दुनिया में सबसे तेजी से फैलने वाला धर्म इस्लाम है, यह बात आपको पता होगी. दुनिया में मुसलमानों की आबादी सबसे तेजी से बढ़ रही है. मुस्लिम पॉपुलेशन जिस रफ्तार से बढ़ रही है, ऐसा ही रहा तो साल 2070 तक इस्लाम मानने वालों की संख्या दुनिया में सबसे ज्यादा हो जाएगी, जो ईसाई धर्म को पीछे छोड़ देगा. प्यू रिसर्च सेंटर (Pew Research Center) की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2060 तक पूरी दुनिया में मुसलमानों की कुल आबादी 2015 के मुकाबले 70 फीसदी बढ़ जाएगी और 3 बिलियन (300 Crore) के आसपास मुसलमान हों जाएंगे.
साल 2010 में मुस्लिम आबादी वाले देशों में इंडोनेशिया, पाकिस्तान (Pakistan) और भारत (India) क्रमवार टॉप 3 में शामिल थे. प्यू रिसर्च के मुताबिक साल 2030 तक इंडोनेशिया को पीछे छोड़ते हुए पाकिस्तान सर्वाधिक मुस्लिम आबादी वाला देश बन जाएगा. मुस्लिम आबादी अगर इसी रफ्तार से बढ़ती रही तो 2050 तक पाकिस्तान भी पीछे छूट जाएगा और पूरी दुनिया में भारत में सबसे ज्यादा मुसलमान होंगे. हालांकि तब भी भारत में सर्वाधिक आबादी हिंदुओं की ही होगी.
साल 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में 17.22 करोड़ मुस्लिम थे, जो देश की कुल आबादी का 14.2 फीसदी था. हाल ही में सरकार ने बताया था कि 2023 के आखिर तक देश में मुस्लिमों की कुल आबादी 20 करोड़ पहुंचने का अनुमान है. भारत उन देशों में शामिल है, जहां मुस्लिम पॉपुलेशन सबसे तेजी से बढ़ रही है. देश की बहुसंख्यक हिंदू आबादी की तुलना में भी तेज दर है.
अमेरिका में साल 2030 तक 2010 के 2.6 मिलियन मुस्लिम पॉपुलेशन के मुकाबले 6.2 मिलियन मुस्लिम आबादी होगी. प्यू रिसर्च का अनुमान है कि 2030 तक अमेरिका में कुल मुस्लिम आबादी वहां की कुल आबादी की 1.7 फीसदी होगी. जबकि 2050 तक US में प्रत्येक 50 में से एक शख्स मुसलमान होगा.
इसी तरह कनाडा में 2030 में 2010 के मुकाबले तीन गुना ज्यादा मुस्लिम आबादी हो जाएगी. जहां 2010 में कनाडा में कुल 9.4 लाख मुसलमान हुआ करते थे. वहीं अनुमान है कि 2030 में इनकी संख्या 27 लाख के आसपास हो जाएगी.
पॉपुलेशन रेफरेंस ब्यूरो (PRB) की रिपोर्ट एक के मुताबिक दुनिया में मुस्लिम पॉपुलेशन सबसे तेजी से बढ़ने के पीछे कई वजहें हैं.
पहली वजह : हाल के वर्षों में मुस्लिम महिलाओं की प्रजनन दर में भले ही गिरावट आई है, इसके बावजूद मुस्लिम बहुल देशों की महिलाएं गैर-मुस्लिम देशों के मुकाबले कहीं ज्यादा बच्चा पैदा कर रही हैं.
दूसरी वजह : पहले मुस्लिम महिलाओं की प्रजनन दर आज से कहीं ज्यादा थी, ऐसे में तब जो बच्चे पैदा हुए थे अब उनमें से ज्यादातर नौजवान हैं और शादी की उम्र अथवा पैरेंट्स बनने के कगार पर हैं.
तीसरी वजह : मुस्लिम देशों में, गैर मुस्लिम देशों के मुकाबले जनसंख्या नियंत्रण जैसे कानून बहुत ढीले हैं. साथ ही मुस्लिम महिलाएं चाइल्ड बर्थ कंट्रोल के लिए जरूरी संसाधन जैसे कंडोम, गर्भ निरोधक दवाओं का तुलनात्मक रूप से कम इस्तेमाल करती हैं. गैर मुस्लिम देशों की 63 फ़ीसदी महिलाएं चाइल्ड बर्थ कंट्रोल से जुड़े उपायों को अपनाती हैं लेकिन मुस्लिम देशों की महज 48 फ़ीसदी महिलाएं ऐसे उपाय पर भरोसा करती हैं.
चौथी वजह : मुस्लिम पॉपुलेशन बढ़ने की एक और महत्वपूर्ण वजह उनकी सोशल-इकोनॉमिक स्थिति भी है. हाल के वर्षों में मुसलमानों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति सुधरी है. शिक्षा भी बेहतर हुई है. ऐसे में शिशु मृत्यु दर जैसी चीजें घटी हैं. First Updated : Saturday, 20 January 2024