अयोध्या के मंदिर में बाल स्वरूप 5 साल के रामलला की मूर्ति क्यों स्थापित की जा रही है? क्या है इसके पीछे की वजह

आज हम आपको बताएंगे कि 74 साल पहले जब बाबरी ढांचे में राम लला की धातु की मूर्ति स्थापित की गई थी तो ये कितनी बड़ी और कैसी थी. किस तरह ये वहां आई थी. ये भी जानेंगे कि मौजूदा मूर्ति किस चीज की बनाई गई है.

Pankaj Soni
Edited By: Pankaj Soni

अयोध्या के राम मंदिर में आज राम लला की पांच साल बाल स्वरूप वाली 51 इंच की मूर्ति मंदिर के गर्भगृह में स्थापित की जाएगी. यह मूर्ति श्याम वर्ण की होगी. इसमें 5 साल के बाल स्वरूप में श्रीराम कमल पर विराजमान होंगे. कमल के फूल के साथ मूर्ति की लंबाई 8 फीट है. ऐसे में हमारे मन में यह सवाल आना स्वाभाविक है कि 05 साल के उम्र की ही राम लला की मूर्ति स्थापित क्यों की जा रही है. इससे कम या ज्यादा उम्र की क्यों नहीं और इसकी लंबाई 51 इंच ही क्यों रखी गई है. तो आज हम आपको इन्हीं सवालों के जवाब बताने जा रहे हैं. 

आज हम आपको बताएंगे कि 74 साल पहले जब बाबरी ढांचे में राम लला की धातु की मूर्ति स्थापित की गई थी तो ये कितनी बड़ी और कैसी थी. किस तरह ये वहां आई थी. ये भी जानेंगे कि मौजूदा मूर्ति किस चीज की बनाई गई है. सबसे पहले जानते हैं कि राम मंदिर में राम के बाल्यकाल की मूर्ति स्थापित हो रही है और उसकी उम्र 05 साल के राम लला की है. हिंदू धर्म में बाल्यकाल को 05 साल की उम्र तक माना जाता है. इसके बाद बालक को बोधगम्य माना जाता है.

05 साल के बच्चे को क्या माना जाता है?

चाणक्य और दूसरे विद्वानों ने इस पर साफ कहा है कि पांच साल की उम्र तक बच्चे की हर गलती माफ होती है, क्योंकि वो अबोध होता है. उस उम्र तक केवल उसे सिखाने का काम करें. चाणक्य नीति में इस बच्चों के अबोध और बोधगम्यता को लेकर उम्र की चर्चा इस तरह की गई है.

पांच वर्ष लौं लालिये, दस सौं ताड़न देइ। सुतहीं सोलह बरस में, मित्र सरसि गनि लेइ।।

महाकाल लोक के महंत प्रणव पुरी का कहना है कि हमारे ग्रंथों में भी पांच साल की उम्र तक भगवान और दिव्य पुरुषों की बाल लीला का अधिक आनंद लिया गया है. भगवान राम की पांच साल की उम्र की मूर्ति स्थापित किए जाने के संबंध में काकभुशुंडी के श्लोक बहुत सामयिक और सटीक लगते हैं.

काकभुशुंडी ने क्या कहा?

तब तब अवधपुरी मैं जाऊं। बालचरित बिलोकि हरषाऊं॥
जन्म महोत्सव देखउं जाई। बरष पांच तहं रहउं लोभाई॥

इसका अर्थ है, तब-तब मैं अयोध्यापुरी जाता हूं. उनकी बाल लीला देखकर प्रसन्न होता हूं. वहां जाकर मैं जन्म महोत्सव देखता हूं और (भगवान्‌ की शिशु लीला में) इसके लोभ में 05 साल तक वहीं रहता हूं.

राम लला की मूर्ति 51 इंच की ही क्यों

राम लला की मूर्ति का आकार और लंबाई अगल हो सकती थी, लेकिन मूर्ति ठीक 51 इंच की ही क्यों है. हालांकि भारत में मौजूदा दौर में पांच साल के बालक की ऊंचाई मोटे तौर पर 43 से 45 इंच के आसपास मानी जाती है, लेकिन राम जिस दौर में पैदा हुए, उसमें आम लोगों की औसत लंबाई कहीं ज्यादा होती थी. इस हिसाब से 51 के शुभ नंबर को देखते हुए उनकी ऊंचाई 51 मानी गई.

मूर्ति काले पत्थर की क्यों बनाई गई

आपके मन में यह सवाल आना जाहिर है कि मूर्ति काले पत्थर की क्यों बनाई गई है. दरअसल राम लला की मूर्ति को शालिग्राम पत्थर से बनाया गया है, जिनसे हिंदू धर्म के देवी देवताओं की मूर्तियां बनाई जाती है. इसे पवित्र पत्थर माना जाता है. शालिग्राम काले रंग के चिकने, अंडाकार पत्थर होते हैं. धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक, शालिग्राम भगवान विष्णु के विग्रह स्वरूप हैं. ये एक प्रकार का जीवाश्म पत्थर है. शालिग्राम आमतौर पर पवित्र नदी की तली या किनारों से इकट्ठा किये जाते हैं.

74 साल पहले बाबरी ढांचे में कितनी बड़ी मूर्ति रखी गई थी

74 साल पहले जब बाबरी ढांचे में राम लला की मूर्ति को रखा गया था, तो ये 09 इंच की थी और अष्टधातु की थी. यह साल 1949 का था जब पहली बार ध्वस्त हो चुकी बाबरी मस्जिद में राम लला की मूर्ति प्रकट हुई थी.

calender
22 January 2024, 11:37 AM IST

जरूरी खबरें

ट्रेंडिंग गैलरी

ट्रेंडिंग वीडियो