पीएम मोदी जाएंगे बैंकॉक, भारत की चाइना पॉलिसी के लिए क्यों अहम है BIMSTEC?
भारत ने अब अपना ध्यान सार्क से हटाकर बिम्सटेक पर केंद्रित कर लिया है. सार्क में पाकिस्तान के शामिल होने के कारण लगातार समस्याएँ उत्पन्न हो रही थीं. 2016 में उरी हमले के बाद से सार्क का कोई भी सम्मेलन आयोजित नहीं किया गया है. इस परिस्थिति में सार्क अब एक हद तक निष्क्रिय मंच के रूप में देखा जा रहा है.

BIMSTEC का छठा शिखर सम्मेलन 4 अप्रैल को बैंकॉक में आयोजित होने जा रहा है. इस सम्मेलन से पहले, 2 अप्रैल को वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक और 3 अप्रैल को विदेश मंत्रियों की बैठक होगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस सम्मेलन में भाग लेने के लिए गुरुवार को बैंकॉक के लिए रवाना होंगे.
खुला बिम्सटेक
यह शिखर सम्मेलन, जो कोलंबो में हुए पिछले सम्मेलन (मार्च 2022) के तीन साल बाद हो रहा है. इसका विषय 'समृद्ध, लचीला और खुला बिम्सटेक' रखा गया है. यह विषय क्षेत्रीय एकीकरण और आर्थिक सहयोग के लिए बिम्सटेक के संकल्प को दर्शाता है. सम्मेलन का उद्देश्य साझा सुरक्षा और विकास संबंधी चुनौतियों को हल कर बांग्लादेश, भूटान, भारत, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका और थाईलैंड जैसे सात सदस्य देशों के बीच सहयोग को और मजबूत करना है.
इस शिखर सम्मेलन की मुख्य विशेषताओं में 6वें बिम्सटेक शिखर सम्मेलन घोषणापत्र का अनुमोदन और 'बैंकॉक विजन 2030' का परिचय दिया जाएगा. यह विजन भविष्य में सहयोग बढ़ाने के लिए पहला रणनीतिक रोडमैप होगा. सम्मेलन में समुद्री परिवहन सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए जाएंगे, जिसका उद्देश्य बंगाल की खाड़ी में व्यापार और यात्रा को बढ़ावा देना है.
बिम्सटेक के पांच शिखर सम्मेलन आयोजित
बिम्सटेक का उद्देश्य बढ़ती भू-राजनीतिक और आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच बंगाल की खाड़ी में सहयोग के लिए एक प्रमुख क्षेत्रीय मंच के रूप में अपनी भूमिका को सशक्त करना है. 1997 में अपनी स्थापना के बाद से बिम्सटेक ने पांच शिखर सम्मेलन आयोजित किए हैं, जिनमें बैंकॉक (2004), नई दिल्ली (2008), नेपीडॉ (2014), काठमांडू (2018) और कोलंबो (2022) शामिल हैं. संगठन सात प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करता है, जैसे कृषि और खाद्य सुरक्षा, कनेक्टिविटी, पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन, लोग से लोग संपर्क, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, सुरक्षा, व्यापार और निवेश. साथ ही आठ उप-क्षेत्रों में ब्लू इकोनॉमी, आपदा प्रबंधन और स्वास्थ्य शामिल हैं.
विशेषज्ञों का मानना है कि यह शिखर सम्मेलन बिम्सटेक की रणनीतिक दिशा को आकार देने में मदद करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि यह मंच बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में आर्थिक विकास, सुरक्षा सहयोग और सतत विकास में एक महत्वपूर्ण ताकत के रूप में बना रहे. भारत, जो बिम्सटेक के संस्थापक देशों में से एक है. भारत का बिम्सटेक सचिवालय के बजट में 32 प्रतिशत योगदान है और यह नोएडा और बेंगलुरु में बिम्सटेक के दो केंद्रों की मेज़बानी करता है.
बिम्सटेक के प्रमुख प्रेरक शक्ति
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिम्सटेक के प्रमुख प्रेरक शक्ति रहे हैं. उन्होंने गोवा में बिम्सटेक नेताओं की रिट्रीट (2016) की मेज़बानी की और 5वें शिखर सम्मेलन में बिम्सटेक की संस्थागत क्षमता को मजबूत करने के लिए एक मिलियन डॉलर का वित्तीय अनुदान की घोषणा की थी. भारत ने अब सार्क की तुलना में बिम्सटेक पर अधिक ध्यान केंद्रित किया है, क्योंकि पाकिस्तान के कारण सार्क में लगातार रुकावटें आती रही हैं.
बंगाल की खाड़ी में चीन के बढ़ते प्रभाव को चुनौती देने के लिए भी भारत बिम्सटेक को प्राथमिकता दे रहा है. यदि भारत इस मंच का प्रभावी नेतृत्व करता है, तो चीन के पक्ष में खड़े होने के लिए बिम्सटेक देशों के लिए मुश्किल हो सकता है. इसके परिणामस्वरूप भारत न केवल बिम्सटेक बल्कि समग्र एशिया का नेतृत्व करने में सक्षम हो सकता है.
भारत की आर्थिक शक्ति
भारत की आर्थिक शक्ति के साथ, बिम्सटेक के मंच का उपयोग करके सदस्य देशों के साथ सहयोग बढ़ाकर वह अपने पूर्वी सीमा से सटे देशों के साथ मजबूत संबंध बना सकता है, जिससे चीन को कड़ी चुनौती मिल सकती है. इस प्रकार, भारत का यह प्रयास बिम्सटेक को एक प्रभावशाली मंच बनाने का है, जो क्षेत्रीय सहयोग और सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.