इस मुस्लिम महिला ने ठोका लाल किले पर अपना दावा, बोली-मैं हूं इसकी मालिकन
दिल्ली स्थित लाल किले पर मुगल साम्राज्य के आखिरी शासक बहादुर शाह जफर-द्वितीय के पड़पोते की विधवा ने मालिकाना हक जताया है. उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट में गुहार लगाई है कि उन्हें लाल किला वापस दिया जाए. हालांकि, शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया.
दिल्ली उच्च न्यायालय ने मुग़ल सम्राट बहादुर शाह जफ़र-द्वितीय के पोते की विधवा की याचिका को शुक्रवार को खारिज कर दिया. इस याचिका में उन्होंने दावा किया था कि वह लाल किले की वैध उत्तराधिकारी हैं और इस वजह से उन्हें किले का स्वामित्व दिया जाए. उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विभु बाखरू और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने सुल्ताना बेगम की अपील को खारिज कर दिया. इस अपील को 2021 के एकल न्यायाधीश के फैसले के खिलाफ दायर किया गया था. अदालत ने कहा कि यह अपील ढाई साल से अधिक समय की देरी से दायर की गई है, जिसे माफ नहीं किया जा सकता.
सुल्ताना बेगम ने कहा कि उनकी खराब सेहत और बेटी के निधन के कारण वे समय पर अपील दायर नहीं कर पाई थीं. लेकिन अदालत ने इसे अपर्याप्त कारण माना और कहा कि यह अपील बहुत देरी से दायर की गई है. साथ ही अदालत ने यह भी कहा कि याचिका को पहले ही काफी लंबे समय तक विलंबित रहने के कारण खारिज किया जा चुका था. इस कारण उनकी अपील भी खारिज कर दी गई.
मुगल बादशाह के पड़पोते की विधवा पहुंची कोर्ट
सुल्ताना बेगम ने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के बाद अंग्रेजों द्वारा उनकी संपत्ति और लाल किले पर कब्जे का दावा किया था. उन्होंने कहा था कि मुग़ल सम्राट बहादुर शाह जफर-द्वितीय की विरासत के रूप में उन्हें यह संपत्ति मिली है और भारत सरकार ने अवैध रूप से इस पर कब्जा कर रखा है. उन्होंने अदालत से यह आग्रह किया था कि सरकार लाल किले का कब्जा उन्हें दे या फिर मुआवजा प्रदान करे.
मांगा अपना हक
एकल न्यायाधीश ने 2021 में यह याचिका खारिज कर दी थी, यह कहते हुए कि 150 साल से अधिक समय बाद इस पर अदालत में कोई दावा करना उचित नहीं था.