Liquar Ban: शराब एक ऐसी चीज है जिसके पीने से सिर्फ पीने वाले को ही नुकसान नही होता बाल्कि पूरे परिवार की स्थति खराब हो जाती है. शराब को लेकर ज्यादातर महिलाएं परेशान रहती हैं. शराब पीने से शरीर में काफी सारे नुकसान होते हैं. शराब लोगों का घर उजाड़ देती है. जिसकी वजह से शराबबंदी के लिए लोग आगे बढ़ते हैं. सरकार से अपील करते हैं की शराब बंदी करवा दी जाए. देश के कई राज्यों में शराब कंपनियां शराब की दुकानों के बारे में चर्चा करती रहती हैं, जहां बिहार-गुजरात में शराब की दुकानों के अलावा कई जहरीली शराब पीने से लोगों की मौत की खबरें सामने आती रहती हैं. तो वहीं कई राज्यों में महिलाएं शरीब बंद होने को लेकर धरने पर बैठी रहती है.
गुजरात सरकार ने क्यों हटाया प्रतिबंध
गुजरात सरकार ने राज्य के गिफ्ट सिटी में शराब पर लगा प्रतिबंध हटा दिया है. गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी (गिफ्ट सिटी) में ग्लोबल फाइनेंस कंपनी के लिए सरकार ने ये फैसला लिया है. हालाँकि राज्य के अलावा शहर के किसी भी अन्य क्षेत्र में इस तरह की शराब उपलब्ध नहीं होगी.
सरकार के इस फैसले के बाद शराबबंदी कानून की काफी चर्चा है. गुजरात के अलावा बिहार, मिजोरम और नागालैंड राज्यों के साथ-साथ लक्षद्वीप के केंद्र शासित प्रदेश में भी शराबबंदी है. 1991 में मणिपुर ने भी शराबबंदी लागू की थी, हालांकि वहां की सरकार द्वारा इस कानून में कुछ छूट दी गई थी. आईये जानते है की देश में शराब बंदी को लेकर क्या इतिहास है.
शराबबंदी का इतिहास
ब्रिटिश भारत में भारतीयों ने देश में शराबबंदी को लेकर काफी आंदोलन किया था. महात्मा गांधी इस शांति आंदोलन को समर्थन देते थे और विदेशी शासन को राष्ट्रीय निषेध में बाधा के रूप में देखते थे. फिर जब वर्ष 1947 में भारत को आजादी मिली तो शराबबंदी को भारत के संविधान के नीति निर्देशित सिद्धांत में शामिल किया गया.
शराब पर पहली बार प्रतिबंध मुंबई के सीएम मोरारजी सिद्दीकी ने 1954 में लगाया था. ये रोक वहां के कोली समुदाय पर लगाया गया था जहां महाराष्ट्र के धारावी शराब का निर्माण किया गया था. कोली समुदाय द्वारा जामिन, अमारुद, सेंट्रा, सेब और चीकू अन्य फलों से शराब के निर्माण का कार्य किया गया था. बाद में देसाई के खिलाफ कोली समुदाय ने राय भी रखीं और ये आरोप लगाया कि वो विदेशी शराब की दुकानें हैं. इससे पहले कोली समुदाय द्वारा कानूनी रूप से शराब का निर्माण किया गया था और कहा जाता है कि इस तरह की शराब बनाने पर कोली समुदाय का ही एकाधिकार था.
शराबबंदी लागू करने वाला राज्य
शराबबंदी पर सरकार क्यों चुप
शराबबंदी से सरकार को भी राजस्व का अच्छा घाटा होता है. जहां गुजरात हो हर साल शराब बंदी के चलते 2 से 3 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है. वहीं बिहार सरकार को हर साल 4 हजार करोड़ का नुसकान उठाना पड़ा था. मणिपुर में शराब बंदी के कानून में राजस्व को देखते हुए हिस्सेदारी दी गई है, जिससे सरकार को 600 करोड़ रुपए का राजस्व मिलने की उम्मीद है. First Updated : Thursday, 11 January 2024