भारत के 75वें गणतंत्र दिवस की सारी तैयारियां हो चुकी हैं. कल 26 जनवरी को देश अपना 75वां गणतंत्र दिवस मनाएगा. गणतंत्र दिवस देश के सबसे महत्वपूर्ण समारोह में से एक है. 26 जनवरी और 15 अगस्त को देश के नागरिकों में देश भक्ति को लेकर उत्साह और जोश की प्रबल भावना होती है. देश के विभिन्न कोनों से बड़ी संख्या में लोग परेड देखने के लिए राजपथ पर पहुंचते हैं. परेड की शुरुआत रायसीना हिल्स से होती है और वह राजपथ, इंडिया गेट से गुजरती हुई लाल किले तक जाती है. देश भर में गणतंत्र दिवस को उत्साह से मनाया जाता है. गणतंत्र दिवस से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं, जिनके बारे में सभी को जानकारी नहीं है. आज हम आपको ऐसी ही चीजों के बारे में बता रहे हैं.
आजादी के पहले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने दिसंबर 1929 में लाहौर में हुए एक अधिवेशन में ऐतिहासिक ‘पूर्ण स्वराज’ (पूर्ण स्वतंत्रता) का प्रस्ताव पारित किया. इसी कड़ी में 26 जनवरी 1930 को पहली बार स्वतंत्रता दिवस मनाया गया. देश को आजादी मिलने के बाद 15 अगस्त 1947 को अधिकारिक रूप से स्वतंत्रता दिवस घोषित किया गया. इसके बाद 26 जनवरी के महत्व को बरकरार रखने के लिए इसी दिन साल 1950 में संविधान लागू किया गया, जिसके बाद 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस घोषित किया गया.
देश का संविधान बनाने के लिए संविधान सभा का गठन किया गया, जिसमें कुल 22 समितियां थीं. इनमें प्रारूप समिति (ड्राफ्टिंग कमेटी) सबसे प्रमुख समिति थी. इसका काम संपूर्ण संविधान का निर्माण करना था. इस समिति के अध्यक्ष डॉ. भीमराव आंबेडकर थे. दो साल, 11 महीने और 18 दिन की मेहनत के बाद दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान हो गया. डॉ. आंबेडकर ने संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद को 26 नवंबर 1949 को भारतीय संविधान सौंप दिया, लेकिन इसे लागू करने में दो महीने और लग गए. तर्क गया कि 26 जनवरी के ‘पूर्ण स्वराज’ के ऐलान के महत्व को कायम रखने के लिए संविधान को दो महीने बाद लागू किया गया. इस तरह 26 नवंबर 1949 की जगह 26 जनवरी 1950 को पहला गणतंत्र दिवस मनाया गया. नागरिकों के बीच संवैधानिक मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए 2015 से सरकार ने 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाने का फैसला किया.
साल 1950 में भारत को संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित करने के बाद डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने गवर्नमेंट हाउस के दरबार हॉल में भारत के पहले राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली. इसके बाद उनके काफिले ने इरविन स्टेडियम तक पांच मील का रास्ता तय किया, जहां उन्होंने राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराया. राष्ट्रपति ने झंडा फहराकर परेड की सलामी ली. इस दिन को बाद में राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया जाने लगा. संविधान को देखें तो राष्ट्रपति भारत सरकार का संवैधानिक प्रमुख होता है. इस वजह से गणतंत्र दिवस पर भारत के राष्ट्रपति द्वारा राजपथ पर तिरंगा फहराया जाता है.
26 जनवरी और 15 अगस्त, दोनों ही तिरंगे को फहराया जाता है. लेकिन इसको फहराने के तरीके में एक बड़ा अंतर होता है. 15 अगस्त को जहां ध्वजारोहण (Flag Hoisting) किया जाता है, वहीं 26 जनवरी को झंडा फहराया (Flag Unfurling) जाता है. ये दो अलग-अलग बातें हैं और इनकी प्रक्रिया भी अलग होती हैं.15 अगस्त को तिरंगा ऊपर खींचा जाता है और इसके बाद फहराया जाता है. इसे ध्वजारोहण कहते हैं. वहीं, गणतंत्र दिवस में राष्ट्रीय ध्वज ऊपर बंधा रहता है. उसे केवल फहराया जाता है. इसे झंडा फहराना कहते हैं.
कार्यक्रम की शुरुआत भारत के प्रधानमंत्री द्वारा देश के शहीदों को पुष्पांजलि अर्पित करने से होती है. इसके बाद, प्रधानमंत्री और अन्य गणमान्य व्यक्ति परेड देखने के लिए कर्तव्य पथ पर पहुंचते हैं. परंपरा के अनुसार, भारत का राष्ट्रपति राष्ट्रीय ध्वज फहराता है और उसके बाद 21 तोपों की सलामी के साथ राष्ट्रगान होता है.
परेड की शुरुआत राष्ट्रपति की सलामी लेने के साथ होती है. गणतंत्र दिवस की परेड देश की सैन्य शक्ति और सांस्कृतिक विविधता का एक अनूठा मिश्रण होती है. सशस्त्र बल के एडवांस्ड हथियारों के प्रदर्शन के अलावा विभन्न राज्यों और मंत्रालयों की झांकियां निकाली जाती हैं. इसके अलावा फ्लाई पास्ट में भारतीय वायु सेना के विमानों और हेलीकॉप्टरों द्वारा रोमांचित करने वाला एयर शो दिखाया जाता है. First Updated : Thursday, 25 January 2024