केरल में मॉनसून आने में देरी क्यों?

अमूमन मई के अंतिम हफ्ते से लेकर जून के पहले हफ्ते में केरल में मानसून दस्तक दे देता है लेकिन इस साल मानसून की बारिश के लिए थोड़ा और इंतजार करना पड़ सकता है। इसके पीछे क्या है वजह है चलिए जानते हैं।

Deeksha Parmar
Edited By: Deeksha Parmar

मौसम विभाग के मुताबिक इस बार मानसून जून के दूसरे हफ्ते में केरल पहुंचेगा। इससे पहले मौसम विभाग ने कहा था कि 1 जून को केरल में दस्तक देने वाला मानसून 5 जून को आएगा, लेकिन यह अनुमान भी सही नहीं रहा। पिछले साल यानी 2022 में मानसून 29 मई को केरल पहुंचा था। वहीं, 2021 में यह 1 जून को पहुंचा था।

मौसम विभाग ने बताया कि अरब सागर के दक्षिण-पूर्वी हिस्से में लक्षद्वीप के ऊपर सोमवार सुबह एक साइक्लोनिक सर्कुलेशन बन गया है। इससे मानसूनी बादल 4 दिन से एक ही जगह ठहर गए हैं। अरब सागर में जो बादल पश्चिमी हवा के साथ केरल की ओर बहुत धीमी गति से बढ़ रहे थे, वे अब साइक्लोनिक सर्कुलेशन की ओर बढ़ गए हैं। ये बादल केरल की तरफ कम हो गए हैं। इसकी वजह से मानसून में देरी की आशंका जताई जा रही है।

मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक, मानसून की अगर यही रफ्तार रही तो इसके मध्य प्रदेश में जून के आखिरी हफ्ते में ही पहुंचेगा। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि अरब सागर में बना साइक्लोनिक सर्कुलेशन अगले 24 घंटे में कम दबाव के क्षेत्र में बदलेगा। उसके बाद मजबूत होते हुए नॉर्थ की दिशा में यह आगे बढ़ सकता है।

बुधवार या गुरुवार को इसके डिप्रेशन में बदलने की संभावना है। इसका मतलब यह है कि मध्य, दक्षिणी व पूर्व मध्य अरब सागर में अगले पांच दिन तक 50 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से हवाएं चलती रहेंगी और बारिश होगी। केरल के कुछ इलाकों में बहुत हल्की बारिश हो रही है, लेकिन दक्षिणी अरब सागर में पश्चिमी हवाएं समुद्र तल से करीब 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई तक चल रही हैं। मानसून के आने के लिए उनका करीब 4.5 किलोमीटर से अधिक ऊंचाई तक चलना जरूरी है।

साइक्लोनिक सर्कुलेशन बनने से केरल के तटों पर हवा कमजोर हो रही है। बारिश भी 14 में से 10 स्टेशनों की जगह सिर्फ तीन-चार पर ही दर्ज की गई है। हालांकि, केरल और तटीय कर्नाटक क्षेत्र में इस हफ्ते के अंत तक बारिश शुरू होने की संभावना है। मानसून आने की परिस्थितियां अनुकूल नहीं होने से उसे मानसूनी बारिश नहीं माना जाएगा।

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