MP Satpura Fire: पिछले तीन विधानसभा चुनाव के आस-पास क्यों धधक उठता है सतपुड़ा भवन इस बार भी कई जरूरी फाइलें जलकर राख !

सतपुड़ा भवन में आग लगने के बाद से ही ये सवाल उठने लगे हैं की चुनाव के आस-पास ही इस सरकारी भवन में आग कैसे लग जाती है इस आग से हजारों सरकारी दस्तावेज जल कर राख हो गए। कांग्रेस का कहना है की ये आग घोटालों को छिपाने की साजिश है।

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बीती शाम भोपाल के सतपुड़ा भवन (Satpura Bhavan) में आग लगने से हड़कंप मच गया। मध्यप्रदेश सरकार के दूसरे सबसे बड़े सरकारी दफ्तर में सोमवार को लगी इस आग में लगभग 25 करोड़ का फर्नीचर और 12 हजार से अधिक जरूरी दस्तावेज जल के राख हो गए। खबरों के मुताबिक आग शाम 4:00 बजे के आसपास लगी और उस वक्त कार्यालय में लगभग 1000 लोग मौजूद थे, जिन्होंने बड़ी मुश्किल से अपनी जान बचाई। ये अच्छी खबर है कि इस आग में जनहानि नहीं हुई लेकिन राज्य निदेशालय के लगभग 80 फीसदी दस्तावेज स्वाहा हो गए।

आग लगने के बाद खबर मिलते ही मध्यप्रदेश सरकार एक्टिव नजर आई और आग पर काबू पाने के लिए गृह मंत्रालय समेत प्रधानमंत्री से संपर्क साधा। थल सेना और वायु सेना तक की मदद ली लेकिन आग पर काबू पाने में 12-13 घंटे का समय लग गया। फिलहाल सतपुड़ा भवन में आग बुझ चुकी है लेकिन राजनीति के गलियारों में एक नई आग धधकने लगी जिसमें सबसे बड़ा सवाल ये उठाया जा रहा है कि आखिर चुनाव के आगे-पीछे ही सरकारी दफ्तर में आग क्यों लगती है? 

एयरकंडीशनर से लगी आग 
आग लगने के प्रारंभिक कारणों की जांच के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने एक टीम का गठन किया है जो अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपेगी। लेकिन फ़िलहाल जो खबर सामने आ रही है उसमें एयर कंडीशनर में हुए शॉर्ट सर्किट को आग लगने का कारण बताया जा रहा है। दरअसल सोमवार को रोज की तरह ही सतपुड़ा भवन में कामकाज जारी था और चार बजने वाले थे। लोग धीरे-धीरे ऑफिस से निकलने लगे थे और तभी तीसरी मंजिल पर जनजातीय कार्य विभाग में आग की लपटें नजर आने लगती हैं। आग इतनी भयानक थी कि उसने चौथे पांचवीं और छठवीं मंजिल को भी अपनी गिरफ्त में ले लिया। कर्मचारियों के सामने दफ्तर धू-धूकर जलने लगा।

दमकल के सामने आग का तांडव
तीसरी मंजिल पर लगी आग देखते ही देखते छठवीं मंजिल तक पहुंच गई और पूरी बिल्डिंग धधकने लगी। आग इतनी भयानक थी कि उसे बुझाने के लिए सिर्फ भोपाल फायर ब्रिगेड ही नहीं बल्कि बीएचईएल, एयरपोर्ट, मंडीदीप, सीहोर और विदिशा की भी दमकल की गाड़ियों को बुलाया गया लेकिन दमकलकर्मियों के सामने भी आग अपना तांडव दिखाती रही। 

लापरवाहियों ने आग में घी डाला
आग शाम को 4:00 बजे लगी और काबू पाने में 12 घंटे लग गए जिसके पीछे लापरवाही एक बहुत बड़ा कारण है। दमकल की गाड़ियां जब तक वहाँ पहुंची तब तक आग प्रचंड रूप ले चुकी थी। लापरवाहियों का आलम कुछ इस कदर देखने को मिला की इस सरकारी बिल्डिंग का फायर ऑडिट तक नहीं किया गया था जिसके चलते आग बुझाने में इतनी देर हो गई। दूसरी तरफ आग बुझाने में इस्तेमाल की जाने वाली नगर निगम की हाइड्रोलिक गाड़ियों के प्लेटफार्म को खुलने में ही 45 मिनट का समय लग गया। 

शिवराज ने लगाई केंद्र से गुहार
सतपुड़ा भवन में लगी आग की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रक्षा मंत्री और गृहमंत्री से मदद मांगी। शिवराज ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी फ़ोन पर बातचीत की और पीएम मोदी ने उन्हें हर संभव मदद का भरोसा दिया। आग से निपटने के लिए थल सेना और वायु सेना से मदद की गुहार लगाई गई हालांकि रात्रि का समय और भयानक आग होने के चलते इस बार काबू पाने में काफी समय लग गया। 

क्या इस आग में है चुनावी धुआं
विधानसभा चुनाव से ठीक चार महीने पहले आग लगने की वजह से इसमें अब चुनावी धुआं भी उठ रहा है। इस भवन में 14 दिसंबर 2018 को भी आग लगी थी और वो समय विधानसभा चुनाव के ठीक बाद का था। उस वक्त लगी आग में भी कई महत्वपूर्ण दस्तावेज जल गए थे। वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव के ठीक पहले भी इस भवन की तीसरी मंजिल पर आग ने कहर बरपाया था और उसमें भी ना जाने कितनी फाइलें जल कर राख हो गई थीं। चुनावों के ठीक आगे-पीछे लगने वाली इस आग ने अनेकों प्रश्न खड़े कर दिए हैं। विपक्ष भी सरकार को लगातार ये कहकर कोसने में लगा कि सरकार आग में भ्रष्टाचार से जुड़ी फ़ाइलों को जला रही है। 

कांग्रेस ने बतायी साजिश
सरकारी भवन में आग लगने की इस घटना को कांग्रेस पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और सांसद अरुण सुभाष यादव ने साजिश बताया है। अरुण ने प्रियंका गाँधी की विजय शंखनाद रैली का जिक्र करते हुए कहा कि प्रियंका गाँधी ने जबलपुर में घोटालों को लेकर सरकार पर हमला बोला तो सरकारी भवन में आग लग गई। यादव ने कहा कि यह आग सरकार की साजिश है। सरकार इस आग के बहाने अपने घोटालों के दस्तावेजों को जला रही है। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी सरकार पर सवाल उठाते हुए इस घटना को साजिश बताया है। 

क्या जला और क्या बचा ? 
सतपुड़ा भवन मध्यप्रदेश का दूसरा सबसे अहम सरकारी भवन है जिसमें महत्वपूर्ण दस्तावेज रखे जाते हैं और इस भवन में आग लगने का मतलब है तमाम सरकारी दस्तावेजों की कुर्बानी। ये एक 6 मंजिला भवन है जिसमें जनजातीय कार्य, स्वास्थ्य, वन, मुख्यमंत्री मॉनीटरिंग प्रकरण, जन शिकायत, नेशनल इनफॉर्मेशन सिस्टम, जैसे विभाग काम करते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इस आग में विभिन्न विभागों के दस्तावेज जल कर राख हुए हैं जिसमे कर्मचारियों के सर्विस रिकॉर्ड, शिकायती दस्तावेज, बजट लेखा-जोखा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की शिकायतों की फाइलें, कोरोना काल में अस्पतालों को किए गए भुगतान जैसे संबंधित दस्तावेज शामिल हैं।
 
राज्य सरकार ने बयान जारी करते हुए बताया कि इस आग के बावजूद  सतपुड़ा भवन के द्वितीय तल पर संचालित हॉस्पिटल प्रशासन शाखा अग्नी दुर्घटना से बच गया है। अस्पतालों के लिए दवा, उपकरण, फर्नीचर, और खरीदी संबंधी फाइलें आग की चपेट में नहीं आई। जब तक आग पर पूरी तरीके से नियंत्रण नहीं पा लिया जाता तब तक वास्तविक नुकसान का अंदाजा लगाना मुश्किल है।  

कोई भी कार्य प्रभावित नहीं होगा 
मध्यप्रदेश सरकार ने कहा है कि इस आग के बावजूद कार्यालय से संबंधित कार्य प्रभावित नहीं होंगे। अधिकांश काम अब ऑनलाइन हो चूके हैं जिसके चलते उपकरण भले ही नष्ट हो गए हों लेकिन डेटा सुरक्षित है। 

कारण जानने के लिए कमेटी का गठन 
इस सरकारी इमारत में आग किस कारण से लगी और इसका जिम्मेदार कौन है ये जानने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक कमेटी का गठन किया है जो प्रारंभिक कारणों का पता लगाकर मुख्यमंत्री को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। इस कमेटी में एसीएस होम राजेश राजौरा, पीएस अर्बन नीरज मंडलोई, पीएस पीडब्ल्यूडी सुखबीर सिंह और एडीजी फायर शामिल हैं।

— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 13, 2023 " title="" class="customlinkcss"> First Updated : Tuesday, 13 June 2023