किन्नर समाज किस तरह से अपना जीवन जीता है, कैसे वह अपने समाज की पंरपराओं और रीति - रिवाजों को निभाते हैं इस बारें में हम सभी काफी कम जानते हैं. उनके जीवन के कई रहस्य हैं जिनमें से एक है शादी. जी हां! क्या आप जानते हैं कि किन्नर समाज में भी किन्नर एक दिन के लिए दुल्हन बनती हैं. जिसके पीछे एक बड़ा रहस्य छुपा हुआ है. kinnar
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि हमारे ग्रंथों में किन्नरों को बारे में काफी कुछ लिखा हुआ है. जैसे कि वह महाभारत के समय से लेकर यक्ष पुराण में शिखंडी, मोहिनी और इला आदि पात्र में किन्नरों को सबसे शक्तिशाली और रहस्यमयी माना जाता था. हालांकि आज के समय में उनके समाज की हालत के बारे में सभी परिचित हैं.
भारत में अधिकतर किन्नरों को 'हिजड़ा' कहा जाता है. इन लोगों का दुनिया से दूर अलग रहना - सहना होता है, ऐसा करना इनकी मजबूरी होती है. क्योंकि आम समाज इनको नहीं अपनाता. इनकी अपनी ही अलग परंपराएं हैं जिनसे आम समाज का कोई ताल्लुख नहीं रहता. यह कुछ खास अवसर पर ही लोगों के घरों में नजर आते हैं जैसे- शादी, किसी के घर बच्चा होना, अंतिम संस्कार आदि में.
क्या आप जानते हैं दक्षिण भारत में हर साल किन्नरों का विवाह मेले का बड़ी ही धूमधाम से आयोजन करवाया जाता है. इस साल की बात करें तो इस साल भी इस मेले का आयोजन 18 अप्रैल 2023 को किया गया था. जो 03 मई तक चला. जिसमें 2 और 3 मई को किन्नरों के विवाह हुए थे.
यह मेला तमिलनाडु के विलुपुरम जिले से करीब 25 किलोमीटर दूर आयोजित किया जाता है. जो ''कूवानाम नामक गांव के कूतानदावर मंदिर'' के पास लगता है. जो एक किन्नरों के 'देवता अरावान' का मंदिर माना जाता है.
किन्नरों का यह विवाह केवल एक दिन का होता है. पौराणिक कथा के अनुसार केवल किन्नर एक दिन के लिए अरावन देवता से शादी करते हैं और फिर उसके अगले दिन से उनकी विधवा बनकर जीवन गुजारती हैं. ऐसे करके वह अपनी परंपरा को जीवित रखते हैं, जो सदियों से चली आ रही है.