीनों को सेना ने मार गिराया.
18 दिसंबर 2022: राजौरी के अल्फा गेट के बाहर एक आतंकी हमले में दो नागरिक मारे गए.

2023: इस साल दस जवान शहीद हुए
1 जनवरी 2023 :
राजौरी के डांगरी गांव में दो विदेशी आतंकियों की फायरिंग और IED ब्लास्ट में अल्पसंख्यक समुदाय के सात लोग मारे गए थे. इनमें दो नाबालिग थे.
20 अप्रैल 2023 : पूंछ जिले की मेंढार तहसील के भट्‌टा दुरियन इलाके में आतंकियों ने सुरक्षाबलों पर हमला किया, जिसमें सेना के पांच जवान शहीद हो गए जबकि एक जवान घायल हो गया.
5 मई 2023 : राजौरी के कांडी में आतंकियों ने IED ब्लास्ट किया जिसमें पांच आर्मी पैरा कमांडो शहीद हुए और एक मेजर घायल हो गया. 
18 जुलाई 2023 : पूंछ जिले की सुरनकोट तहसील के सिंधारा टॉप इलाके में सुरक्षाबलों ने चार 
17 नवंबर 2023: राजौरी में एनकाउंटर हुआ और 1 आतंकी मारा गया. 

 

Jammu Kashmir terrorist attack
कश्मीर घाटी से भी बड़ा राजौरी-पुंछ क्षेत्र जंगलों और पहाड़ियों से भरा है.

 

राजौरी-पुंछ बेल्ट में सुरक्षा विसंगतियां क्या हैं ? 
यह क्षेत्र पीर पंजाल की पर्वत श्रृंखला से सटा है जो दक्षिणी तरफ कश्मीर से घिरा है. राजौरी-पुंछ पहाड़ियां भी पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर से निकलती हैं. पठारी कश्मीर घाटी की तुलना में यह आमतौर पर सुरक्षा प्रभुत्व के लिए अनुकूल नहीं है. यह क्षेत्र LOC (नियंत्रण रेखा) से लगा हुआ है. यहां छोटे नालों भी हैं. इनके सहारे आतंकी भारत की सीमा पर आसानी प्रवेश कर जाते हैं. पाकिस्तानी सेना और आईएसआई भारतीय सीमा के अंदर घुसपैठियों को भेजती है.   जम्मू-कश्मीर पुलिस के पूर्व महानिदेशक शेष पॉल वैद ने मीडिया से कहा, "यह स्थलाकृति आतंकवादियों के लिए भारतीय सीमा में प्रवेश करना आसान बनाती है, फिर खतरा महसूस होने पर वे या तो वापस लौट जाते हैं या कश्मीर की ओर भाग जाते हैं.

आतंकवादी सांप्रदायिक तनाव भड़का रहे हैं
उत्तरी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने अपनी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि स्थानीय आबादी के सेना के समर्थन की कमी के कारण पाकिस्तान इस क्षेत्र में आतंकियों को भेजने का प्रयास कर रहा है. पाकिस्तान अपने लोगों को यहां भेजकर स्थानीय लोगों के बीच आपसी मतभेद और तनाव फैला रहे हैं. उन्होंने कहा कि बाजीमल में सुरक्षा बलों द्वारा मारे गए आतंकवादी अच्छी तरह से प्रशिक्षित भाड़े के सैनिक थे. इसका मतलब यह है कि पाकिस्तान पुंछ-राजौरी क्षेत्र में सुरक्षा बलों के लिए एक नया सुरक्षा संकट पैदा करने की कोशिश कर रहा है.

क्या है आगे की राह? 
सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि कश्मीर में यह भारी सुरक्षा बंदोबस्त आतंकवादियों को कम सुरक्षित क्षेत्रों में हमले करने के लिए प्रेरित कर रहा है. ऐसे में आतंकवादी इस आदिम तर्क से प्रेरित होते हैं कि उन्हें किसी न किसी तरह से हमें नुकसान पहुंचाना होगा. पुंछ-राजौरी में तब तक कुछ नहीं चल रहा था जब तक कि सुरक्षा बल अनंतनाग, सोपोर या बारामूला जैसे पहले उग्रवाद के मुख्य क्षेत्रों पर पूरी तरह से कब्ज़ा करने में कामयाब नहीं हो गए.

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28 November 2023, 04:27 PM IST

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