Explainer : हिमाचल से बिहार तक क्‍यों छाई है धुंध की चादर? पहाड़ से ज्‍यादा ठंडे कैसे हो गए मैदानी भाग

Weather News : उत्तर भारत के ज्‍यादातर मैदानी इलाकों में पहाड़ों से ज्‍यादा ठंड पड़ने के कई कारण हैं. मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक, उत्तर भारत में सूरज के दक्षिणायन होने के कारण जमकर ठंड पड़ती है.सूरज के दक्षिणायन होने के कारण किरणों की तेजी और तपिश धरती पर कम हो जाती है.

Pankaj Soni
Pankaj Soni

दिल्ली-एनसीआर से लेकर उत्तर भारत के राज्यों में कड़ाके की ठंड के साथ कोहरे की चादर छाई हुई है. पिछले 10 दिनों से लोग ठंड और कोहरे से परेशान चल रहे हैं. उत्‍तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, बिहार, राजस्‍थान समेत पूरे उत्‍तर भारत में 10 दिन से ज्‍यादा समय से कोहरा छाया है. हालांकि, पिछले दो दिन से दिल्‍ली-एनसीआर और उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में दोपहर में धूप निकलने से लोगों को थोड़ी राहत मिली है. इसके बाद भी ज्‍यादातर समय धुंध की घनी चादर होने की वजह से मैदानी इलाकों में कड़ाके की ठंड पड़ रही है.

मैदानी इलाके पहाड़ों से भी ज्‍यादा ठंडे

मैदानी इलाके पहाड़ों से भी ज्‍यादा ठंडे हो गए हैं. ठंड और धुंध के कारण हवाई यातायात से लेकर रेल और सड़क परिवहन बुरी तरह प्रभावित हुआ है. कड़ाके की ठंड और कोहरे के कारण ट्रेनें, फ्लाइट्स लेट चल रही हैं. कई ट्रेनों और फ्लाइट्स को रद्द करना पड़ा है. घने कोहरे के कारण सड़कों पर जाम की समस्या आम हो गई है. कम दृश्‍यता के कारण कई जगहों पर सड़क दुर्घटनाएं भी हुई हैं. इतनी सारी बातों के बीच क्या आपको पता है कि मैदानी इलाकों में दो सप्‍ताह से इतना ज्‍यादा कोहरा क्‍यों छाया है? उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में पहाड़ों से भी ज्‍यादा ठंडे क्यों पड़ रही है? 

कोहरे की आगोश में उत्तर भारत.
कोहरे की आगोश में उत्तर भारत.

 

उत्तर भारत में कब और कैसे छाया घना कोहरा

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के वरिष्‍ठ वैज्ञानिक आरके जेनामणि के अनुसार, कोहरे का यह दौर 2019-20 की सर्दियों के बाद सबसे लंबा चला है. उस समय मैदानी इलाकों में करीब 18 दिन तक कोहरे की घनी चादर छाई थी. इस बार, क्रिसमस की पूर्व संध्या के आसपास मैदानी इलाकों में कोहरा शुरू हुआ था. फिर नए साल की पूर्व संध्या तक पूरे उत्तर भारत में पूरी तरह से कोहरा छा गया. बारिश के कारण 3 जनवरी 2024 के आसपास तीन-चार दिन के लिए पूर्वी उत्तर प्रदेश, पूर्वी मध्‍य प्रदेश और बिहार में पहले कोहरा छंट गया. लेकिन, बारिश खत्‍म होने के बाद फिर से कोहरा छाना शुरू हो गया.

धूप निकली, लेकिन कोहरे से राहत नहीं

जेनामणि ने कहा कि पिछले दो दिनों से मैदानी इलाकों में धूप निकली है, जिससे लोगों को ठंड से राहत मिली हैं, लेकिन कोहरे से राहत नहीं है. कुछ इलाकों में बेशक कोहरा कम हो गया है, लेकिन अभी ये पूरी तरह से साफ नहीं हुआ है. द टाइम्‍स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, अगर कोहरे का इतना लंबा दौर चलता है तो इसे पूरी तरह से छंटने में वक्‍त लगेगा. वहीं पंजाब और हरियाणा में कोहरे का दौर लंबा चल सकता है. पिछली बार दिसंबर 2019 में कोहरे का लंबा दौर शुरू हुआ था. दिन के तापमान के मामले में दिसंबर 2019 को दूसरा सबसे ठंडा दिसंबर दर्ज किया गया था. 30 दिसंबर 2019 को दिल्‍ली के सफदरजंग में महीने का सबसे ठंडा दिन रिकॉर्ड किया गया था. तब तापमान 9.4 डिग्री सेल्सियस रहा था.

उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड.
उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड.

2019 में उत्तर भारत पर छाया था भारी कोहरा

मौसम विभाग के मुताबिक, 2019 में दिल्ली, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश पर कोहरे की भारी मार पड़ी थी. इसके अलावा पंजाब, हरियाणा और दिल्ली-एनसीआर में जबरदस्‍त ठंड का प्रकोप महसूस किया गया था. अमृतसर में अधिकतम तापमान कई दिन तक 10 डिग्री सेल्सियस से नीचे पहुंच गया था. 2019 की सर्दियों में मैदानी इलाकों में सबसे कम तापमान था. अब सवाल से उठता है कि इस साल कोहरे का इतना लंबा दौर क्‍यों चल रहा है? वहीं, मैदानी इलाके शिमला, मनाली से ज्‍यादा ठंडे क्‍यों हो रहे हैं?

फॉग होल क्या होता है और कैसे बनता है?

 इस साल मैदानी इलाकों के कई हिस्सों में दिन का तापमान पहाड़ी इलाकों से कम कम रहा है. पहाड़ी इलाकों में दिनभर कोहरा दिखाई नहीं दे रहा. इसलिए धूप वाले मौसम के कारण हिमालयी शहरों में अधिकतम तापमान मैदानों से ज्‍यादा है. शिमला में 5 जनवरी को अधिकतम तापमान 14.2 डिग्री और धर्मशाला में 18.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. इसके उलट हरियाणा के हिसार में 11.4 डिग्री और राजस्थान के सीकर में 12.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. हालांकि शुरुआत में दोपहर के आसपास शहरी क्षेत्रों में कोहरा कम था, जबकि आसपास के अंदरूनी इलाकों में यह घना कोहरा देखने को मिला.  इसे ‘फॉग होल’ कहा जाता है, जो शहरों में सतह के ज्‍यादा गर्म होने के कारण होता है.

उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड क्‍यों पड़ रही है?

उत्तर भारत के ज्‍यादातर मैदानी इलाकों में पहाड़ों से ज्‍यादा ठंड पड़ने के कई कारण हैं. मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक, उत्तर भारत में सूरज के दक्षिणायन होने के कारण जमकर ठंड पड़ती है. सूरज के दक्षिणायन होने के कारण किरणों की तेजी और तपिश धरती पर कम हो जाती है. वहीं, पहाड़ी इलाकों में बर्फ पड़ने के बाद पश्चिमी विक्षोभ हिमालयी क्षेत्रों से आगे निकल जाता है. इससे पहाड़ों से ठंडी हवाएं चलती हैं, जो मैदानी इलाकों में पहुंचकर ठंड को बढ़ा देती हैं. इस बार स्ट्रांग वेस्टर्न डिस्टरबेंस नहीं होने के कारण पहाड़ों पर बर्फबारी बहुत कम हुई है. लिहाजा, इस बार पड़ रही कड़ाके की ठंड का कारण बर्फबारी नहीं है. इस बार पश्चिमी एशिया और यूरोपीय देशों में नवंबर-दिसंबर 2023 में जमकर हुई बारिश व बर्फबारी के कारण ठंड ज्‍यादा है. पाकिस्‍तान और उत्तरी अफगानिस्तान से होते हुए ठंड का असर उत्तर भारत तक पहुंचा है.

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12 January 2024, 06:32 PM IST

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