Supreme Court Strict On Air Pollution: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली सरकार और पुलिस से पूछा कि दिवाली के दौरान पटाखों पर लगाया गया प्रतिबंध क्यों नहीं माना गया, खासकर जब वायु प्रदूषण की समस्या गंभीर है. अदालत ने नाराजगी जाहिर करते हुए यह भी कहा कि पटाखों के उपयोग पर प्रतिबंध के उल्लंघन के लिए वे क्या कदम उठा रहे हैं.
अदालत ने कहा कि अगर पटाखों से होने वाले प्रदूषण पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो स्थिति खराब हो जाएगी. कोर्ट ने सुझाव दिया कि उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए, जैसे कि उन परिसरों को सील करना. उन्होंने यह भी कहा कि अगले साल दिवाली के दौरान कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन न हो, इसके लिए ठोस उपाय करने की जरूरत है.
अदालत ने दिल्ली सरकार से कहा कि वह पटाखों पर एक स्थायी प्रतिबंध लगाने पर विचार करे, बजाय इसके कि इसे केवल त्योहारों तक सीमित रखा जाए. इसके साथ ही, पंजाब और हरियाणा से यह पूछा गया कि दिवाली के दौरान खेतों में आग लगाने की घटनाएं क्यों बढ़ रही हैं, जैसा कि सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट की रिपोर्ट में बताया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि सभी संबंधित जवाब एक सप्ताह के भीतर प्रस्तुत किए जाएं और मामले की अगली सुनवाई 14 नवंबर को होगी. यह सब तब हुआ जब दिवाली के दौरान दिल्ली में पटाखों पर प्रतिबंध का खुला उल्लंघन किया गया, जिसके बाद राष्ट्रीय राजधानी में धुंध की मोटी परत छा गई और कई क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता गंभीर स्तर पर पहुंच गई.
वायु गुणवत्ता और मौसम पूर्वानुमान तथा अनुसंधान प्रणाली ( सफर) के अनुसार, दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक 1 नवंबर को 'गंभीर' स्तर पर पहुंच गया, जो दिवाली के एक दिन बाद की स्थिति है. कई इलाकों में जहरीले कणों का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन की सुरक्षित सीमा से सात गुना अधिक दर्ज किया गया.
हर साल अक्टूबर के बाद दिल्ली में वायु प्रदूषण का संकट बढ़ जाता है, खासकर जब पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की वजह से ठंड का मौसम आता है और जहरीला धुआं इकट्ठा हो जाता है. यह धुआं नई दिल्ली तक पहुंचता है, जिससे प्रदूषण और बढ़ता है और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. First Updated : Monday, 04 November 2024