'वन नेशन, वन इलेक्शन' विधेयक का रास्ता क्यों है कठिन? सरकार के पास नहीं है दो-तिहाई बहुमत
केंद्र सरकार संसद में 'एक देश एक चुनाव' बिल लाने जा रही है, लेकिन इसको सदन में पास कराने के लिए दो-तिहाई बहुमत की जरूरत है, लेकिन NDA के पास अभी सिर्फ 292 सीटें हैं. ऐसे में बिना विपक्ष के सांसदों को साथ लिए इसका पास होना आसान नहीं है.
केंद्र सरकार द्वारा लाए गए 'एक देश, एक चुनाव' प्रस्ताव को संसद में पास कराना NDA (नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस) के लिए बड़ी चुनौती बन गई है. इस प्रस्ताव को पास कराने के लिए सदन में दो-तिहाई बहुमत की जरूरत है, लेकिन NDA के पास फिलहाल केवल 292 सीटें हैं, जबकि इसे पास करने के लिए 362 सीटों की जरूरत होगी.
विपक्ष का विरोध
भारत में विपक्षी दलों के गठबंधन INDIA (इंडिया) के सभी सदस्य इस प्रस्ताव का विरोध कर रहे हैं. इस प्रस्ताव पर बनी रामनाथ कोविंद कमेटी को 47 राजनीतिक पार्टियों से राय मिली थी, जिसमें से 32 दलों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया था, जबकि 15 दलों ने इसका विरोध किया. लोकसभा में विरोध करने वाले सांसदों की संख्या 205 है, जो कि संविधान संशोधन के लिए बड़ा रोड़ा बन सकते हैं. हालांकि, सरकार इस मुद्दे पर आम सहमति बनाने की कोशिश कर रही है, लेकिन विपक्ष की एकजुटता के चलते ऐसा होता हुआ नहीं दिख रहा.
सरकार की रणनीति
सरकार इस बिल पर व्यापक सहमति बनाने के लिए चर्चा करने का प्रस्ताव कर रही है. इसके लिए सरकार ने इसे GPC (जनरल पर्पस कमेटी) को भेजने का फैसला किया है. यह कमेटी भारतीय जनता पार्टी के नेताओं द्वारा बनाई जाएगी और इसमें बीजेपी के सदस्य सबसे ज्यादा होंगे. बीजेडी ने भी इस बिल पर व्यापक चर्चा की बात कही है.
बिल आज संसद में पेश
लोकसभा के आज के एजेंडे के मुताबिक केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' बिल को संसद में पेश करेंगे. इसके बाद, वह स्पीकर ओम बिरला से अपील कर सकते हैं कि वे इस विधेयक को संसद की संयुक्त समिति में भेजने का अनुरोध करें.
विपक्ष की ताकत ने बढ़ाई मुश्किलें
2024 के आम चुनाव में INDIA ब्लॉक ने अच्छा प्रदर्शन करते हुए बीजेपी को पूर्ण बहुमत से रोक दिया था. हालांकि, बीजेपी बिहार की जनता दल और आंध्र प्रदेश की तेलुगु देशम पार्टी से मिलकर सरकार बनाने में सफल रही, लेकिन बिना किसी हंगामे के किसी भी बिल को पास कराना बीजेपी के लिए मुश्किल हो रहा है. इस वजह से 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' बिल सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन गया है.
नया बिल क्या कहता है?
13 दिसंबर को जारी किए गए बिल के मुताबिक, भारत में एक साथ लोकसभा और राज्यों की विधानसभा के चुनाव कराए जाएंगे. अगर लोकसभा या किसी राज्य की विधानसभा का कार्यकाल पहले खत्म हो जाता है, तो उस राज्य के लिए उप-चुनाव नहीं होंगे. इसके बजाय, सिर्फ पांच साल में से बचे हुए कार्यकाल को पूरा करने के लिए उप-चुनाव कराए जाएंगे.
इस बिल में अनुच्छेद 82(A) (लोकसभा और सभी विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव) जोड़ने और अनुच्छेद 83 (संसद के सदनों की अवधि), 172 और 327 (विधानसभाओं के चुनावों के संबंध में संसद की शक्तियों) में संशोधन का प्रस्ताव है. इस संशोधन के बाद इसे राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद लागू किया जाएगा, जिसे लोकसभा चुनाव के बाद पहली बैठक में अधिसूचित किया जाएगा.