Indian Railway: भारतीय रेलवे की पटरियां हर दिन भारी ट्रेनों के डब्बों का भार सहते हुए यात्रियों और सामानों को पहुंचाने का काम करती हैं. ये पटरियां भारी वजन के साथ-साथ बारिश, धूप और कई प्राकृतिक आपदाओं का भी सामना करती हैं. वहीं आपको बता दें कि इतना पानी और हवा पड़ने के बाद भी ये पटरियां जंग रहित रहती हैं.
पटरियां कैसे रहती है जंग रहित?
बात दें कि इतना पानी हवा और धूप का समाना करने के बाद भी जंग रहित रहने का कारण यह है कि इस रेलवे ट्रैक को बनाने के लिए एक विशेष प्रकार के स्टील का उपयोग किया जाता है, जो लोहे से ही बनाया जाता है. रेल की पटरियां स्टील और मंगलोय को मिलाकर बनाई जाती हैं. मैंगनीज स्टील स्टील और मैंगनीज का मिश्रण है. इसमें 12 प्रतिशत मैंगनीज और 1 प्रतिशत कार्बन होता है. इसके कारण ऑक्सीकरण नहीं होता या बहुत धीमा होता है, इसलिए इसमें कई वर्षों तक जंग नहीं लगती.
अगर पटरियां लोहे की हो तो क्या होगा?
आपको बता दे कि ये रेलवे ट्रैक अगर आम लोहे की बने हो तो हवा और नमी के संपर्क में आने के कारण उसमें जंग लग जाएंगे. इससे बार-बार पटरियों को बदलना पड़ेगा और इससे खर्च की लागत भी बढ़ेगी. वहीं ट्रेक पर जंग लगने के कारण रेलवे दुर्घटनाओं का खतरा भी बढ़ जाएगा, ऐसे में रेलवे अपने निर्माण में विशेष सामग्रियों का उपयोग करता है. दरअसल, इस लोहे में कार्बन की मात्रा कम होती है, जिससे इसमें जंग लगने की संभावना कम हो जाती है.
जंग कैसे लगता है?
आपको बात दें कि कोई भी लोहे की धातु में जंग लगने का कारण यह है कि जब लोहे से बनी वस्तु नम हवा में या गीली होने के बाद ऑक्सीजन के संपर्क में आती है तो तो लोहे पर आयरन ऑक्साइड की एक भूरे रंग की परत जमा हो जाती है. यह भूरे रंग की कोटिंग लोहे की ऑक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया के कारण आयरन ऑक्साइड बनाने के कारण होती है, जिसे धातु का क्षरण या लोहे में जंग लगना कहा जाता है. First Updated : Tuesday, 17 October 2023