सुंदर पिचाई को क्यों मिला नोटिस? जानें यूट्यूब वीडियो विवाद की पूरी कहानी
Sundar Pichai: मुंबई की अदालत ने गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई को एक अवमानना नोटिस जारी किया है. यह नोटिस यूट्यूब पर ध्यान फाउंडेशन और इसके संस्थापक योगी अश्विनी के खिलाफ "पाखंडी बाबा की करतूत" नामक अपमानजनक वीडियो को हटाने के पूर्व निर्देश का पालन न करने के आरोप में दिया गया है.
Sundar Pichai: मार्च 2022 में अदालत ने यूट्यूब को विवादित वीडियो हटाने का निर्देश दिया था. यह वीडियो ध्यान फाउंडेशन की छवि खराब करने और योगी अश्विनी के खिलाफ झूठे और दुर्भावनापूर्ण आरोपों से भरा हुआ बताया गया है. आरोप है कि यूट्यूब ने इस आदेश का पालन नहीं किया और वीडियो अब भी प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है.
ध्यान फाउंडेशन ने अक्टूबर 2022 में अदालत में अवमानना याचिका दायर कर दावा किया कि वीडियो न हटाने से उनकी और उनके संस्थापक की प्रतिष्ठा को गंभीर नुकसान पहुंचा है.
गूगल का बचाव
गूगल और यूट्यूब ने आईटी अधिनियम के तहत मध्यस्थ सुरक्षा का हवाला देते हुए तर्क दिया कि वीडियो अधिनियम की धारा 69-ए के अंतर्गत नहीं आता है, जो सामग्री हटाने के नियम निर्धारित करता है. गूगल ने यह भी कहा कि मानहानि के मामलों का समाधान फौजदारी अदालतों के बजाय सिविल अदालतों में होना चाहिए.
अदालत का रुख
अदालत ने गूगल की आपत्तियों को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि आईटी अधिनियम के तहत ऐसे मामलों की सुनवाई से आपराधिक अदालतों को अलग नहीं किया गया है. अदालत ने यह भी कहा कि गूगल द्वारा कार्रवाई में जानबूझकर देरी की गई, जो अदालत के आदेश का पालन न करने का संकेत देता है.
गूगल पर बढ़ते कानूनी दबाव
यह मामला गूगल के लिए भारत में नई कानूनी चुनौतियों का हिस्सा है. इससे पहले, गूगल को Android और Play Store में अपने प्रभुत्व के दुरुपयोग के लिए भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) द्वारा दंडित किया गया था. इसके अलावा, गेमिंग कंपनी WinZO द्वारा दायर एंटीट्रस्ट मामले में भी गूगल जांच का सामना कर रहा है.
अगली सुनवाई
यह मामला 3 जनवरी 2024 को पुनः अदालत में विचाराधीन होगा. यह घटना गूगल और यूट्यूब जैसी तकनीकी दिग्गज कंपनियों के लिए भारत में बढ़ती कानूनी और नियामक चुनौतियों को दर्शाती है. यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि गूगल इस विवाद को कैसे हल करता है और अदालत के निर्देशों का पालन करता है.