Rajasthan Assembly Election 2023: नवंबर 2023 में होने वाले पांच चुनावी राज्यों में एक राजस्थान भी शामिल है. जहां राज्य के विधानसभा के कुल 200 सदस्यों के चुनाव के लिए मतदान होना है. इस राज्य में सीधा टक्कर सत्ता में बनी कांग्रेस और विपक्षी भारतीय जनता पार्टी के बीच है. पिछले चुनाव यानी की 2018 विधानसभा चुनाव के बाद से ही भाजपा राज्य की सत्ता से दूर है और सत्ता में वापसी के लिए हरसंभव प्रयासरत है. भाजपा के लिए यह चुनाव कितना महत्वपूर्ण है इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है की बीजेपी ने अपने सात सांसदों को राज्य की चुनावी मैदान में उतार दिया है.
वहीं वर्तमान समय में राज्य की सत्ता में बरकरार कांग्रेस भी पूरी दमखम के साथ चुनावी मैदान में हैं. पिछले पांच सालों में अपने कार्यकाल के दौरान किए हुए कामों को लेकर सीएम अशोक गहलोत जनता के बीच में जा रहे हैं. इस चुनावी माहौल के बीच एक सवाल उठ रहा है कि क्या इस बार राजस्थान में दोबारा बनेगी कांग्रेस की सरकार या खिलेगा कमल?
क्या इस बार भी कायम रहेगा या बदलेगा रिवाज?
राजस्थान में पिछले लगभग तीन दशकों के चुनावी इतिहास की बात करें तो यहां हर विधानसभा चुनाव में सरकार बदलने का रिवाज रहा है. इस बार फिर कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला है. तो चलिए राजस्थान के भीतर चल रही चुनावी संकेतों और समीकरणों कों जानते हैं और समझते हैं कि क्या है राज्य का चुनावी समीकरण.
क्या है राजस्थान का चुनावी इतिहास?
राजस्थान का चुनावी इतिहास बिलकुल ही साफ है. साल 1993 में भाजपा के सत्ता में आने बाद का इतिहास कहता है कि उसके बाद हर विधानसभा चुनाव में एख बार कांग्रेस तो एक बार भाजपा को सत्ता में जगह मिलते आई है. यानी की राजस्थान में कोई भी पार्टी लगातार दो बार सत्ता की कुर्सी तक नहीं पहुंच पाई है. इस रिवाज की माने तो इस बार सत्ता में आने की बारी भाजापा की है. इस समीकरण के पीछे का कारण यह है कि भाजपा के नेता राज्य में डबल इंजन की सरकार बनाने की जोरदार अपील कर रहे हैं ताकि केंद्र व राज्य में एक ही पार्टी की सरकार हो विकास की गति को रफ्तार दी जा सके.
इस बार रिवाज बदलने का दावा कर रही है कांग्रेस
राजस्थान की सरकार में बनी हुई कांग्रेस पार्टी के नेताओं का दावा है कि इस बार राज्य के भीतर यह रिवाज कांग्रेस तोड़ने जा रही है. वहीं सीएम अशोक गहलोत हर एक मौके पर यह कहते हुए नजर आ रहे हैं कि पहली बार राज्य में सरकार के खिलाफ कोई सत्त विरोधी लहर देखने को नहीं मिली है. हालांकि गहलोत भी इस चुनाव को गंभीरता से लेते हुए पिछले कई महीनों में लगातार कई कल्याणकारी योजनाओं की घोषणा कर चुनावी माहौल को अपने पक्ष में करने के लिए जुट गए हैं.
क्या कहते हैं चुनावी नतीजे?
पिछले विधानसभा चुनावों के आंकड़ों की बात करें तो 199 सीटों पर हुए चुनाव में कांग्रेस ने 99 सीटें जीती. जबकि भाजपा के पाले में केवल 73 सीटें ही आ सकी. यहां आपको बता दें की अलवर जिले के रामगढं विधानसभा सीट पर बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी के निधन के बाद चुनाव नहीं हुआ. जिसके बाद 28 जनवरी को हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज की. First Updated : Tuesday, 21 November 2023